पहाड़
दूर से ही सुन्दर दिखते है नजदीक जाओ तो सिर्फ पत्थर नजर आते है केजरीवाल
के वादे लुभावने थे| भ्रस्टाचार को भारत से कोई नेता नही मीटा सकता| अगर
जनता भ्रस्टाचार को मिटाने चाहेगी तो एक दिन मे मिटा सकती है| केजरीवाल को
सिर्फ बोलना आता है| करना नही| इसको धरना देना भी आता है
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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