बनारस
के अलावा अन्य जगह पाना खाया जाता है, लेकिन बनारसी पान खाते नहीं, घुलाते
हैं। पान घुलाना साधारण क्रिया नहीं हैं। पान का घुलाना एक प्रकार से
यौगिक क्रिया है। यह क्रिया केवल असली बनारसियों द्वारा ही सम्पन्न होती
है। पान मुँह में रखकर लार को इकट्ठा किया जाता है और यही लार जब तक मुँह
में भरी रहती है, पान घुलता है। कुछ लोग उसे नाश्ते की तरह चबा जाते हैं,
जो पान घुलाने की श्रेणी में नहीं आता।
पान की पहली पीक फेंक दी जाती है ताकि सुर्ती की निकोटिन निकल जाए। इसके
बाद घुलाने की क्रिया शुरू होती है। अगर आप किसी बनारसी का मुँह फूला हुआ
देख लें तो समझ जाइए कि वह इस समय पान घुला रहा है। पान घुलाते समय वह बात
करना पसन्द नहीं करता। अगर बात करना जरूरी हो जाए तो आसमान की ओर मुँह करके
आपसे बात करेगा ताकि पान का, जो चौचक जम गया होता है, मज़ा किरकिरा न हो
जाए।
यदि आपको
भी आपके फोन में मौजूद इंस्टेंट मैसेजिंग एप व्हाट्सएप पर कॉलिंग फीचर को
इस्तेमाल करने आ मैसेज आ रहा है तो कृप्या इसे ना खोलें। यह महज एक धोखा
है।
हाल ही
में मिली एक सूचना के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से व्हाट्सएप यूजर्स को
व्हाट्सएप के फ्री कॉलिंग फीचर को उपयोग करने के लिए मैसेज के द्वारा
निमंत्रण भेजा जा रहा है। यह कंपनी द्वारा भेजा जा रहा कोई आधिकारिक मैसेज
नहीं बल्कि कुछ हैकर्स द्वारा भेजा रहा मालवेयर यानी कि एक प्रकार का वायरस
है।
एक
रिपोर्ट के मुताबिक यदि मैसेज में भेजे गए लिंक पर आप क्लिक करते हैं तो यह
लिंक आपको एक वेबसाइट पर ले जाएगा। इस वेबसाइट पर आपको एक सर्वे पूरा करने
का न्योता दिया जाएगा, लेकिन इसमें भी एक गड़बड़ी है। इस सर्वे के जरिये यह
वेबसाइट आपको विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने को कहती है जो
हानिकारक मालवेयर से युक्त हैं।
जानकारी
के लिए आपको बता दें कि अभी तक आधिकारिक तौर पर व्हाट्सएप द्वारा अपना फ्री
कॉलिंग फीचर यूजर्स को मुहैया नहीं कराया गया है। हां यह फीचर पिछले महीने
ही कुछ यूजर्स तक जरूर पहुंचाया गया था लेकिन कंपनी ने उसे केवल टेस्टिंग
का जरिया बनाते हुए प्रदान किया था।
फिलहाल
अभी यह फीचर किसी भी भारतीय व्हाट्सएप यूजर को नहीं मिला है। कंपनी द्वारा
भी इस फीचर को कब तक भारत में प्रदान कर दिया जाएगा, इसकी जानकारी नहीं
मिली है।
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बनारसी मस्ती के समझे वाले इय दुनिया के हम अपन दसो हाथे का अंगूरी जोड़ के प्रणाम करत बानी ... हमू एगो बनारस के आवाज , “ Kashivarta “ आप सब के प्यार से आप के बिच में आइल बाटी...डर ता लगत बा... लेकिन इ बनारसी मस्ती के बनारस वाले हेरा गयल बाटन ...कौनो गलती होई ता होली समझ के माफ़ कर दिहा... हर हर महादेव आशा हव की ए बार का जलेबा विशेषांक भी आप के प्यार एवं आशीर्वाद के कारण होई । आप का Sushil Singh .. संपादक “काशी वार्ता “
holi banaras
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Holi in Banaras
