काशी की कशमकश


" काशी की कशमकश ...काशी यानी वाराणसी (वरुणा + असी = वरुणासी यानी वाराणसी )...शंकर का शहर ...गंगा ,वरुणा और असी का शहर ...दुनियाँ का प्राचीनतम शहर ...थोड़ा सा रजा हरिश्चंद्र का शहर ...थोड़ा सा बुद्ध का शहर ...थोड़ा सा कबीर का शहर ...थोड़ा सा मदन मोहन मालवीय का शहर ...थोड़ा सा संपूर्णानंद का शहर ...साहित्य ,संगीत ,संस्कृति का शहर ...और उस शहर में सियासी कहर ...काशी की कशमकश ...जब कभी किसी मुग़ल आक्रान्ता को , किसी औरंगजेब को मुगालता हुआ होगा कि तलवार से संस्कृति विकृत की जा सकती है और विश्वनाथ मंदिर /ज्ञानवापी के बगल में चिनवाई गयी होगी कोई मस्जिद ...काशी रोई होगी ...काशी कशमकश में कराही होगी ...विश्व की प्राचीनतम सभ्यता , विश्वविद्यालयों की धरती , शिक्षा और संस्कृति की धरती ,मदन मोहन मालवीय की कर्मभूमि धरती कराही होगी जब वह किसी मुख्तार अंसारी और ब्रिजेश सिंह की कुकर्मभूमि बनी होगी ...कशमकश में काशी तब भी रुक रुक कर कराही होगी जब इस्लामिक आतंकवादियों ने गंगा घाट और संकटमोचन मंदिर पर बम धमाके किये थे ...हँसते हँसते एक दिन रो पडी थी विस्मिल्ला की शहनाई . भारत राष्ट्र की परिकल्पना कभी काशी में बैठ कर महेश (शंकर ) ने की थी और राष्ट्र की संप्रभु चौहद्दी बनी थी चार ज्योतिर्लिंगों की स्थापना से ...एक बार फिर महेश की धरती पर ...मालवीय की धरोहर पर राष्ट्र के नेतृत्व को सनद देने की जिम्मेदारी है...क्या काशी यह जिम्मेदारी निभा पायेगी ?...क्या काशी हँसेगी ? ...काशी की कशमकश ...सांस्कृतिक घावों से कराहती काशी की कशमकश ...काश आज काशी की मतदाता सूची में शंकर होते, बुद्ध होते ,कबीर होते , संत होते ,फ़कीर होते, अब्दुल्ला होते विस्मिल्ला होते , मालवीय होते पर मुख्तार अंसारी और ब्रिजेश सिंह सरीखे लोग नहीं होते ...लेकिन काशी की मतदाता सूची में हम तो हैं ...उत्तिष्ठ काशी ." 
 
 
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1 comments:

Anonymous said...

MAst Hai Bhai..

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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!