मोदी की जीत में परदे के पीछे काम करने वाले लड़के

16वीं लोकसभा में बीजेपी की शानदार जीत के पीछे नरेंद्र मोदी की पहल पर बनाई गई अनुशासित और समर्पित युवाओं की टीम है जो दिन रात परदे की पीछे से रणनीति पर काम करती रही। मोदी के कैंपेन को असरदार बनाने के लिए यह टीम मीलिटरी की तरह मारक रणनीति और विपक्षी पार्टियों के हर दांव को नाकाम करने में अहम भूमिका अदा कर रही थी। इस टीम के सारे यंग टेकी गुजरात से थे। यह टीम मोदी को चुनाव रैलियों में उनके भाषण से 15 मिनट पहले राहुल-सोनिया के भाषण से अपडेट करा देती थी। 

ये सारे यंग टेकी बीजेपी हेडक्वॉर्टर 11, अशोक रोड स्थित इलेक्शन वॉर रूम के रडार पर रहते थे। यहीं से नरेंद्र मोदी के हर कैंपेन की योजना जमीन पर उतारी गई। रणनीति बनाने के मामले में बेमिसाल प्रतिभा रखने वाले मॉलिक्युलर बायलॉजिस्ट और अहमदाबाद में टोरंट फर्मासूटिकल्स के वाइस प्रेजिडेंट(डिस्कवरी रिसर्च) विजय चौथाइवाले को बीजेपी चुनावी ऑपरेशन के लिए दिल्ली लाई थी।

यूनाइडेट किंगडम बेस्ड अक्वीजिशन ऐंड मर्जर वकील मनोज लाडवा मोदी की रिसर्च अनैलेसिस ऐंड मैसेजिंग टीम को लीड कर रहे थे। यह टीम उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बनारस कंट्रोल रूम से काम कर रही थी। मोदी के डिजिटल कैंपेन को दिल्ली में सिलिकन वैली से आए अरविंद गुप्ता और गांधीनगर में हीरेन जोशी हैंडल कर रहे थे।

चैथाइवाले ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा कि हम साथ मिलकर राजनीतिक, गैर राजनीतिक और रचनात्मक पक्षों को शामिल कर पूरे कैंपेन को अंजाम दे रहे थे। चौथाइवाले मूल रूप से नागपुर के रहने वाले हैं लेकिन वह 18 सालों से अहमदाबाद में रह रहे हैं। चौथाइवाले आरएसएस बैकग्राउंड से हैं। 4 महीने पहले इन्हें मोदी ने कैंपेन में मदद करने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि भले मैं संघ बैकग्राउंड से हूं लेकिन मेरे लिए यह पहला इलेक्शन कैंपेन है। इन्हें संघ और राज्यों के नेताओं के साथ दिल्ली और गांधीनगर में समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

लाडवा की भूमिका ज्यादा बड़ी थी। लाडवा भी मूल रूप से गुजराती हैं, लेकिन वह यूके में रहते हैं। इनके परिवार वाले बीजेपी से जुड़े हैं। चुनाव में लाडवा को यूके से बुलाकर बीजेपी ने जिम्मेदारी सौंपी। यह मोदी के कैंपेन के लिए इनपुट्स तैयार करते थे। बीजेपी के अजेंडा सेटिंग में लाडवा की बड़ी भूमिका रही। मोदी चुनावी रैलियों में किन मु्द्दों पर जोर देंगे, लाडवा इसकी रणनीति तैयार करते थे।

वह क्रिएटिव टीम पीयूष पांडे के साथ भी जुड़े थे। वह हर दिन 9:30 बजे सुबह मीटिंग शुरू करते थे। इस मीटिंग में हर दिन का अजेंडा तय किया जाता था और एक यूनिफॉर्म मेसेज तैयार किया जाता था। इस मीटिंग में बीजेपी के सभी प्रवक्ताओं को आना जरूरी होता था। 10: 30 बजे तक एक ब्रीफिंग नोट तैयार कर पार्टी के अहम लोगों के बीच बांट दिया जाता था।

ओबामा के कैंपेन की भी स्टडीः लाडवा ने कहा कि हमने दुनिया भर के चुनावी कैंपेन की स्टडी की है। इसमें बराक ओबामा और टोनी ब्लेयर के कैंपेन भी शामिल हैं। यह टीम ऐसा मेसेज या स्लोगन तैयार करती थी जो विभिन्न क्षेत्रों में लोगों की जुबान पर चढ़ जाए। मोदी को देश के खास क्षेत्रों में बोलने के लिए यह टीम खास इनपुट्स तैयार कर देती थी।

सोनिया, राहुल की रैली पर खास नजरः मोदी अपनी रैली में कोस्टल इलाके में मछुआरों पर और पूर्वोत्तर में घुसपैठ पर रणनीति के तहत फोकस करते थे। सबसे अहम बात यह है कि ज्यादातर टीमों की कमान युवाओं के पास थी। इन टीमों की नजर विपक्षी पार्टियों की रैलियों पर भी होती थी। सोनिया और राहुल गांधी की स्पीच पर मोदी टीम की खास नजर रहती थी।

15 मिनट में हर अपडेटः चौथाइवाले ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के आरोपों पर हम पॉइंट्स तैयार कर मोदी को स्पीच देने से 15 मिनट पहले मुहैया कराते थे। लाडवा ने कहा कि हमारा बिल्कुल साफ अजेंडा था कि विपक्षी पार्टियों की तरफ से उठाए गए हर इश्यू पर मोदी बेबाक जवाब दें।


साभार : भावना विज अरोड़ानई दिल्ली ( ना. भा. ट )
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जानें, FB के कुछ ऐसे रोचक FACTS जिनके बारे में नहीं जानते होंगे आप



पिछले एक दशक से फेसबुक इंटरनेट की दुनिया पर एक बड़ा नाम बनकर उभरा है। इसके पीछे मार्क जुकरबर्ग का बहुत बड़ा हाथ है। फेसबुक के को-फाउंडर मार्क जुकरबर्ग आज (14 मई) को अपना 30वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस साल 4 फरवरी को फेसबुक ने भी अपने 10 साल पूरे कर लिए। पिछले कुछ समय से वेबसाइट पर जो बदलाव किए गए हैं उन्हें देखने पर लगता है कि मार्क के साथ-साथ फेसबुक वेबसाइट में भी मैच्युरिटी आ रही है।
फेसबुक पर 50 जेंडर ऑप्शन आने से लेकर, मोबाइल ऐप के प्रति रुझान, टीनएजर्स के लिए नए फीचर्स ये सब इसी बात की ओर इशारा करते हैं की फेसबुक भी अब बड़ी हो रही है।

इस होनहार बालक को इनके जन्म दिन पर हार्दिक शुभकामना !!

इसे हमारी भी उम्र लग जाए !!

इसने गांधी जी की तरह "बिना खडग बिना ढाल" कमाल कर दिया !!