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कभी देखी है ऐसी होली, यहां चिता भस्म है रंग और भूत-प्रेत हैं गोप-गोपियां
वाराणसी। मथुरा-वृंदावन की होली के बारे में तो आपने खूब पढ़ा, देखा और सुना होगा जहां गोप-गोपियों से घिरे कान्हा पुष्प और गुलाब की पंखुड़ियों के रंगों में सराबोर हुए जाते हैं लेकिन शिव की नगरी काशी में ऐसी होली मनाई जाती है जिसके बारे में सुनकर आप दंग रह जाएंगे। एक तरफ जलती हुई चिताएं और अपनों के बिछड़ने का गम तो वहीं दूसरी तरफ होली के रंगों में सराबोर शिव के गण, यही है इस अनोखी होली का अनोखापन। यही नहीं इस होली में टेसुओं के रंगों की जगह होती है चिता की भस्म।
'खेले मसाने (शमशान) में होली दिगंबर, खेले मसाने में होली...' के स्वर लहरियों पर पूरी मस्ती के रंगों में सराबोर होकर अबीर, गुलाल व भस्म के साथ शिव भक्तों ने सोमवार को मणिकर्णिका घाट स्थित महाशमशान पर जमकर होली खेली।
मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा काशी विश्वनाथ मां गौरी का गौना कराकर काशी पहुंचते हैं और इसके ठीक दूसरे दिन आज बाबा अपने चहेतों भूत, प्रेत व पिशाचों के साथ समशान में भस्म तथा गुलाल के साथ होली खेलते हैं। यह होली अपने आप में इसलिए खास होती है कि इसमें सभी शिवभक्त चिता की भस्म से होली खेलते हैं।
इस अवसर पर श्मशान नाथेश्वर महादेव मंदिर के संस्थापक गुलशन कपूर कहते हैं कि बाघम्भर शिव को भस्म अति प्रिय है और हमेशा शरीर में भस्म रमाये समाधिस्थ रहने वाले शिव की नगरी काशी में शमशान घाट पर चिता भस्म से होली खेली जाती है।
मान्यता है कि काशी में यह प्रथा सदियों पुरानी है, जिसका निर्वहन काशीवासी आज भी करते चले आ रहे हैं और सम्पूर्ण विश्व में काशी ही एकमात्र स्थान है जहां इस प्रकार भस्म से होली खेली जाती है।
Ishwar C. Upadhyay
बनारस के घाट पर एक बार छन्नूलाल मिश्र की आवाज़ में शमशान में शिव की होली का वर्णन सुना था,
खेलैं मसाने में होरी दिगंबर खेले मसाने में होरी
भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी.
लखि सुंदर फागुनी छटा के, मन से रंग-गुलाल हटा के,
चिता, भस्म भर झोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी.
गोप न गोपी श्याम न राधा, ना कोई रोक ना, कौनाऊ बाधा
उत्सवों का शहर है बनारस,एक ऐसा शहर जहाँ मृत्यु को भी उत्सव की तरह मनाया जाता है| तभी तो वहाँ के लोग मय्यत को ढोल नगाडो के साथ शमशान तक पहुचने के बाद गोलघर के झुल्लन मिठाई वाले कीदुकान से होते हुए घर जाते है| कमाल का है मेरा बनारस जिसे बस मौकामिलना चाहिए त्योहार मानने का फिर होली तो आख़िर होली है|
बनारस की होली मुझे हमेशा से पसंद रही है, यहाँ की होली की सबसे बड़ी खाशियत है की इसे सिर्फ़ हिंदू ही नही मुसलमान भी मानते है, काशी की प्राचीनतम होली बारात जिसे वहाँ के हिंदू मुस्लिम मिलकर निकालते है गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक बेमिशाल कड़ी है
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