बनारस में भले ही नरेंद्र मोदी समर्थक उनकी दावेदारी के लिए मुरली मनोहर
जोशी समर्थकों के साथ गुत्थम गुत्था हो रहे हों लेकिन बदले हुए गठबंधन से
बनारस लोकसभा सीट पर नरेंद्र मोदी की जीत संशय में ही रहेगी, अगर नरेंद्र
मोदी बनारस से चुनाव लड़ते हैं तो धर्म की नगरी काशी में लोकसभा चुनाव
पार्टियों की जीत हार से बढ़कर हिन्दू मुस्लिम का हो जायेगा, 2009 में हुए
लोकसभा चुनाव में विजेता प्रत्याशी भाजपा के मुरली मनोहर जोशी (2,03,122
मत) और दूसरे स्थान पर रहे बसपा के प्रत्याशी मोख्तार अंसारी (1,85,911 मत)
की जीत हार के बीच 17,211 मतों का फासला था, तीसरे स्थान पर समाजवादी
पार्टी के प्रत्याशी अजय राय (1,23,874 मत), चौथे स्थान पर कांग्रेस
प्रत्याशी राजेश कुमार मिश्र (66,386 मत) और पांचवें स्थान पर रहे अपना दल
प्रत्याशी विजय प्रकाश जायसवाल को (65912 मत) मिले थे,
मोख्तार अंसारी के रूप में मुस्लिम प्रत्याशी रहने के बावजूद भी बहुत सारे मुस्लिम मतदाताओं ने सपा के पक्ष में वोटिंग की थी जिसके पीछे मोख्तार अंसारी की बाहुबली वाली छवि प्रमुख कारण थी, इस बार मोख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अपनी ही पार्टी कौमी एकता दल के झंडे तले वाराणसी लोकसभा सीट से चुनावी ताल ठोंक रही हैं, नरेंद्र मोदी के बनारस से चुनाव लड़ने की स्थिति में मुस्लिम मतों का एकमुश्त अफशां के खाते में जाना तय है, मुस्लिम इलाकों में चाय पान की दुकानों पर ख़ामोशी से बैठे रहकर मुस्लिम मतदाताओं की बात सुनी जाय तो पता चल जाता है कि नरेंद्र मोदी के हिंदुत्व की हुंकार से सहमे मुस्लिम मतदाताओं का मत मोख्तार की पत्नी के ही खाते में जायेगा, साथ ही हिंदुत्व के नाम पर कट्टरता को नापसंद करने वाले हिन्दू मत भी नरेंद्र मोदी को नहीं मिलेंगे,
कौमी एकता दल भासपा और अपना दल के गठबंधन ने अफशां की स्थिति को मजबूत करने के साथ साथ अन्य दलों द्वारा विजई होने के किये जा रहे दावों के रास्ते में कई स्पीड ब्रेकर खड़े कर दिए हैं, पिछले लोकसभा चुनाव में स्वतंत्र रूप से लड़े अपना दल प्रत्याशी को मिले कुल मतों में से आधे मत भी अफशां को मिलते हैं तो अन्य दलों द्वारा स्वघोषित जीत के सारे अनुमान ध्वस्त हो जायेंगे, सपा ने अपने पूर्व घोषित प्रत्याशी लोक निर्माण विभाग मंत्री और जमीनी नेता की छवि वाले सुरेन्द्र पटेल के स्थान पर कैलाश चौरसिया को टिकट देकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं, बनारस लोक सभा सीट पर सपा के लिए अपनी जीत से अधिक महत्त्वपूर्ण नरेंद्र मोदी की हार है, कांग्रेस ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है लेकिन चर्चाओं के अनुसार अजय राय के नाम पर मुहर लग सकती है, पूर्व सांसद राजेश मिश्रा द्वारा भी टिकट के लिए अड़ जाने के कारण अभी तक कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं तय कर पाई है, कांग्रेस से उम्मीदवार कोई भी हो लेकिन नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में वो सिर्फ हिन्दू मतों का बंटवारा ही करेगा,
इसके साथ ही बनारस में कई सरकारी विभागों में होने वाले सरकारी टेंडर पर आज भी मोख्तार अंसारी का सिक्का चलता है, बनारस में ठेकेदारी से जुड़े लोगों की संख्या भी बहुत है, ये लोग भविष्य को देखते हुए टेंडर पाने के लिए मोख्तार अंसारी के बाहुबल की शरण में ही जायेंगे, धर्म के नाम पर उन्माद को नापसंद करने वाले अगड़ी जातियों के मतदाताओं के साथ पिछड़ी और दलित जातियों के लिए आज भी रोटी कपड़ा और मकान ही पहली प्राथमिकता है, ऐसे परंपरागत मतदाताओं को तोड़ना नरेंद्र मोदी के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा, 2009 के लोकसभा चुनाव के मतदान वाले दिन रिपोर्टिंग करते हुए दोपहर बाद ये अफवाह सुनी थी कि अपने को हारा हुआ मानकर समाजवादी पार्टी प्रत्याशी अजय राय अब भाजपा प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी को मत देने की अपील कर रहे हैं क्योंकि अजय राय और मोख्तार अंसारी के बीच अदावत दशकों पूर्व से ही चली आ रही है
