बनारस में हनुमान मंदिर

संकट मोचन मन्दिर

काशी प्रवास के दौरान रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने आराध्य हनुमान जी के कई मंदिरों की स्थापना की। उनके द्वारा स्थापित हनुमान मंदिरों में से एक संकटमोचन मंदिर भक्ति की शक्ति का अदभुत प्रमाण देता है। इस मंदिर में स्थापित मूर्ति को देखकर ऐसा आभास होता है जेसै साक्षात हनुमान जी विराजमान हैं। मान्यता के अनुसार तुलसीघाट पर स्थित पीपल के पेड़ पर रहने वाले पिचास से एक दिन तुलसीदास का सामना हो गया। उस पिचाश ने तुलसीदास को हनुमानघाट पर होने वाले रामकथा में श्रोता के रूप में प्रतिदिन आने वाले कुष्ठी ब्राह्मण के बारे में बताया। इसके बाद तुलसीदास जी प्रतिदिन उस ब्राह्मण का पीछा करने लगे। अन्ततः एक दिन उस ब्राह्मण ने तुलसीदास जी को अपना दर्शन हनुमान जी के रूप में दिया। जिस स्थान पर तुलसीदास जी को हनुमान जी का दर्शन हुआ था उसी जगह उन्होंने हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर संकटमोचन का नाम दिया। साढ़े आठ एकड़ भूमि पर फैला संकटमोचन मंदिर परिसर हरे-भरे वृक्षों से आच्छादित है। दुर्गाकुण्ड से लंका जाने वाले मार्ग पर करीब 3 सौ मीटर आगे बढ़ने पर दाहिनी ओर कुछ कदम की दूरी पर ही मंदिर का विशाल मुख्य द्वार है। मुख्य द्वार से मंदिर का फासला करीब 50 मीटर का है। मुख्य मंदिर में हनुमान जी की सिन्दूरी रंग की अद्वितीय मूर्ति स्थापित है। माना जाता है कि यह हनुमान जी की जागृत मूर्ति है। गर्भगृह की दीवारों पर लिपटे सिन्दूर को लोग अपने माथे पर प्रसाद स्वरूप लगाते हैं। गर्भगृह में ही दीवार पर नरसिंह भगवान की मूर्ति स्थापित है। हनुमान मंदिर के ठीक सामने एक कुंआ भी है जिसके पीछे राम जानकी का मंदिर है। श्रद्धालु हनुमान जी के दर्शन के उपरांत राम जानकी का भी आशीर्वाद लेते हैं। वहीं एक तरफ शिव मंदिर है। इस भव्य और बड़े हनुमान मंदिर में अतिथिगृह भी है जिसमें मंदिर में होने वाले तमाम सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने आये अतिथि विश्राम करते हैं। हनुमान जी के मंदिर के पीछे हवन कुण्ड है जहां श्रद्धालु पूजा पाठ करते हैं। शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित इस मंदिर में बंदरों की बहुतायत संख्या है। पूरे मंदिर में बंदर इधर-उधर उछल कूद करते रहते हैं। कभी-कभी तो ये बंदर दर्शनार्थियों के पास आकर उनसे प्रसाद भी ले लेते हैं। हालांकि झुंड में रहने वाले ये बंदर किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। मंदिर में हनुमान जी की पूजा नियत समय पर प्रतिदिन आयोजित होती है। पट खुलने के साथ ही आरती भोर में 4 बजे घण्ट-घड़ियाल नगाड़ों और हनुमान चालीसा के साथ होती है जबकि संध्या आरती रात नौ बजे सम्पन्न होती है। आरती की खास बात यह है कि सबसे पहले मंदिर में स्थापित नरसिंह भगवान की आरती होती है। मौसम के अनुसार आरती के समय में आमूलचूल परिवर्तन भी हो जाता है। दिन में 12 से 3 बजे तक मंदिर का कपाट बंद रहता है। आरती के दौरान पूरा मंदिर परिसर हनुमान चालीसा से गूंज उठता है। हनुमान जी के प्रति श्रद्धा से ओत-प्रोत भक्त जमकर जयकारे लगाते हैं। वहीं मंगलवार और शनिवार को तो मंदिर दर्शनार्थियों से पट जाता है। इस दिन शहर के अलावा दूर-दूर से दर्शनार्थी संकटमोचन दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। माहौल पूरी तरह से हनुमानमय हो जाता है। कोई हाथ में हनुमान चालीसा की किताब लेकर उसका वाचन करता है तो कुछ लोग मंडली में ढोल-मजीरे के साथ सस्वर सुन्दरकांड का पाठ करते नजर आते हैं। बहुत से भक्त साथ में सिन्दूर और तिल का तेल भी हनुमान जी को चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं। इस तरह मंदिर में हमेशा भक्तों की आवाजाही का सिलसिला लगा रहता है। वैसे यहां होने वाले कार्यक्रमों की बात की जाये तो सालभर कुछ न कुछ बड़े आयोजन होते रहते हैं लेकिन हनुमान जयंती, राम जयंती और सावन महीने में मंदिर में होने वाले कार्यक्रमों की बात ही निराली है। मंदिर में हर साल अप्रैल महीने में हनुमान जयंती मनायी जाती है। जयंती के अवसर पर हनुमान जी की भव्य झांकी सजायी जाती है। साथ ही इस मौके पर होने वाला पांच दिवसीय संकटमोचन