मिटटी भी जहा की पारस उस शहर का नाम बनारस है

अगर इतिहास को हर प्रकार से देखा जाये तो असल इतिहास वह होता है जो शास्त्रों में धर्मो में लिखा है
काशी का वर्णन धर्मं शास्त्रों में आया है वेदों में आया है | और तो और आप इस पर गौर करे यदि काशी का वर्णन यहाँ आया है तो भारत में बाबा आदम को फेके जाने का वर्णन भी आया है जिसको अधिकतर धर्म मानते है जैसे इस्लाम इसाई यहूदी इत्यादि. इस प्रकार काशी दुनिया की सबसे पुराणी नगरी है आइये मै अपने काशी का कुछ झलक आपको दिखता हु........................


पहले शुरू करते है काशी के बारे में मशहूर कहावत "राड़ साड़ सीढ़ी सन्यासी इनसे बचो तो दरसो काशी.............
यहाँ रांड सांड हर गलियों में मिल जाते है और सीढिया भी गलियों की और घाटो की शोभा बढाती है सन्यासी (पाखंडी) भी ऐसे ही खतरनाक है


यहाँ लोगो अपना जीवन आराम के साथ उल्लास के साथ गुजारते है एक उदहारण देता हु आज भी काशी में काफी लोग सुबह उठ कर पहले घाट पर जाते है निपटते (टोइलेट) करते है फिर गंगा जी का स्नान और फिर कुछ देर बतकही करते हुवे आराम से दिन की शुरुवात करते है  प्रेम इसको देख कर समझ सकते है की मशहूर मंदिरों के बगल में मस्जिद भी है ताकि सुबह भगवन से मिलने के पहले एक दुसरे से मिले और भगवन के दर तक साथ साथ जाये यहाँ एक मस्जिद है लाटभैरो की मस्जिद जहा मस्जिद के बीच में एक मंदिर है मस्जिद में नमाज़ और मंदिर में पूजा एकसाथ होती है

यहाँ की साडिया भी मशहूर है ये आपसी भाईचारे का उदहारण है
की यहाँ साड़ियो का कारोबार भी दोनों धर्मो को मिलाता है जैसे कच्चा माल हिन्दू बेचते है कारीगरी दोनों की मिली जुली है और खरीदार मुस्लमान है गद्दिया अधिकतर मुसलमानों की है यही कारन है की इतनी आतंकवादी हमलो को झेलनी के बाद भी अगली सुबह सुहानी हुई है यहाँ की |



यहाँ का ज्ञान विश्वविख्यात है
............. उदहारण इतिहास तक में है की तुलसीदास को यहाँ अस्सी के बच्चो ने शास्त्रार्थ में हराया था इसी से यहाँ के ज्ञान का अंदाजा लगाया जा सकता है 
यहाँ की गलिया काफी मशहूर
है ये काफी पतली है एक तो गली ऐसी है की सिर्फ ६ इंच की है चौड़ाई उसकी और नक्शे में शहर के एक बालिश की गल्ली मशहूर है | ये गलिया शहर की शान बढाती है
 

एक और चीज़ मशहूर है यहाँ की गालिया ................. जी हा गालिया भी काफी मशहूर है यहाँ होली वाले दिन एक कवी सम्मलेन होता है जिसमे मइक का प्रयोग नहीं होता और वह सिर्फ गलियों की कविता कही जाती है एक उदहारण है सांड बनारसी का ................. चर्चौन्धी का मेला पहुचे पेले गुरु और चेला काफी मशहूर kavita है यहाँ किसी को अगर शब्द उत्तम लगे तो वह  वाह वाह नहीं कहा जाता है बल्कि बनारसी तरीके से कहा जाता है 


भाग भाग भाग भोसड़ी के .............................................


यहाँ के लोग जिद्दी भी बहुत होते है अपनी जिद के लिए कुछ भी कर सकते है इसका सबसे बड़ा उदहारण है लक्खी चबूतरा नाम की जगह जहा सिर्फ 3X3 के चबूतरे के लिए सन १९३० में ६ लाख रुपया खर्च कर दिया गया था 

काशी ने सन १८५० में एक स्वतंत्र संग्राम का आन्दोलन भी दिया था यहाँ काशी के तात्काली नरेश को वारेंग हेस्टिंग ने कैद कर बंदी बना लिया था तब शहर की जनता ने हुम्ला कर नरेश को छुवाया था जिसके बारे में एक कहावत मशहूर है की घोडे पर हौद हाथी पर जीन ऐसे भगा वारेंग हेस्टिंग्स 

तो दोस्तों ये है हमारी काशी कबीर की भूमि तुलसी की भूमि 

जहा मिटटी भी परस है .....................................
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!