मेरे गाँव के दो तीन टोले में परसों से ही चर्चा हो रही थी कि कोई हकीम साहब आए हैं। हर समस्या का समाधान है इनके पास। और गुप्त रोगों का इलाज भी कर रहे हैं।स्वप्नदोष, वशीकरण, तलाक, मनचाही नौकरी से लेकर मनचाही शादी भी करा रहे हैं।
सच कहूं तो अजीब सी समस्या से जूझ रहा हूँ। रोज रात को सोते समय सपने आते हैं और बिस्तर गीला हो जाता है। बहुत प्रयास किया कि आत्मनियंत्रण रखूं। कुछ योग-जोग भी किए। ध्यान-समाधि भी लगाई। पर मन है कि और अधिक 'असहिष्णु' होता जा रहा है।होम्योपैथी से लेकर कीमोथेरेपी तक करा ली लेकिन कुछ दिनों तक ठीक रहता है फिर समस्या जस की तस। बड़ी चर्चा सुनने के बाद आज इस क्लिनिक में पहुंच ही गया।
क्लिनिक क्या था! बस एक बड़ी सी दरी बिछाकर हकीम साहब बैठे थे। लाउडस्पीकर पर कैसेट अपनी नियमित आवाज में बोल रहा था - अगर आप 'स्वप्नदोष' की समस्या से पीड़ित हैं।सोने पर सपने परेशान करते हैं। बिस्तर भीग जाता है तो चले आइए हमारे क्लीनिक में। मात्र एक हफ्ते में गारंटी के साथ इलाज ठीक हो जाएगा।"..... मैंने देखा कि डिब्बों में हिमालय पर्वत से प्राप्त जड़ी बूटियां सुशोभित हो रही थी। कुछ बूढ़े 'शिलाजीत' की पुड़िया जेब में रखकर सेवन की विधि समझ रहे थे। एक युवा अपनी समस्या बता रहा था कि 'हेमवंती' के लिए हम क्या क्या नहीं किए पर वो कह रही है कि- "हम तुमको उस नजर से नहीं देखते"। हकीम साहब ने एक नीली डिबिया से एक जड़ी निकाल कर उसे दिया और जाप करने वाला मंत्र उसके कानों में बता दिया।
आधे घंटे इन्तजार के बाद मेरा नंबर आया।हकीम साहब ने अपने बारे में बताया कि वो जालौन से आए हैं। अमिताभ बच्चन देवानंद और राजेश खन्ना के पारिवारिक हकीम यही हैं। पहले तो यकीन नहीं हुआ पर उन्होंने सैकड़ों फोटो दिखाए। किसी में अमिताभ बच्चन से हाथ मिला रहे थे तो किसी में जान अब्राहम से। एक फोटो कैटरीना कैफ के साथ भी थी।अब संदेह का सवाल ही नहीं था।
मैंने आह भरते हुए कहा - हकीम साहब आप तो बहुत पहुंचे हुए हैं। फिर बड़ा सा क्लिनिक क्यों नहीं खोल लेते?
हकीम साहब ने कहा कि - बबुआ हमको एम्स में आयुर्वेद विभाग का हेड बनाया जा रहा था लेकिन हमने गांव-देहात की सेवा का व्रत लिया है न।
खैर! नाड़ी विशेषज्ञ हकीम साहब ने मेरी नब्ज हाथ में पकड़ी और मुस्कुराते हुए कहा कि- आत्महत्या के बिचार आते हैं न?
मैं स्तब्ध रह गया। नब्ज मेरी और पता हकीम साहब को।हाय! अभी कल ही तो सोच रहा था कि - 'आह! मानव जीवन कितना निरुपाय' ।
हकीम साहब ने कहा कि - लड़की का नाम क्या है?
मैंने कहा कि- हकीम साहब आप गलत समझ रहे हैं।लड़की का चक्कर नहीं है। मेरा दिल 'आवास विकास कालोनी' है। कोई जब चाहे आ सकता है, जब चाहे जा सकता है।
हकीम साहब ने कहा कि - तब तुम्हारी समस्या क्या है?
मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा कि - रात में सपने आते हैं। बिस्तर गीला हो जाता है।
हकीम साहब मुस्कुराए और नीली डिबिया से जड़ी निकाली मंत्र पढ़ा और सुबह शाम दूध में डाल कर पीने को बताया।
मैंने कहा कि - हकीम साहब ये जड़ी तो हेमवंती वाली है।
हकीम साहब ने कहा कि - बबुआ असली चीज मंत्र है। जड़ी बूटी नहीं।
मैंने जड़ी जेब में रखते हुए कहा कि - हकीम साहब ठीक तो हो जाऊंगा न?
हकीम साहब ने कहा कि - एकदम ठीक हो जाओगे बबुआ। ये बताओ कि कब से है ये बीमारी?
मैंने बताया कि - जब से बैंक में खाता खुलवाया है तब से।
हकीम साहब ने कहा कि मैं समझा नहीं। रोग का डिटेल बताओ।
मैंने बताया कि - हकीम साहब मोदी जी ने कहा था कि खाता खुलवा लो मैं पन्द्रह लाख रुपये खाते में डालूंगा। तबसे रोज रात को सोने पर वही पन्द्रह लाख रुपये सपने में आते हैं। और आंसुओं से बिस्तर गीला हो जाता है।
अचानक हकीम साहब भावुक हो गए। फिर मेरे कन्धे पर सिर टिकाकर रो पड़े। और रोते रोते कहा - बबुआ यही तो 'स्वप्नदोष' की बीमारी है। सच बताऊँ तो ये बीमारी मुझे भी है। मैंने भी जबसे खाता खोला है तब से मेरा भी बिस्तर गीला हो जाता है। ये लाइलाज बीमारी है बबुआ।अब मैं ही नहीं हकीम साहब भी 'असहिष्णु' हो रहे थे। =D
असित कुमार मिश्र
बलिया
1 comments:
Gadarrrrr
आपके स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा देती हैं जिसके लिए हम आप के आभारी है .
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