संगीत समारोह तो काफी प्रसिद्ध है। यह कार्यक्रम विशुद्ध रूप से शास्त्रीय संगीत का होता है। इन पांच दिनों में शास्त्रीय संगीत की स्वरलहरियों से पूरा मंदिर परिसर झंकृत हो उठता है। आलम यह रहता है कि इस पांच दिवसीय कार्यक्रम में संगीत सरिता की शुरूआत प्रतिदिन गोधुली बेला 7 बजे से होती है। इसके बाद तो जैसे-जैसे रात गंभीर होती जाती है शास्त्रीय संगीत परत दर परत लोगों के बीच घुलने लगती है और कार्यक्रम प्रत्युष बेला तक चलता रहता है। शास्त्रीय संगीत की तीनों विधा यानी गायन, वादन और नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुति होती है। कई दशकों से चल रहे इस कार्यक्रम में देश और विदेश के ख्यातिलब्ध संगीत साधकों ने अपनी कला को हनुमान जी को समर्पित किया है। कई कलाकार तो वर्षों से लगातार इस संगीत के महाउत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। गायन में पंडित जसराज, पंडित राजन साजन मिश्र, पंडित छन्नूलाल मिश्र, साध्वी सुनंदा पटनायक, कंकणा बनर्जी, अजय चक्रवर्ती, देवाशीष डे, विश्वजीत पोहनकर जैसे गायक प्रस्तुति देते हैं। वादन विधा के सरोद में अमजद अली खां और उनके पुत्र अमानअली व अयानअली तबला में पंडित किशन जी महराज, पंडित पूरन महराज सहित बनारस घराने के कलाकर अपनी प्रस्तुति देते रहे हैं। संतूर में शिवकुमार शर्मा व उनके पुत्र राहुल शर्मा, भजन सपोरी व उनके पुत्र अभय रूस्तम सपोरी हर वर्ष संतूर से हनुमान जी का आशीर्वाद लेते रहे हैं। वहीं, बासुरी में पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, राकेश चौरसिया, रोनू मजूमदार अपनी तान छेड़ते रहे हैं। वहीं नृत्य के भारतीय प्रसिद्ध विधा कत्थक, भरतनाट्यम, ओडिसी की प्रस्तुति के दौरान भारत के प्रसिद्ध नृत्यांगनों के पैर मंदिर परिसर में थिरकते हैं। जिसमें केलूचरण महापात्रा की परंपरा में रविकांत एवं सुजाता महापात्रा, अपूर्वा झा, डोना गांगुली सहित अन्य नृत्यांगनाओं से मंदिर परिसर गुलजार हो जाता है। इस संगीत समारोह की खास बात यह है कि इसमें प्रस्तुति देने वाले कलाकर बिना शुल्क हनुमान जी को अपनी साधना समर्पित करते हैं। इसके अलावा मण्डलियों द्वारा सुन्दरकाण्ड पाठ तो होता ही है 24 घण्टे का सीताराम अखण्ड कीर्तन भी किया जाता है। वैसे तो सावन के महीने में शिव की इस नगरी में हर तरफ मेले जैसा नजारा होता है। इस दौरान पूरे महीने संकटमोचन मंदिर के आस-पास भी मेला लगा रहता है। वहीं सावन के अंतिम दो मंगलवार को हनुमान जी का अलौकिक श्रृंगार किया जाता है। इसी महीने में कृष्ण तृतीया को गोस्वामी तुलसीदास की पुण्यतिथि मनायी जाती है। जिसमें काफी संख्या में ब्राह्मणों, साधु, संतों मंदिर में भोजन करते हैं। कार्तिक महीने में एक और बड़ा आयोजन नरकासुर पर हनुमान विजय के उपलक्ष्य में झांकी सजा कर होता है। मंदिर में राम-विवाह का आयोजन भी हर्षोल्लास के साथ होता है। इस दौरान विभिन्न कार्यक्रम मंदिर में होते हैं। मंदिर में मानस नवाह पाठ होता है जिसे 111 ब्राह्मणों द्वारा सम्पन्न कराया जाता है। हनुमान जी का श्रृंगार भी होता है। अन्त में दो दिन का भजन सम्मेलन भी होता है। इस भजन सम्मेलन में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर के वर्तमान महंत प्रो0 विश्वमभरनाथ मिश्र हैं। इनके पिता स्व0 प्रो0 वीरभद्र मिश्र भी मंदिर के महंत रह चुके हैं। मंदिर के महंतों की कड़ी में महंत जयकृष्ण, महंत तुलाराम, महंत धनीराम, महंत पीताम्बर दास, महंत लक्ष्मी नारायण, महंत विन्ध्येश्वरी प्रसाद, महंत राधेश्याम, महंत गिरिधारी दास, महंत तुलसी राम, महंत स्वामीनाथ, महंत बांके राम भी महंत पद पर रह चुके हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां बाहर से प्रसाद चढ़ाने के लिए नहीं लेकर आना पड़ता है। मंदिर परिसर में ही देशी घी के लड्डू और पेड़ा की दुकान है। जहां श्रद्धालु रसीद कटवाकर प्रसाद लेते हैं। यहां के लड्डू का प्रसाद तो बहुत प्रसिद्ध है। इसकी विशिष्टता यह है कि कई दिनों बाद भी प्रसाद खराब नहीं होता है। मंदिर में आम दर्शनार्थियों की सुविधाओं के लिए भी कई इंतजाम किये गये हैं। मसलन वाहन पार्किंग के लिए स्टैंड और मोबाइल, जूता, चप्पल रखने की निशुल्क व्यवस्था की गयी है।