इनके ही खोज से भारत में अच्छे दिन आने वाले हैं !! हम सभी भारतीय इनका हार्दिक अभिनन्दन करते हैं !!
बहुत बहुत धन्यवाद मार्क !! जियो हजारो साल !!


फेसबुक की अपनी एक अलग पहचान है। हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुके फेसबुक को लेकर कई ऐसी रोचक बातें छुपी हुई हैं जिनके बारे में जानकर आपको आश्चर्य होगा। शायद ये रोचक बातें आपको फेसबुक पर शेयर की हुई फोटोज से भी ज्यादा आकर्षित करें। क्या आप जानते हैं कि फेसबुक का रंग नीला क्यों है, या फिर फेसबुक पर अमेरिका की 83 प्रतिशत वेश्याओं के फैन पेज हैं। इतना ही नहीं आइसलैंड का संविधान भी फेसबुक की मदद से लिखा गया था।  

मार्क जुकरबर्ग के 30वें जन्मदिन के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं फेसबुक से जुड़े कुछ FACTS


क्यों है फेसबुक का रंग नीला-

फेसबुक के नीले रंग में रंगे होने के पीछे सीधा सा कारण है। इसके फाउंडर मार्क जुकरबर्ग का कलर ब्लाइंड होना। न्यूयॉर्कर को दिए अपने एक इंटरव्यू में मार्क ने कहा की उन्हें लाल और हरा रंग दिखाई नहीं देता है। इसलिए नीला रंग उनके लिए सबसे आसान रंग है।

फेसबुक शुरू से ही एक ही रंग में रंगा हुआ है। मार्के इसे हमेशा से जितना हो सके उतना सादा बनाना चाहते थे। यही वजह है कि उन्होंने फेसबुक को नीले रंग में रंग दिया।

तलाक का सबसे आम कारण-

 2011 में डायवोर्स ऑनलाइन के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में फाइल किए गए सभी डायवोर्स में से एक तिहाई में तलाक लेने का कारण किसी ना किसी वजह से फेसबुक था। डायवोर्स ऑनलाइन के मुताबिक इस बात का दावा करने के लिए लोगों द्वारा अपने पार्टनर के चैट मैसेज, भद्दे कमेंट्स और फेसबुक फ्रेंड्स लिस्ट सबूत के तौर पर पेश किए गए। सोशल मीडिया के आने से रिश्तों में बदलाव देखने को मिला है।


आइसलैंड का संविधान लिखा गया था फेसबुक की मदद से-

1944 में डेनमार्क से अलग होने के बाद आइसलैंड ने अपना संविधान कभी नहीं बनाया। यहां हमेशा से डेनमार्क के संविधान को ही माना जाता था। आइसलैंड ने 2011 में अपना संविधान दोबारा लिखने का फैसला लिया। इसके बाद 25 लोगों की एक काउंसिल बनाई गई जिसने फेसबुक का सहारा लेकर लोगों से सुझाव मांगे। इस काउंसिल ने अपना ड्राफ्ट जिसमें नियमों को लिखा गया था उसे फेसबुक पर पोस्ट किया। इस ड्राफ्ट पर लोगों ने अपने कमेंट्स किए लोगों के कमेंट्स और सुझावों के आधार पर ही आइसलैंड का संविधान बना जिसे बाद में फेसबुक पर पोस्ट भी किया गया।



फेसबुक पर मार्क का शॉर्टकट-

फेसबुक प्रोफाइल पर मार्क जुकरबर्ग के पेज तक पहुंचने का एक खास शॉर्टकट भी है। अगर आप फेसबुक के URL के आगे नंबर 4 लिख देंगे तो आपका ब्राउजर सीधे मार्क जुकरबर्ग के पेज तक ले जाएगा। मार्क ने 1 नंबर आईडी की जगह 4 नंबर आईडी चुनी है। मार्क के पेज के लिए www.facebook.com/4 URL लिखना होगा। ऐसे ही 5 और 6 नंबर URL के पीछे लगाने से आप क्रिस हग्स और डस्टिन मोस्कोविट्ज के पेज तक पहुंच जाएंगे। ये दोनों फेसबुक के सह-संस्थापक और मार्क के रूममेट्स हैं।


फेसबुक द्वारा हैकर्स को इनाम-

फेसबुक द्वारा हैकर्स को इनाम दिया जाता है। 500 डॉलर्स की राशि हर उस इंसान को दी जाती है जो फेसबुक को हैक कर सके। अगर आप फेसबुक की किसी गलती को भी पकड़ लेते हैं तो भी आप इनाम के हकदार होंगे। हालांकि, इस नियम के साथ फेसबुक की कुछ शर्तें भी हैं। बिना अपनी पहचान बताए हैकर को फेसबुक को 24 घंटों का समय देना होगा जिसमें फेसबुक अपनी गलती को सुधार ले।

83 प्रतिशत वेश्याओं के हैं फैन पेज-

फेसबुक पर 83 प्रतिशत वेश्याओं के फैन पेज बने हुए हैं। यह बात कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक रिसर्चर सुधीर वैंकटेशन ने सामने रखी थी। सुधीर की रिसर्च के मुताबिक पहले इन वेश्याओं ने खुद को क्रेगलिस्ट (Craigslist वेबसाइट) पर अडल्ट सर्विस कैटेगरी में रखा था इसके बाद ट्रेंड के बदलते ही यह सभी फेसबुक पर चली गईं।


फेसबुक पर अनफ्रेंड करने पर उतारा मौत के घाट-

फेसबुक की वजह से जुर्म भी होता है। इस बात का सबूत है अमेरिका के टेननेसी(Tennessee) में हुई हत्या। बिली क्ले और बिली जीन नाम (Billy Clay Payne Jr. और Billie Jean Hayworth) को जेनेले पोर्टन नाम की एक महिला को फेसबुक से अनफ्रेंड करना भारी पड़ गया। महिला के पिता ने इस बात से खफा होकर दोनों पति-पत्नी को मार दिया। इस घटना में उनका 8 महीने का बच्चा बच गया।
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ऐ राजा बनारस By Ravish Kumar Ji


रोज़ देखा जाने वाला, कहा जाने वाला, सुना जाने वाला लिखा जाने वाला और इन सबसे ऊपर जीया जाने वाला शहर है । इसकी इतनी परिभाषाएँ और व्यंजनाएं हैं कि यह शहर हर लफ़्ज़ के साथ कुछ और हो जाता है । लिखनेवाले की गिरफ़्त से निकल जाता है । मैं बनारस के ख़िलाफ़ किसी बनारस को खोजने निकला था मगर हर जगह मिला उसी बनारस से जिसे मीडिया ने एक टूरिस्ट गाइड की तरह एकरेखीय वृतांत में बदल दिया था । वृतांतों का रस है बनारस ।

