छाना राजा…

सभी को होली के शुभ अवसर पर भांग की ठंडाई, एक बीड़ा मस्त बनारसी मगही पान और ढेरों शुभकामनाएँ
मेरी कामना है कि आप सपरिवार होली की मस्ती में यूँ डूब जाएँ कि आस पास की लहरों को भी पता न चले.




छाना राजा...

काहे हौआ हक्का-बक्का !
छाना राजा भांग-मुनक्का !

पेट्रोल, डीजल, दाल, बढ़े दs
चीनी कs भी दाम बढ़े दs
आपन शेयर मस्त चढ़ल हौ
आपस में सबके झगड़े दs

देखा तेंदुलकर कs छक्का
काहे हौआ हक्का-बक्का !

रमुआं चीख रहल खोली में
आग लगे ऐसन होली में
कहाँ से लाई ओजिया-गोजिया
प्राण निकस गयल रोटी में

निर्धन कs नियति में धक्का
काहे हौआ हक्का-बक्का !

भ्रष्टाचार बढ़ल, बढ़े दs
शिष्टाचार मिटल, मिटे दs
बीच बजरिया नामी नेता
छमियाँ के रगड़े, रगड़े दs

घड़ा पाप कs फूटी पक्का
काहे हौआ हक्का-बक्का !
कवि कौशिक
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!