बनकटी हनुमान मन्दिर

काशी के प्राचीन हनुमान मन्दिरों में से एक है बनकटी हनुमान जी का मन्दिर। यह मंदिर दुर्गाकुण्ड में B 27/58 में स्थित है। काफी पहले इस स्थान पर घना वन था जिसमें चारों तरफ बड़े-बड़े वृक्ष थे मान्यता के अनुसार जंगल के बीच से ही हनुमान जी की मूर्ति मिली थी। इसलिए इस मूर्ति को बनकटी हनुमान जी कहा जाता है। धीरे-धीरे लोग बनकटी हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने लगे। काशी प्रवास के दौरान रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी नियमित बनकटी हनुमान जी के दर्शन-पूजन करने मंदिर आते थे। तुलसीदास जी की बनकटी हनुमान जी में बड़ी आस्था थी। कहा जाता है कि एक बार बनकटी हनुमान जी कोढ़ी के रूप में तुलसीदास जी से मिले थे और अपना दर्शन दिया था। बनकटी हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि लगातार 41 दिनों तक इनका दर्शन करने से सारी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती है। मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित गया प्रसाद मिश्र के अनुसार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के दौरान पंडित मदन मोहन मालवीय ने लगातार 41 दिनों तक बनकटी हनुमान जी का दर्शन किया था। बनकटी हनुमान जी के दर्शन से सभी प्रकार के दुःख दूर हो जाते हैं। इस प्राचीन बनकटी जी के हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार 1972 में कराया गया था। वही वर्ष 2008-09 में भी मंदिर के कुछ हिस्से का निर्माण हुआ है। मंदिर में हनुमान जी की उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मूर्ति स्थापित है। हनुमान जी की मूर्ति के ठीक सामने राम-जानकी का छोटा सा मंदिर मुख्य मंदिर परिसर में ही स्थित है। साथ ही मंदिर परिसर में विशाल पीपल का वृक्ष है। जिसके चारो ओर बने चबूतरे पर लोग दीये जलाते हैं। मंदिर में बड़ा कार्यक्रम नवम्बर महीने में आयोजित होता है। इस दौरान रामचरित मानस का नवाह पाठ होता है वहीं सायंकाल व्यास सम्मेलन का आयोजन होता है। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर में दूसरा बड़ा कार्यक्रम दीपावली वाले दिन होता है। इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर बनकटी हनुमान जी का भव्य श्रृंगार किया जाता है। साथ ही महाआरती होती है। मंदिर में नियमित रूप से देशी घी, तिल तेल, सरसो तेल और चमेली के तेल के दीप श्रद्धालु अपनी मनोकमना पूरी होने के लिए जलाते हैं। मंगलवार एवं शनिवार को मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या काफी अधिक होती है। मंदिर सुबह 4 से दोपहर 12 बजे तक खुला रहता है। वहीं शाम को साढ़े 3 बजे से रात 10 बजे तक मंदिर खुला रहता है। बनकटी हनुमान जी की आरती सुबह साढ़े 4 बजे एवं 6 महीना शाम 7 बजे एवं 6 महीना शाम-साढ़े सात बजे होती है।