दरअसल बनारस कोई शहर ही नहीं है । यह कभी था न कभी है और कभी रहेगा । शहर होता तो किसी पेरिस जैसा होता किसी लुधियाना सा होता या किसी दिल्ली सा । सड़कों दीवारों से बनारस नहीं है । बनारस है बनारस के मानस से । आचरण, विचरण और धारण से । जो भी मिला बनारस को धारण किये मिला । बनारसीपन । इसके बिना तो कोई बाबा विश्वनाथ को देख सकता है न बनारस को । यह बनारस का होकर बनारस को जीने का शहर है । यह न मेरा है न तेरा है न उसका है जो बनारस का है ।

बहुत कम हुआ जब लौट आने के बाद किसी शहर की याद आई । किसी शहर में जागने सा अहसास हुआ । सोचता रहा कि क्या लिखूँ बनारस पर । क्या नहीं लिखा जा चुका है । इस शहर के लोग किसी दास्तान की तरह मिलते हैं । क़िस्सों से इतने भरे हैं कि सुनाते सुनाते ख़ुद किसी किस्से में बदल जाते हैं । मिलने और बोलने का ऐसा रोमांच कहीं और महसूस नहीं हुआ । जो भी मिला उसे जितना मिलना चाहिए उससे ज़्यादा मिला । कम तो कोई मिला ही नहीं । कम तो हम दिल्ली वाले मिले । सोचते रह गए कि कितना मिले और सामने वाला पूरा मिलकर चला गया । बनारस को खोजना नहीं पड़ता है । कहीं भी मिल जाता है ।

हम बाबा ठंठई की दुकान पर थे । उनकी शान में क़सीदे पढ़ते रहे कि हर साल आपकी ठंडई एक मित्र से बुज़ुर्ग के हवाले से दिल्ली पहुँच जाती है । पिछले कई सालों से आपकी ठंडई पी रहा हूँ । कोई चालीस पचास साल से ठंडई बना रहे जनाब ने ऊपर देखा तक नहीं कि कौन है क्या बोल रहा है । बस किसी साधना की तरह ठंडई बनाने में लगे रहे । साधना ज़रूरी है । चाहे आप देश चलायें या ठंडई बनाये । मगर वही खड़ा किसी शख़्स ने किसी को भेजकर पान मँगवा दिया । लस्सी की दुकान का पता बता दिया । कार से गुज़रते वक्त पान और चाय की दुकानों पर लोगों को जमा देखा । रूककर खाकर बतियाते देखा । लगा कि इस शहर में लोग दफ़्तर दुकान जाने के अलावा भी घर से निकलते हैं । सुबह सुबह चाय पीने गया था । बस किसी ने किसी को कह दिया कि बाइक से इन्हें पार्क तक छोड़ आओ । बिना देखे बिना जाने उसने चाय छोड़ी और पार्क तक छोड़ आया । जिन्हें भी जीवन में बात करने की समस्या है । लगता है कि वो तर्क नहीं कर पाते । वो बनारस चले जायें । बोलने लग जायेंगे । ख़ासकर टीवी के ये बौराये और झुँझलाये एंकरों को हर साल बनारस जाना चाहिए ।

रेडियो मिर्ची के दफ़्तर गया था । नौजवान जौकियों के संसार में । बात करने की ऐसी शैली कि मेरा बस चले तो हर जौकी बनारस की सड़कों से उठा लाऊँ । सबके पास कुछ न कुछ अतिरिक्त था मुझे देने के लिए । आज के इस दौर में उनके पास बहुत सी गर्मजोशियां बची हुई है । जल्दी समझ गया कि यह टीवी में दिखने के कारण नहीं है । जो प्यार बह रहा है वो बनारस के कारण है । मिर्ची के इन मिठ्ठुओं से
मेरा भी दिल लग गया । तोते की तरह बोलता था वो मोटू ! तो शांत सँभल कर अमान और रह रहकर सोनी । एक से एक किस्सागो । बात बात में मैं विशाल के साथ लाइव हो गया । उनके कुछ और दोस्तों से मुलाक़ात हुई । हर मुलाक़ात में मैं बस इस शहर के लोगों में मिलने की फ़ितरत देख रहा था । कितना मिलते हैं भाई । भाइयों ने मेरी शान में दफ़्तर के भीतर चाट का एक स्टाल ही लगा दिया । टमाटर की चाट । वाह । दिल्ली वालों को पता चल गया तो हर नुक्कड़ और बारात में बेचकर खटारा बना देंगे ।

मुझे पता है कि जितना मिल जाता है उतना लायक नहीं हूँ । वैसे भी क्या करना है हिसाब कर । टीवी के फ़रेब के नाम पर प्यार ही तो मिल रहा है । मैं माया में यक़ीन करता हूँ । सब माया है । माया मिलाती है, माया रूलाती है और माया हंसाती है । घड़ी की दुकान में स्ट्रैप बदलवाने गया था । जनाब ने कोई स्पेशल जूस मँगवा दी । कहा कि पीते जाइये । ज़ोर देकर कहा कि मैं चाहता हूँ कि आप पीयें । ये बनारस का असली है । मैंने तो कहा भी नहीं था पर वो यह जूस पिलाकर काफी ख़ुश दिखे । इतने ख़ुश कि लाज के मारे शुक्रिया कहते न बना ।

वो पता नहीं कौन लड़का था । लंका चौक पर जहाँ बीजेपी का धरना चल रहा था । भयानक गर्मी थी । वो पहले जूस लाया फिर पार्कर पेन ख़रीद लाया खुद ही पैकेट से निकाल कर जेब में रख गया । किसी चैनल के फ़्रेम में देखकर वो महिला अपने पति और बेटी के साथ दौड़ी चली आई । हांफ रही थी । वो घर ले जाकर खाना खिलाना चाहती थी । काश मैं चला गया होता । और वो कौन था जो मिर्ची दफ़्तर के बाहर हम सबकी चाय के पैसे देकर चला गया । आठ दस लोगों की चाय के पैसे । मैं सोचता रह गया कि हमने कब किसी अजनबी के लिए ऐसा किया है । उफ्फ !