नरेंद्र मोदी के बनारस से चुनाव लड़ने की स्थिति में
हिन्दू मत= भाजपा कांग्रेस सपा बसपा आआप कौमी एकता दल
मुस्लिम मत= कौमी एकता दल
गंगा जमुनी तहजीब के शहर बनारस में आपका स्वागत है नरेंद्र मोदी जी
मोख्तार अंसारी के रूप में मुस्लिम प्रत्याशी रहने के बावजूद भी बहुत सारे मुस्लिम मतदाताओं ने सपा के पक्ष में वोटिंग की थी जिसके पीछे मोख्तार अंसारी की बाहुबली वाली छवि प्रमुख कारण थी, इस बार मोख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अपनी ही पार्टी कौमी एकता दल के झंडे तले वाराणसी लोकसभा सीट से चुनावी ताल ठोंक रही हैं, नरेंद्र मोदी के बनारस से चुनाव लड़ने की स्थिति में मुस्लिम मतों का एकमुश्त अफशां के खाते में जाना तय है, मुस्लिम इलाकों में चाय पान की दुकानों पर ख़ामोशी से बैठे रहकर मुस्लिम मतदाताओं की बात सुनी जाय तो पता चल जाता है कि नरेंद्र मोदी के हिंदुत्व की हुंकार से सहमे मुस्लिम मतदाताओं का मत मोख्तार की पत्नी के ही खाते में जायेगा, साथ ही हिंदुत्व के नाम पर कट्टरता को नापसंद करने वाले हिन्दू मत भी नरेंद्र मोदी को नहीं मिलेंगे,
कौमी एकता दल भासपा और अपना दल के गठबंधन ने अफशां की स्थिति को मजबूत करने के साथ साथ अन्य दलों द्वारा विजई होने के किये जा रहे दावों के रास्ते में कई स्पीड ब्रेकर खड़े कर दिए हैं, पिछले लोकसभा चुनाव में स्वतंत्र रूप से लड़े अपना दल प्रत्याशी को मिले कुल मतों में से आधे मत भी अफशां को मिलते हैं तो अन्य दलों द्वारा स्वघोषित जीत के सारे अनुमान ध्वस्त हो जायेंगे, सपा ने अपने पूर्व घोषित प्रत्याशी लोक निर्माण विभाग मंत्री और जमीनी नेता की छवि वाले सुरेन्द्र पटेल के स्थान पर कैलाश चौरसिया को टिकट देकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं, बनारस लोक सभा सीट पर सपा के लिए अपनी जीत से अधिक महत्त्वपूर्ण नरेंद्र मोदी की हार है, कांग्रेस ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है लेकिन चर्चाओं के अनुसार अजय राय के नाम पर मुहर लग सकती है, पूर्व सांसद राजेश मिश्रा द्वारा भी टिकट के लिए अड़ जाने के कारण अभी तक कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं तय कर पाई है, कांग्रेस से उम्मीदवार कोई भी हो लेकिन नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में वो सिर्फ हिन्दू मतों का बंटवारा ही करेगा,
इसके साथ ही बनारस में कई सरकारी विभागों में होने वाले सरकारी टेंडर पर आज भी मोख्तार अंसारी का सिक्का चलता है, बनारस में ठेकेदारी से जुड़े लोगों की संख्या भी बहुत है, ये लोग भविष्य को देखते हुए टेंडर पाने के लिए मोख्तार अंसारी के बाहुबल की शरण में ही जायेंगे, धर्म के नाम पर उन्माद को नापसंद करने वाले अगड़ी जातियों के मतदाताओं के साथ पिछड़ी और दलित जातियों के लिए आज भी रोटी कपड़ा और मकान ही पहली प्राथमिकता है, ऐसे परंपरागत मतदाताओं को तोड़ना नरेंद्र मोदी के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा, 2009 के लोकसभा चुनाव के मतदान वाले दिन रिपोर्टिंग करते हुए दोपहर बाद ये अफवाह सुनी थी कि अपने को हारा हुआ मानकर समाजवादी पार्टी प्रत्याशी अजय राय अब भाजपा प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी को मत देने की अपील कर रहे हैं क्योंकि अजय राय और मोख्तार अंसारी के बीच अदावत दशकों पूर्व से ही चली आ रही है
नरेंद्र मोदी के बनारस से चुनाव लड़ने की स्थिति में
हिन्दू मत= भाजपा कांग्रेस सपा बसपा आआप कौमी एकता दल
मुस्लिम मत= कौमी एकता दल
गंगा जमुनी तहजीब के शहर बनारस में आपका स्वागत है नरेंद्र मोदी जी






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