महावीर मंदिर, अर्दली बाजार
वाराणसी के एक छोर पर प्रसिद्ध संकटमोचन हनुमान मंदिर स्थित है तो दूसरे छोर पर महावीर मंदिर। दोनों मंदिर श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी के हैं। वाराणसी में वरूणा पार अर्दली बाजार टकटकपुर में स्थित महावीर मंदिर भी स्थानीय लोगों के साथ दूर-दूर के भक्तों के आस्था का केन्द्र है। इस मंदिर में नियमित आस-पास के अलावा काफी दूर से भक्त मत्था टेकने आते हैं। मान्यता के अनुसार महावीर स्वामी के दर्शन से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और भक्त का स्वास्थ्य बेहतर एवं धन सम्पदा से परिपूर्ण रहता है। महावीर स्वामी का यह मंदिर काफी बड़े परिसर में स्थित है। मंदिर परिसर के मध्य में महावीर स्वामी की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा काफी प्राचीन है। जिसे राजा अर्जुन ने यह मंदिर बनवा कर स्थापित किया था। इस मंदिर परिसर में ही राम-जानकी, लक्ष्मी नारायण, शीतला माता सहित शंकर जी की प्रतिमा है। परिसर में एक विशाल पीपल का वृक्ष पूरे मंदिर को आच्छादित किये हुए है। अक्सर लोग किसी मनौती के पूरा होने पर महावीर स्वामी को प्रसाद चढ़ाते हैं। इस मंदिर में बड़ा कार्यक्रम हनुमान जयंती के अवसर पर होता है। जयंती पर हनुमान जी की प्रतिमा का भव्य श्रृंगार किया जाता है। सिन्दूर और तिल के तेल को मिलाकर उनकी प्रतिमा पर लगाया जाता है। साथ ही सुगन्धित फूलों से पूरे मंदिर को सजाया जाता है। मंदिर में रामचरित मानस का संगीतमय पाठ भी आयोजित होता है। साथ ही भण्डारे का आयोजन भी होता है। वहीं, नवरात्र में भी मंदिर में उत्सवपूर्ण माहौल हो जाता है। इस पर्व पर मंदिर को बेहतरीन ढंग से सजाया जाता है। पूरे नवरात्र में दर्शनार्थियों का मंदिर में तांता लगा रहता है। इसके अलावा समय-समय पर भक्त हनुमान जी का श्रृंगार कराते रहते हैं। यह मंदिर प्रातःकाल 4 से दोपहर 12 बजे तक एवं सायंकाल 5 से रात 10 बजे तक खुला रहता है। नियमित रूप से आरती प्रातः पौने 5 बजे एवं रात 9 बजे सम्पन्न होती है। जबकि मंगलवार एवं शनिवार को रात की आरती 10 बजे सम्पन्न होती है। इस दिन काफी संख्या में भक्त महावीर स्वामी के दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां सुबह की आरती के बाद नियमित रूप से मानस पाठ ढोल-मजीरे के साथ होता है। यही नहीं सायंकाल भी रोजाना भक्त भजन कीर्तन करते हैं। मंदिर परिसर में सुरक्षा की दृष्टि से कई जगह सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं। जिससे मंदिर की सुरक्षा पर पैनी निगाह रखी जाती है। महावीर मंदिर के वर्तमान पुजारी शैलेन्द्र द्विवेदी हैं जबकि सेवक के रूप में घनश्याम दास मिश्रा देखभाल करते हैं। कचहरी से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर टकटकपुर चौराहे पर यह मंदिर स्थित है।