अजीब शहर है कोई ख़ाली हाथ मिलता ही नहीं है । ऐसा नहीं कि मैं टीवी वाला हूँ इसलिए लोग मिल रहे थे । मुझसे मिलने के बाद वहाँ मौजूद किसी से वैसे ही मिल रहे थे । हम दिल्ली वाले मिलना भूल गए हैं । काम से तो मिलते हैं मगर मिलने के लिए नहीं मिलते हैं । रोज़ दफ़्तर से लौटते वक्त ख़ाली सा लगता हूँ । अब तो मेरा एकांत ही मेरी भीड़ है । मैं भी तो कहीं नहीं जाता । जाने कब से अकेला रहना अच्छा लग गया । ग़नीमत है कि फेसबुक ट्वीटर है । जो भी अकेले में बड़बड़ाता हूँ लिख देता हूँ । अकेले बैठे बैठाए दुनिया से मिल आता हूँ । काम और शहर के अनुशासन की क़ीमत पर मुलाक़ात का बंद होना ठीक नहीं । हम मिलते तो यहीं बनारस बना देते । बनारस एक दूसरे से मिलता है इसलिए बनारस है । दिल्ली के नाम में तो दिल है मगर दिल है कहाँ । दिल्लगी है कहाँ और कहाँ है दीवानगी । बनारस में है । वहाँ के लोगों में है । आप सबने मुझे बेहतरीन यादें दी हैं । मैं बनारस को याद कर रहा हूँ ।
Photo: ऐ राजा बनारस ! रोज़ देखा जाने वाला, कहा जाने वाला, सुना जाने वाला लिखा जाने वाला और इन सबसे ऊपर जीया जाने वाला शहर है । इसकी इतनी परिभाषाएँ और व्यंजनाएं हैं कि यह शहर हर लफ़्ज़ के साथ कुछ और हो जाता है । लिखनेवाले की गिरफ़्त से निकल जाता है । मैं बनारस के ख़िलाफ़ किसी बनारस को खोजने निकला था मगर हर जगह मिला उसी बनारस से जिसे मीडिया ने एक टूरिस्ट गाइड की तरह एकरेखीय वृतांत में बदल दिया था । वृतांतों का रस है बनारस । दरअसल बनारस कोई शहर ही नहीं है । यह कभी था न कभी है और कभी रहेगा । शहर होता तो किसी पेरिस जैसा होता किसी लुधियाना सा होता या किसी दिल्ली सा । सड़कों दीवारों से बनारस नहीं है । बनारस है बनारस के मानस से । आचरण, विचरण और धारण से । जो भी मिला बनारस को धारण किये मिला । बनारसीपन । इसके बिना तो कोई बाबा विश्वनाथ को देख सकता है न बनारस को । यह बनारस का होकर बनारस को जीने का शहर है । यह न मेरा है न तेरा है न उसका है जो बनारस का है । बहुत कम हुआ जब लौट आने के बाद किसी शहर की याद आई । किसी शहर में जागने सा अहसास हुआ । सोचता रहा कि क्या लिखूँ बनारस पर । क्या नहीं लिखा जा चुका है । इस शहर के लोग किसी दास्तान की तरह मिलते हैं । क़िस्सों से इतने भरे हैं कि सुनाते सुनाते ख़ुद किसी किस्से में बदल जाते हैं । मिलने और बोलने का ऐसा रोमांच कहीं और महसूस नहीं हुआ । जो भी मिला उसे जितना मिलना चाहिए उससे ज़्यादा मिला । कम तो कोई मिला ही नहीं । कम तो हम दिल्ली वाले मिले । सोचते रह गए कि कितना मिले और सामने वाला पूरा मिलकर चला गया । बनारस को खोजना नहीं पड़ता है । कहीं भी मिल जाता है । हम बाबा ठंठई की दुकान पर थे । उनकी शान में क़सीदे पढ़ते रहे कि हर साल आपकी ठंडई एक मित्र से बुज़ुर्ग के हवाले से दिल्ली पहुँच जाती है । पिछले कई सालों से आपकी ठंडई पी रहा हूँ । कोई चालीस पचास साल से ठंडई बना रहे जनाब ने ऊपर देखा तक नहीं कि कौन है क्या बोल रहा है । बस किसी साधना की तरह ठंडई बनाने में लगे रहे । साधना ज़रूरी है । चाहे आप देश चलायें या ठंडई बनाये । मगर वही खड़ा किसी शख़्स ने किसी को भेजकर पान मँगवा दिया । लस्सी की दुकान का पता बता दिया । कार से गुज़रते वक्त पान और चाय की दुकानों पर लोगों को जमा देखा । रूककर खाकर बतियाते देखा । लगा कि इस शहर में लोग दफ़्तर दुकान जाने के अलावा भी घर से निकलते हैं । सुबह सुबह चाय पीने गया था । बस किसी ने किसी को कह दिया कि बाइक से इन्हें पार्क तक छोड़ आओ । बिना देखे बिना जाने उसने चाय छोड़ी और पार्क तक छोड़ आया । जिन्हें भी जीवन में बात करने की समस्या है । लगता है कि वो तर्क नहीं कर पाते । वो बनारस चले जायें । बोलने लग जायेंगे । ख़ासकर टीवी के ये बौराये और झुँझलाये एंकरों को हर साल बनारस जाना चाहिए । रेडियो मिर्ची के दफ़्तर गया था । नौजवान जौकियों के संसार में । बात करने की ऐसी शैली कि मेरा बस चले तो हर जौकी बनारस की सड़कों से उठा लाऊँ । सबके पास कुछ न कुछ अतिरिक्त था मुझे देने के लिए । आज के इस दौर में उनके पास बहुत सी गर्मजोशियां बची हुई है । जल्दी समझ गया कि यह टीवी में दिखने के कारण नहीं है । जो प्यार बह रहा है वो बनारस के कारण है । मिर्ची के इन मिठ्ठुओं से मेरा भी दिल लग गया । तोते की तरह बोलता था वो मोटू ! तो शांत सँभल कर अमान और रह रहकर सोनी । एक से एक किस्सागो । बात बात में मैं विशाल के साथ लाइव हो गया । उनके कुछ और दोस्तों से मुलाक़ात हुई । हर मुलाक़ात में मैं बस इस शहर के लोगों में मिलने की फ़ितरत देख रहा था । कितना मिलते हैं भाई । भाइयों ने मेरी शान में दफ़्तर के भीतर चाट का एक स्टाल ही लगा दिया । टमाटर की चाट । वाह । दिल्ली वालों को पता चल गया तो हर नुक्कड़ और बारात में बेचकर खटारा बना देंगे । मुझे पता है कि जितना मिल जाता है उतना लायक नहीं हूँ । वैसे भी क्या करना है हिसाब कर । टीवी के फ़रेब के नाम पर प्यार ही तो मिल रहा है । मैं माया में यक़ीन करता हूँ । सब माया है । माया मिलाती है, माया रूलाती है और माया हंसाती है । घड़ी की दुकान में स्ट्रैप बदलवाने गया था । जनाब ने कोई स्पेशल जूस मँगवा दी । कहा कि पीते जाइये । ज़ोर देकर कहा कि मैं चाहता हूँ कि आप पीयें । ये बनारस का असली है । मैंने तो कहा भी नहीं था पर वो यह जूस पिलाकर काफी ख़ुश दिखे । इतने ख़ुश कि लाज के मारे शुक्रिया कहते न बना । वो पता नहीं कौन लड़का था । लंका चौक पर जहाँ बीजेपी का धरना चल रहा था । भयानक गर्मी थी । वो पहले जूस लाया फिर पार्कर पेन ख़रीद लाया खुद ही पैकेट से निकाल कर जेब में रख गया । किसी चैनल के फ़्रेम में देखकर वो महिला अपने पति और बेटी के साथ दौड़ी चली आई । हांफ रही थी । वो घर ले जाकर खाना खिलाना चाहती थी । काश मैं चला गया होता । और वो कौन था जो मिर्ची दफ़्तर के बाहर हम सबकी चाय के पैसे देकर चला गया । आठ दस लोगों की चाय के पैसे । मैं सोचता रह गया कि हमने कब किसी अजनबी के लिए ऐसा किया है । उफ्फ ! अजीब शहर है कोई ख़ाली हाथ मिलता ही नहीं है । ऐसा नहीं कि मैं टीवी वाला हूँ इसलिए लोग मिल रहे थे । मुझसे मिलने के बाद वहाँ मौजूद किसी से वैसे ही मिल रहे थे । हम दिल्ली वाले मिलना भूल गए हैं । काम से तो मिलते हैं मगर मिलने के लिए नहीं मिलते हैं । रोज़ दफ़्तर से लौटते वक्त ख़ाली सा लगता हूँ । अब तो मेरा एकांत ही मेरी भीड़ है । मैं भी तो कहीं नहीं जाता । जाने कब से अकेला रहना अच्छा लग गया । ग़नीमत है कि फेसबुक ट्वीटर है । जो भी अकेले में बड़बड़ाता हूँ लिख देता हूँ । अकेले बैठे बैठाए दुनिया से मिल आता हूँ । काम और शहर के अनुशासन की क़ीमत पर मुलाक़ात का बंद होना ठीक नहीं । हम मिलते तो यहीं बनारस बना देते । बनारस एक दूसरे से मिलता है इसलिए बनारस है । दिल्ली के नाम में तो दिल है मगर दिल है कहाँ । दिल्लगी है कहाँ और कहाँ है दीवानगी । बनारस में है । वहाँ के लोगों में है । आप सबने मुझे बेहतरीन यादें दी हैं । मैं बनारस को याद कर रहा हूँ ।


