कैलाश के संत

कैलाश के संत
........................ (विनय वेद)

शुभम शम्भू नाथ स्वयंभू, हर हर शिव अनंत !
भगवंत को भी निर्मूल कर गये कैलाश के संत !!

शेषनाग सवारी विष्णु और तूँ प्रचंड सर्प माल,
वो विषधर देता जीवन और तूँ पलभर का अंत !

तूँ सुने तो हूँ मैं वाणी, तूँ देखे तो हूँ श्रंगार,
तूँ जिव्हा तो जीवन, छुए तो मुझ में भगवंत !

शांत हुआ तो क्रांति, अशांत तो आन्दोलन,
संघर्ष न पता अंत चाहे पा जायें अनेकों अंत !

हे हाहाकार स्वामी, तांडव दे या धर्म पांडव,
अनंत न पाये अनंत जो अंत न पाये अंत !

तो हे देवों के देव, महा विदेहों के महादेव,
संग्राम न कीजो अंत, संघर्ष न कीजो अनंत !

...............................................................विनय वेद





  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

0 comments:

Post a Comment

बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
Copyright © 2014 बनारसी मस्ती के बनारस वाले Designed by बनारसी मस्ती के बनारस वाले
Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!