संकटहरण हनुमान जी
भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त एवं गोस्वामी तुलसीदास जी के आराध्य हनुमान जी को भी काशी अतिप्रिय रही है। तभी तो उनका वास इस पावन नगरी में हर जगह है। जिसका अंदाजा सहज ही यहां स्थित अनेकों हनुमान मंदिरों से लगाया जा सकता है। हनुमान जी के जागृत मंदिरों में से एक कबीर रोड स्थित पिपलानी कटरा के पास स्थित संकटहरण हनुमान जी का मंदिर काफी प्रचीन एवं प्रसिद्ध है। बिल्कुल लबे सड़क बेहद छोटे से मंदिर में हनुमान जी की दिव्य बड़ी सी प्रतिमा स्थापित है। मान्यता के अनुसार संकटहरण हनुमान जी के दर्शन-पूजन से भक्तों के सारे संकट दूर हो जाते हैं एवं सुख-शांति मिलती है। नियमित रूप से सुबह शाम मंदिर के बाहर दर्शनार्थी हनुमान जी का दर्शन करते रहते हैं। इस मंदिर में बड़ा आयोजन हनुमान जयंती के अवसर पर होता है। इस दौरान हनुमान जी की प्रतिमा का कई प्रकार के सुगन्धित एवं आकर्षक फूलों से श्रृंगार किया जाता है। साथ ही भक्तगण रामचरित मानस का अखण्ड पाठ भी कराते हैं। इसके बाद भण्डारे का आयोजन किया जाता है। जबकि शाम को शास्त्रीय संगीत का आयोजन होता है। जिसमें भक्ति गीत गाये जाते हैं। वहीं, प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को काफी संख्या में भक्त संकटहरण हनुमान जी का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सयम-समय पर श्रद्धालु हनुमान जी की प्रतिमा का श्रृंगार कराते रहते हैं। दर्शनार्थियों के लिए यह मंदिर प्रातःकाल 6 से 11 बजे तक एवं सायंकाल 6 से रात 9 बजे तक खुला रहता है। जबकि मंगलवार एवं शनिवार को मंदिर रात 10 बजे तक खुला रहता है। आरती सुबह साढ़े 6 बजे एवं सायंकाल साढ़े 7 बजे एवं शयन आरती रात 9 बजे सम्पन्न होती है।

शोक विमोचन हनुमान, कमच्छा
शोक विमोचन हनुमान जी का मंदिर कमच्छा में मुख्य सड़क के किनारे स्थित है। छोटे से मंदिर में शोक विमोचन की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा काफी प्राचीन है। पहले इस क्षेत्र में वन था। मान्यता के अनुसार किसी बाबा को हनुमान जी की यह प्रतिमा वन से ही मिली। जिसे उस बाबा ने कमच्छा पर स्थापित कर दिया। मंदिर में हनुमान जी की बड़ी प्रतिमा के दाहिनी ओर स्थापित छोटी सी हनुमान जी की प्रतिमा को लोग काफी प्राचीन मानते हैं। मंदिर परिसर में ही काफी पुराना विशाल पीपल का वृक्ष है जिस पर शनिदेव की आकृति बनी है। पीपल के वृक्ष के पास प्रायः भक्त दीप जलाते हैं। मान्यता के अनुसार शोक विमोचन के दर्शन-पूजन से जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता एवं कभी भी मन शोकपूर्ण नहीं होता है। शोक विमोचन मंदिर में हनुमान जयंती धूम-धाम से मनायी जाती है। इस मौके पर मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। इस दौरान काफी संख्या में भक्त उपस्थित होकर भजन-कीर्तन करते हैं। सावन महीना भी मंदिर के लिए खास होता है। इस दौरान शोकविमोचन जी का वार्षिक श्रृंगार बेहद ही आकर्षक ढंग से किया जाता है। हनुमान जी के इस महत्वपूर्ण मंदिर में मंगलवार एवं शनिवार को काफी संख्या में भक्त मत्था टेकते हैं। सड़क किनारे होने की वजह से सड़क चौड़ीकरण के दौरान 4 अगस्त 1976 को इस मंदिर को तोड़ दिया गया था। इसके बाद क्षेत्रीय लोगों के सहयोग एवं दानदाताओं के चंदे से 10 दिसम्बर 1978 को इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, जिसका उद्घाटन 14 फरवरी 1980 को महाशिवरात्रि के दिन हुआ। यह मंदिर प्रातःकाल 5 से दोपहर 11 बजे तक एवं शाम 4 से रात 9 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है। शोक विमोचन की आरती सुबह 8 बजे एवं सायंकाल 7 बजे सम्पन्न होती है। इस मंदिर के वर्तमान पुजारी लक्ष्मण पाण्डेय हैं। कैंट स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आटो द्वारा रथयात्रा चौराहे पर पहुंचकर वहां से पैदल ही कमच्छा की ओर बढ़ने पर कुछ ही दूरी पर रोड के किनारे दाहिनी ओर मंदिर स्थित है।