Ravish Kumar
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भुलभुलैया का दौर हुआ खत्म

।। निराला ।।

बनारसी किसी को निराश नहीं करते. हताश नहीं करते. मान- मर्यादा का खूब ख्याल रखते हैं. परंपरागत तौर पर. पीढ़ियों से. बनारस का यह स्वभाव उसके  स्वाभाविक गुणों में है, दिखावे के लिए नहीं. इसे पतियाने के लिए किसी पान की दुकान पर जा सकते हैं.हर पान की दुकान पर पानी का एक टब रखा हुआ मिलेगा. साथ में लोटा भी. और दुकानदार पान देने के पहले कहेगा-‘ठंडा ल गुरु.
पिहले पानी पी ल, तब पान खईह.’ यह परंपरा किसी दूसरे शहर में शायद ही मिले. सब जगह अब लोग पानी खरीदकर पीते हैं. बनारसी फ्री में पानी पिलाते हैं. प्यार से. जो एकदम अनजान होते हैं, अजनबी होते हैं, वे इस बनारसियों के इस सहज स्वभाव को दूसरे रूप में ले लेते हैं. सोचते हैं कि अपनी दुकानदारी चलाने के लिए यह अतिरिक्त सेवा दे रहा है. और इसी हिसाब से वे व्यवहार भी करने लगते हैं. बनारसी रिएक्ट नहीं करते. अजनबी के व्यवहार पर हंसते हैं.
12 मई को जब बहुचर्चित बनारस सीट पर सुबह से वोटिंग की शुरु आत हुई, तब बनारसियों का वैसा ही स्वभाव दिखा. वे एक माह से अधिक समय से सबको मान-सम्मान देकर उन्हें उम्मीदों से लबरेज करते रहे. सुबह से शाम तक सहानुभूति भी दिखाते रहे, उत्साह भी बढ़ाते रहे और ऐसे प्यार से, दिल खोलकर तारीफ करते रहे कि अजय राय, अरविंद केजरीवाल से लेकर दूसरे कई उम्मीदवारों को भी भरोसा होता गया कि मोदी की लहर को वे रोक रहे हैं. दो दिनों पहले तक बनारसी ऐसे ही फंसाये रखे सबको. अनुमान लगाना मुश्किल हो गया. अजय राय को भी, केजरीवाल को भी और यहां तक कि मोदी को भी.
दो दिनों पहले एक ही दिन राहुल गांधी और अखिलेश यादव बनारस रोड शो करने पहुंचे थे. पहले राहुल गुजरे. सड़क किनारे भीड़ थी. राहुल आगे बढ़ते गये, भीड़ पीछे छुटती रही और फिर फटाफट पॉकेट से समाजवादी पार्टी का टोपी निकालकर पहनती रही. इस बतकही के साथ कि गुरु राहुलवा भी देश के बड़का नेता हौ, ओके स्वागत में भीड़ ना जुटित तो ई तो बनारस के बेइज्जती होखित ना. फिर अखिलेश के स्वागत के पहले भी यही तर्क- गुरु आखिर जईसन भी हौ, हौ तो आपन राज्य के मुख्यमंत्री ना, एक्के भी स्वागत करेके चाहीं, एके बुरा लागी, जब भीड़ ना लागी.
राहुल और अखिलेश, दोनों भ्रम में पड़े होंगे भीड़ देखकर लेकिन उस भीड़ में ही इस तरह की बतकही करनेवाले बहुतेरे थे, जो बनारस की मान-मर्यादा का ख्याल करते हुए दोनों नेताओं का तहे दिल से स्वागत किये और फिर शाम को अस्सी तीरस्ता पर पप्पू की चाय दुकान से लेकर मैदागिन में शकील मियां की अड़ी तक राष्ट्र, राष्ट्रवाद से गंगा, बनारस, देश और भी न जाने क्या-क्या बात करते रहे. 12 मई को बनारस में भुलभुलैया का दौर खत्म हुआ.
हिंदू इलाके में भी. मुसलिम इलाके में भी. जो मोदी वाले थे, खुलकर मोदी के साथ गये. जिन पर सपा, कांग्रेस की नजर थी, वे बहुतायत में केजरीवाल के साथ हो गये. दोपहर तक मैसेज के जरिये मुसलमानों के पास यह संदेशा जाता रहा कि अभी अभी मसजिदों से यह तय हुआ है कि वोट कांग्रेस को करना है. आम आदमी पार्टी वाले कहते रहे कि यह भाजपाइयों की चाल है. मोदी केजरीवाल से हार रहे हैं, इसलिए मुसलमानों का वोट कांग्रेस की ओर टर्न करवाकर भाजपाई अपनी जीत किसी तरह पक्की करना चाहते हैं. आप वालों के इस तर्क में दम नहीं था. मुसलमानों ने माना कि यह चाल भाजपा की बजाय कांग्रेस की है. मैसेज वाली चाल किसकी थी, नहीं पता.
बनारस से कौन जीतेगा, इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती. लेकिन बनारस ने इस बार उत्तर प्रदेश से लेकर देश की सियासत के समीकरण को गड़बड़ाने के संकेत दिये हैं. कांग्रेस की परेशानी बढ़ेगी, क्योंकि बनारस के जरिये, केजरीवाल के जरिये उनके परंपरागत मुसलिम मतों में सेंधमारी करने के लिए मुलायम सिंह व सपा के बाद केजरीवाल जैसे तत्व भी पनप रहे हैं. मुलायम की परेशानी भी बढ़ेगी, क्योंकि केजरीवाल उनके लिए भी कोई अच्छे संकेत देकर नहीं जायेंगे बनारस से.        
किसकी जीत होगी, किसकी हार होगी, यह 16 को पता चलेगा. मोदी की जीत होती है तो यह कोई आश्चर्यजनक जीत नहीं होगी. केजरीवाल अगर हारते भी हैं और सच में, जैसा कि माहौल दिखा, वे मुसलमानों का भारी मत प्राप्त कर बनारस से लौटते हैं तो फिर वे एक नयी जीत लेकर ही जायेंगे. भाजपा को भयभीत करनेवाले तत्व की तरह भी साबित होंगे, कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बनेंगे और सपा की तरह राजनीति करनेवाली दूसरे क्षेत्रीय दलों की नींद हराम करनेवाले तत्व भी बन जायेंगे.
फिलहाल चुनाव खत्म होने के बाद बनारस फिर से अतीत के खोल में समा गया है. बनारसी अपने शहर से लाल बहादुर शास्त्री के बाद दूसरे प्रधानमंत्री देने के लिए मोदी के हाई फाई और हाई प्रोफाइल लाव-लश्कर और चमचमाहट की खुलेआम आलोचना करने के बावजूद मोदी के साथ भेड़ियाधसान चाल में जाते हुए दिखे. बनारसी कह रहे हैं कि यह मोदी का तो करिश्मा था ही, एक पुरानी कसक भी बनारसियों को उभर गयी. वही कसक कि इस शहर के ही शास्त्री जब पीएम बने थे तो कांग्रेसियों ने, नेहरू-गांधी परिवार ने उन्हें भाव ही नहीं दिया था. अब दूसरा प्रधानमंत्री देकर कांग्रेस और नेहरू गांधी परिवार से उस अपमान का बदला लेंगे. बनारसी भाजपा को विजयी बनवायेंगे भी तो भाजपा को हरवाने का गुमान पाले रखेंगे, क्योंकि बनारसियों को लगता है कि वे दिखावे के लिए अरविंद केजरीवाल के पक्ष में इतने चले गये कि भाजपा ने बनारसियों से घबराकर आखिरी में कह दिया कि प्रधानमंत्री बनारस का ही होगा.
(लेखक तहलका  पत्रिका के विशेष संवाददाता हैं. यह आलेख उनके फेसबुक वाल से साभार.)
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हम किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं डरते: आयोग


भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की बनारस रैली पर विवाद इतना बढ़ा कि चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए जाने लगे.

इन सवालों का जवाब देने के लिए चुनाव आयोग ने दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिए अपना पक्ष स्पष्ट किया है.

मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने प्रेस कांफ्रेस के जरिए अपनी बात रखते हुए कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव का प्रबंधन पटरी पर है और किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है.

क्लिक करें मोदी को इजाज़त न देने के ख़िलाफ़ भाजपा का धरना

संपत ने निराशा जाहिर करते हुए कहा, "चुनाव आयोग के खिलाफ तीखे बयान दिए जा रहे हैं. हम फिर से आप सबको आश्वस्त करना चाहते हैं कि चुनाव आयोग सख्तीपूर्वक निष्पक्ष तरीके से काम कर रहा है."
निष्पक्ष चुनाव
बनारस में बेनियाबाग़ में नरेंद्र मोदी को गुरुवार को जनसभा करने की अनुमति नहीं मिलने पर काफी विवाद खड़ा हो गया. नरेंद्र मोदी ने चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया था.

मोदी ने उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "मैं बहुत ज़िम्मेदारी के साथ चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगा रहा हूं. चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है."



मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने कहा कि उन्हें बेहद आश्चर्य और निराशा हो रही है कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं.

उन्होंने ये भी कहा, "स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो, इसके लिए हमने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. चुनाव आयोग ने निष्पक्षता और तटस्थता के साथ अपनी जिम्मेदारियों को पूरा किया है."

वीसी संपत ने आगे कहा, "हम किसी राजनीतिक दल या संस्था से नहीं डरते."
सुरक्षा का मसला
दिल्ली में बुलाए गए प्रेस कांफ्रेस में चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों से गुजारिश की कि वे आयोग का जिक्र करते हुए ज्यादा परिपक्वता का परिचय दें.

चुनाव आयोग प्रमुख ने कहा, "हम रैली की अनुमति देने में असमर्थ थे लेकिन इसे विवाद का विषय बना दिया गया. जब भी सुरक्षा का मुद्दा उठता है, चुनाव आयोग स्थानीय प्रशासन के सुझावों के हिसाब से अपने कदम उठाती है."

मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने कहा, "हम ये आश्वासन देना चाहते हैं कि चुनाव आयोग पूरी दृढता से और निष्पक्ष तरीके से काम कर रहा है."

चुनाव आयोग की ओर से बनारस में रैली की आज्ञा नहीं दिए जाने के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को दिल्ली और बनारस में धरना दिया.
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मोदी को इजाज़त न देने के ख़िलाफ़ भाजपा का धरना

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को बनारस में बेनियाबाग़ में जनसभा करने की अनुमति नहीं मिलने के ख़िलाफ़ पार्टी कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को दिल्ली और बनारस में धरना दिया.

मोदी ने चुनाव आयोग पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है. मोदी ने उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "मैं बहुत ज़िम्मेदारी के साथ चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगा रहा हूं. चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है."

हमारे संवाददाता मगरू भांग वाले के मुताबिक़ दिल्ली में भाजपा के नेता वेंकैया नायडू, मुख्तार अब्बास नकवी और मीनाक्षी लेखी के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ता चुनाव आयोग के दफ़्तर तक जुलूस के रूप में पहुँचे मगर उन्हें संसद मार्ग पर ही रोक दिया गया.

धरना

दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन को देखते हुए पूरे इलाक़े में धारा 144 लागू कर दी है और सड़क पर बैरीकेड लगा दिए गए हैं.

बनारस में मौजूद संवाददाता अजित के मुताबिक़ भाजपा के धरने के कारण शहर की अधिकांश सड़कें जाम हैं. ख़ासकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की ओर जाने वाली सड़कें इससे सर्वाधिक प्रभावित हैं.

पूरे बनारस में पुलिस की गाड़ियां गश्त कर रही हैं. सैकड़ों की संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता मोदी के समर्थन में नारे लगाते हुए जुलूस की शक्ल में निकले और उन्होंने बीएचयू के गेट पर मदन मोहन मालवीय की मूर्ति के नीचे धरना दिया. मोदी समर्थकों का आरोप है कि अखिलेश यादव की सरकार और चुनाव आयोग ने मिलकर मोदी की रैली नहीं होने दी और इसके विरोध में वे सड़कों पर उतरे हैं.
छात्रों को परेशानी

भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली और पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रभारी अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया.

इस बीच काशी हिंदू विश्विद्यालय में परीक्षाओं का दौर जारी है. गुरुवार को भी तमाम छात्र परीक्षा देने पहुँचे लेकिन उनके सामने यह है कि परीक्षा देने के बाद घर कैसे पहुँचें.

वनस्पति विज्ञान की एक छात्रा का कहना था, "मैंने अपने पापा को मुझे लेने के लिए बुलाया है लेकिन समस्या यह है कि वो यहां पहुँचेंगे कैसे."

बीएचयू से इतर बाक़ी बनारस की सड़कों पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता झंडों, पोस्टरों और पार्टी के चुनाव चिह्न झाड़ू के साथ चौराहों पर खड़े हैं. वे अरविंद केजरीवाल के समर्थन में नारे लगा रहे हैं. केजरीवाल बनारस से मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रहे हैं.

मोदी को बेनियाबाग़ मैदान में जनसभा की अनुमति नहीं मिली है लेकिन उन्हें दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की अनुमति दे दी गई है.







मोदी ने ट्वीट कर के कहा है कि वे गंगा आरती नहीं कर पाएंगे. मोदी ने कहा, "मैं आरती न कर पाने के लिए गंगा माँ से माफ़ी माँगता हूँ. काश ये लोग समझ पाते कि माँ का प्यार राजनीति से ऊपर होता है."
मोदी को चुनौती


इस बीच आम आदमी पार्टी के संयोजक और बनारस से उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल ने कई सिलसिलेवार ट्वीट कर मोदी पर सवाल उठाए हैं. केजरीवाल ने ट्वीट किए, "मैं श्री मोदी को सार्वजनिक मंच पर खुली चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूँ. काशी को लोगों को हम दोनों से सीधे सवाल पूछने दो. वक़्त और जगह मोदी की पसंद की होगी."




"मोदीजी को गंगा आरती करने की अनुमति मिल गई है. लेकिन वो आरती करने के बजाए इससे राजनीतिक फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. यह दुखद है."

"बीजेपी के शीर्ष नेता काशी पहुँच गए हैं. यह उनका घबराहट दर्शाता है. क्या वे मोदी जी को हार से बचा पाएंगे?"

 
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ये तो बीजेपी का आई टी सेल है

विष का उत्स :
हम तो सब पर नज़र रखते हैं जी



आइये आपको दिखाते हैं कहा से आपको दी जाती है गालियाँ अगर आप मोदी के विरोध में सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखते हैं


अगर आप मोदी-भक्तों की गालियों को सीरियसली लेते हैं तो यह पोस्ट खासकर आपके लिए है. दरअसल जो बेचारे युवा गण मोदी जी के लिए अपनी जान न्योछावर करते नज़र आते हैं या फिर उनकी शान में उनकी तरफ से भद्दी भद्दी गालियाँ बकते हैं वो नाम और आई डी रियल होती ही नहीं है. बीस से पैतीस हज़ार रुपये पाने के लिए बेरोजगार युवा मजबूर होते हैं ऐसा करने के लिए.

तस्वीर में आप साफ़ देख सकते हैं कि सोशल मीडिया पार जो भाषा ये लोग इस्तेमाल करते हैं दरअसल वो मोदी या उनके ख़ास लोगों के इशारे पर होता है. फिर इन्हें सीरियसली क्यूँ लेना.

बीजेपी भी असलियत जानती है कि ये फेक आई डी वोट दिलाने में कितना कामयाब हो पायेंगे और कितना नाकाम ..
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दिग्विजय की शादी में सनी करें स्ट्रिप डांस, दूंगा एक करोड़', पढ़ें कौन बोला


मुंबई. ट्वीट्स को लेकर हमेशा विवादों में रहने वाले अभिनेता और पॉलिटिशियन कमाल राशिद खान यानी केआरके एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने एक्ट्रेस सनी लियोनी को निशाना बनाया है। सनी ने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत की है। सनी ने केआरके पर ट्विटर पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया है। ख़बरों की मानें तो केआरके ने बीते दिनों एक ट्वीट में सनी लियोनी का स्ट्रिप शो कराने की इच्छा जताई थी और इसके लिए एक करोड़ रुपए अदा करने की बात कही थी। उन्होंने यह शो कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और पत्रकार अमृता राय की शादी में कराने की इच्छा जताई थी।

क्या लिखा था ट्वीट में :

केआरके ने ट्वीट में लिखा था, "मैं दिग्विजय सिंह जी से निवेदन करता हूं कि वे अपनी शादी में सनी लियोनी का स्ट्रिप शो कराएं। इसके एवज में मैं कांग्रेस के पार्टी फंड में एक करोड़ रुपए जमा कराऊंगा।"

सनी लियोनी ने दर्ज कराया मुकदमा :

इस ट्वीट को देखने के बाद सनी के वकील रिजवान सिद्धिकी ने केआरके के खिलाफ ताजा मामला दर्ज कराया है। एक लीडिंग अखबार से बात करते हुए सिद्धिकी ने मामले का खुलासा किया। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस इस शिकायत को गंभीरता से नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर भी पुलिस ढीला रवैया अपना रही है। सिद्धिकी ने पुलिस को चेतवानी देते हुए कहा है कि यदि वह मामले को सुलझाने में असफल रहती है तो उसके खिलाफ भी शिकायत की जाएगी।


पहले भी दर्ज कराया जा चुका है मामला :

यह पहला मौक़ा नहीं है, जब सनी लियोनी ने केआरके के खिलाफ अपमानित करने का आरोप लगाया है। इससे पहले भी एक बार उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा चुकी हैं। बात फरवरी 2013 की है, सनी ने साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन सेल को शिकायत करते हुए बताया था कि केआरके सोशल साइट्स पर उनके खिलाफ अपशब्द इस्तेमाल कर उन्हें अपमानित कर रहे हैं। दरअसल , एक रेप केस के संदर्भ में सनी ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि रेप अपराध नहीं है। सनी के इस बयान के बाद केआरके ने उनपर चुटकी लेते हुए ट्वीट किया था, "ये लो...सनी लियोनी कहती हैं, रेप एक अपराध नहीं है, यह तो सरप्राइज सेक्स है।" कमाल के इस ट्वीट के बाद सनी ने उनके खिलाफ शिकायत की थी।


सनी लियोनी को लिया था निशाने पर :

सनी लियोनी अक्सर कमाल खान के निशाने पर रही हैं। हाल ही में उनसे स्ट्रिप शो कराने की इच्छा जाहिर कर चुके केआरके  उनके साथ फिल्म करने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने ट्विटर पर यह इच्छा जाहिर की थी कि वे सनी के साथ देशद्रोही-2 बनाना चाहते हैं, जो 6डी में होगी। ऐसा क्यों? यह आप केआरके का वह ट्वीट पढ़कर खुद जान जाएंगे। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा था, "मैं सनी लियोनी के साथ देशद्रोही-2 बनाना चाहता हूं। यह फिल्म 6डी में होगी, ताकि लोग सनी की एक्टिंग आराम से देख सकें...या..या..या..ओह..या..कम ऑन बीप बीप बीप..."