पंचमुखी हनुमान मंदिर, रथयात्रा

पंचमुखी हनुमान जी का यह मंदिर रथयात्रा चौराहे के पास है। देखने में यह मंदिर बेहद सुन्दर लगता है। इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा काशी में स्थापित अन्य हनुमान जी की प्रतिमाओं से अलग है। हनुमान जी की इस प्रतिमा में उनके पांच मुख हैं। जो देखने में बेहद आकर्षक लगते हैं। पंचमुखी हनुमान जी का यह मंदिर छोटा सा है। सामान्य ढंग से बने इस मंदिर के मध्य गर्भगृह में हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि इनके दर्शन-पूजन से सभी प्रकार के पुण्य का फल मिलता है और मनुष्य रोग व्याधि से दूर रहता है। इस मंदिर में हनुमान जयंती धूमधाम से मनायी जाती है। वहीं, मंगलवार एवं शनिवार को काफी संख्या में भक्त दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। यह मंदिर दर्शनार्थियों के लिए प्रातः 4 से दोपहर 12 बजे तक एवं सायंकाल 4 से रात 11 बजे तक खुला रहता है। आरती प्रातः 7 बजे, सायं 4 बजे एवं 7 बजे होती है। कैंट से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आटो रिक्सा द्वारा रथयात्रा चौराहे पर पहुंचकर वहां से कमच्छा की ओर करीब 20 मीटर आगे बढ़ने पर दाहिनी तरफ मुड़े रास्ते से जाने पर है।

हनुमान मंदिर, बिरदोपुर

काशी के हनुमान मंदिरों में बिरदोपुर स्थित संकटमोचन हनुमान जी का मंदिर भी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि संकटमोचन हनुमान जी के दर्शन-पूजन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। बिरदोपुर में सकरी सी गली में स्थित यह मंदिर छोटा सा है। मंदिर के वर्तमान पुजारी मुरलीधर झा बताते हैं कि बिरदोपुर संकटमोचन हनुमान जी की प्रतिमा अति प्राचीन व जागृत प्रतिमा है। यह अपने भक्तों के सभी समस्याओं को दूर कर सुख देते हैं। मंदिर में बड़ा आयोजन दीपावली के एक दिन पहले हनुमान जयंती धूमधाम से मनायी जाती है। इस अवसर पर संकटमोचन हनुमान जी का भव्य श्रृंगार होता है। साथ ही सुन्दरकाण्ड का पाठ भक्त संगीतमय ढंग से करते हैं। इस दौरान मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहते हैं। मंगलवार एवं शनिवार को भी काफी संख्या में भक्त यहां दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। इस छोटे से मंदिर में हाल ही में भगवान राम, मां सीता, लक्ष्मण एवं वैष्णो माता की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। वहीं परिसर में शिवलिंग भी है। यह मंदिर सुबह 7 से रात 10 बजे तक खुला रहता है। इनकी आरती सुबह 7 बजे एवं रात 8 बजे सम्पन्न होती है।












  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

बनारसी होली -२०१३


बनारसी मस्ती के बनारस वाले सबी डोस्तो को ओली की हाल्डिक शुब्बकामनाए
टब बोलो .. डोगिरा टा रर रा.. रा.. रडा इए बनादत हव..