धनुष को कह चुके जमादार :

साल 2013 में रिलीज हुई आनंद राय निर्देशित 'रांझणा' के रिव्यू वीडियो में कमाल ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस बार उनके निशाने पर थे साउथ स्टार धनुष। धनुष ने 'रांझणा' से बॉलीवुड में डेब्यू किया है। इस फिल्म में उनके साथ सोनम कपूर ने अभिनय किया है। अपने रिव्यू में कमाल ने कहा था, "सर, मैं नहीं जानता कि आप यूपी के हैं या नहीं। लेकिन मैं यूपी का हूं। यूपी में आपको धनुष की शक्ल जैसे ***** और जमादार तो दिख जाएंगे, लेकिन उनके जैसा गंदा दिखने वाला एक भी ब्राह्मण नहीं मिलेगा।"


प्रियंका की वर्जिनिटी पर उठा चुके सवाल :

सितंबर 2013 में केआरके ने प्रियंका चोपड़ा को निशाने पर लेते हुए उनकी वर्जिनिटी पर सवाल उठाया था। उन्होंने ट्वीट करते हुए पूछा था, "मैं प्रियंका चोपड़ा जी मैडम जी से सिर्फ एक सवाल पूछना चाहता हूं, क्या वे भी राखी सावंत की तरह वर्जिन है।" इतना ही नहीं इस दौरान केआरके ने प्रियंका की फिल्म जंजीर का भी मजाक उड़ाया था। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि बेचारी प्रियंका चिल्ला-चिल्लाकर कहती रहीं, पैसा फेंक तमाशा देख, लेकिन लोगों ने कहा, फ्री में भी दिखाओ तो भी नहीं देखना। इतना ही नहीं, कुछ दिनों बाद केआरके ने पिग्गी चोप्स को पनौती तक कह डाला था।


हुमा कुरैशी से की सेक्स की मांग :

कमाल आर खान ने उस वक्त तो हद ही कर दी, जब उन्होंने बॉलीवुड एक्ट्रेस हुमा कुरैशी से खुलेआम सेक्स की मांग की।उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा था, "मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं, यदि आप बुरा न मानें तो। मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूं...हाहाहाहा" उन्होंने आगे लिखा था, "सिर्फ हुमा कुरैशी और 'कहके लूंगा' डायलॉग्स की खातिर मैं दूसरी बाद गैंग्स ऑफ़ वासेपुर देख रहा हूं।"


महेश भट्ट और एकता पर साध चुके निशाना :

कमाल राशिद खान डायरेक्टर-प्रोड्यूसर महेश भट्ट और एकता कपूर को भी निशाने पर ले चुके हैं। एक बार उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा था, "यदि महेश भट्ट देश के राष्ट्रपति हों और एकता कपूर प्रधानमंत्री, तो वे हर सुबह सनी लियोनी जैसी 1000 पोर्न स्टार्स से रोज इंडिया गेट पर परेड करवाएं।"


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काशी के काल भैरव मंदिर में प्रिटी जिंटा ने किया विशेष अनुष्ठान, देखें तस्वीरें


वाराणसी. किंग्स एलेवन पंजाब की मालकिन और फिल्म अभिनेत्री प्रिटी जिंटा अपनी टीम की जीत के लिए दर्शन करने कालभैरव मंदिर पहुंचीं। बीस मिनट से ऊपर अनुष्ठान करने के बाद वह मंदिर से बाहर आईं। उन्होंने बाबा कालभैरव से प्रार्थना किया कि इस बार उनकी टीम को जीत मिले। उन्होंने शरारती अंदाज में कहा आईपीएल में टीम की जीत के लिए भगवान को मक्खन लगाने आई हूं। 
बताते चलें कि आईपीएल के इस सीजन में किंग्स एलेवन पंजाब अभी तक अपने सभी पांच मैचों को जीतकर नंबर वन की पोजिशन पर है।

इस दौरान उन्होंने banarsimasti.blogspot.com खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि उनकी टीम इस समय बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है। सारे प्लेयर अपना परफॉर्मेंस अच्छी तरह से दे रहे हैं। भगवान के दरबार में इसलिए आई हूं, ताकि ये परफॉर्मेंस फाइनल जीत तक बरकरार रहे। भगवान, हमारी टीम के खिलाड़ियों को मजबूती प्रदान करे। टीम की फील्डिंग, बैटिंग, बॉलिंग सबकुछ इसी तरह उम्दा बना रहे।

सहवाग हैं फेवरेट खिलाड़ी
 


उन्होंने कहा कि टीम का हर खिलाड़ी बेहतरीन है। मैक्सवेल, डेविड मिलर सभी शानदार खेल रहे हैं, लेकिन सहवाग उनके सबसे पसंदीदा खिलाड़ी हैं। उन्होंने कहा कि सहवाग जब मैदान में खेलते हैं, तो दबाव 100 फीसदी दूसरी टीम पर रहता है। वह मैदान के चारों ओर शॉट लगाने में माहिर हैं। जब वह क्रीज पर होते हैं, स्कोर बोर्ड दौड़ता रहता है। सामने का बैट्समैन भी रन मशीन बन जाता है।

आगे जानिए

नरेंद्र मोदी पर क्या बोलीं प्रिटी जिंटा...

कहा- मोदी को पीएम के रूप में देखना चाहती हूं
banarsimasti.blogspot.com से खास बातचीत में उन्होंने चार साल पहले दिए गए अपने उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने नरेंद्र मोदी को देश की जनता से पीएम बनाने की बात कही थी। प्रीति जिंटा ने कहा कि वह नरेंद्र मोदी की फैन हैं। देश की जनता उनको इस बार पीएम के रूप में देखना चाहती है। प्रीति जिंटा ने कहा यदि  विकास देखना है, तो गुजरात जाकर देखें।

आगे पढ़िए प्रीति ने कहा राजनीति में बच्चे हैं केजरीवाल...

केजरीवाल पर भी बोलीं प्रीति जिंटा


खास बातचीत में प्रीति जिंटा ने कहा कि केजरीवाल को अभी राजनीति सीखनी चाहिए। वह अभी राजनीति में बच्चे की तरह हैं। आम आदमी पार्टी ने जन्म लेते ही दौड़ लगाना शुरू कर दी, जबकि बच्चा जब जन्म लेता है, तो खड़ा होना सीखता है। फिर चलना सीखता है और बाद में दौड़ लगाता है।

उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने पहले दौड़ लगाई, फिर चलना सीखा और अब गिर रहे हैं। साथ ही आईपीएल की मालकिन प्रीति जिंटा ने कहा कि उनकी सादगी का कोई जबाब नहीं है। वह मेहनत बहुत करते हैं।

आगे देखिए वाराणसी पहुंची प्रीति जिंटा की खास तस्वीरें...







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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
Copyright © 2014 बनारसी मस्ती के बनारस वाले Designed by बनारसी मस्ती के बनारस वाले
Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!