टोनिया गांधी

Post Link : 
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

होली की हार्दिक शुभकामना।

झाट उखाड़ने से कभी मुर्दा हल्का नहीं होता और होली खेलने से कभी पानी कम नहीं होता जोगिरा सरर र रा जोगिरा सरर र रा ।
बुरा न मनो होली है आप सभी मित्रो को सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामना।
दिल में होली जल रही है।



Post Link

------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जो लोग पानी बचाने के लिए होली न
खेलने या सूखी होली खेलने के लिए महीने
भर से विधवा प्रलाप कर रहे हैं, असल में
वो वही लड़के हैं जो बचपन में टोलियों पर
छत से पानी फेंका करते थे, और कोई रंग
लगाने जाये तो अपनी दीदी के पीछे छुप जाते थे , साल भर पानी बचाओ, लेकिन होली दिल से मनाओ !
सनातन धर्म के त्योहारों के मूल स्वरूप को बचाकर
हिन्दू संस्कृति की रक्षा करें!
पानी बचाने के लिए अपना दैनिक व्यवहारबदलें,
त्योहार नहीं !!
होली की शुभकामनायें !

Post Link

------------------------------------------------------------------------------------------------------------
हमारे पूज्य भ्राता श्री Narayan Dravid Ji के तरफ से काशी वासियों को होली सी सुभकामना.. जोगीरा सा रा रा रा..

Post Link

------------------------------------------------------------------------------------------------------------
होलियाना माहौल है.. अपने अपने मेह्रारुवो को बचा के रे भैया.. नहीं तो जोगीरा सा रा रा रा.. नहीं तो Kull हो जायेगा.. सा रा रा रा


Post Link 
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

ल रजा Gandiv Hindi Daily का मस्ती (Holi-2013)

ल रजा Gandiv Hindi Daily का मस्ती 

बनारसी मस्ती के बनारस वाले के संग.. जोगीरा सा रा रा रा..

SO HERE'S PRESENTING ALL THE POSTS OF GANDIV BHAUKAL VISHESHANK IN ASSOCIATION WITH NBANARASI MASTI KE BANARAS WALE......BY Rachna Arora

Post Link

Post Link


Post Link

Post Link

बनारस के सभी भौकलियो को Gandiv Hindi Daily की तरफ से हार्दिक सुभकामनाये..

गांडीव का एक प्रयास बनारस की मस्ती बनारसी मस्ती के बनारस वाले के संग.. जोगीरा सा रा रा रा
 

Post Link



विवादों के कारण इस बार एनडी तिवारी ने इस बार की होली अपने "पिचकारी" से नही खेलने का फैसला किया है ...

"बुरा न मानो होली है"
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

ल रजा Gandiv Hindi Daily का मस्ती (Holi-2013)

ल रजा Gandiv Hindi Daily का मस्ती 

बनारसी मस्ती के बनारस वाले के संग.. जोगीरा सा रा रा रा..

SO HERE'S PRESENTING ALL THE POSTS OF GANDIV BHAUKAL VISHESHANK IN ASSOCIATION WITH NBANARASI MASTI KE BANARAS WALE......BY Rachna Arora


Post Link

Post Link


Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link



  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

ल रजा Gandiv Hindi Daily का मस्ती (Holi-2013)

ल रजा Gandiv Hindi Daily का मस्ती 

बनारसी मस्ती के बनारस वाले के संग.. जोगीरा सा रा रा रा..

SO HERE'S PRESENTING ALL THE POSTS OF GANDIV BHAUKAL VISHESHANK IN ASSOCIATION WITH NBANARASI MASTI KE BANARAS WALE......BY Rachna Arora

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link


  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

ल रजा Gandiv Hindi Daily का मस्ती (Holi-2013)

ल रजा Gandiv Hindi Daily का मस्ती 

बनारसी मस्ती के बनारस वाले के संग.. जोगीरा सा रा रा रा..

SO HERE'S PRESENTING ALL THE POSTS OF GANDIV BHAUKAL VISHESHANK IN ASSOCIATION WITH NBANARASI MASTI KE BANARAS WALE......BY Rachna Arora


Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link

Post Link
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS
बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
Copyright © 2014 बनारसी मस्ती के बनारस वाले Designed by बनारसी मस्ती के बनारस वाले
Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!