बनारस और उसके स्वाद


स्वाद की बात हो और बनारस का जिक्र ना आए ! ये हो सकता हैं भला, चलिए बनारस और उसके स्वादों से आपकी मुलाकात करा देते हैं |

यहाँ स्वाद हैं, रास्तो का, गलियों का, गंगा का
घाट का भी और चाट का भी,

कुल मिला के बनारस स्वादों से भरपूर हैं |

शुरू कहा से करे,
बनारस हिंदू युनिवर्सिटी के मेन गेट से करते हैं, आखिर यहाँ दो चीजे आपको 24 घंटे मिलेगी
चाय और बन मलाई, सुनने में कुछ खास नहीं लगती,
पर युनिवर्सिटी के स्टुडेंट्स के लिए अमृत से कम नहीं हैं, खास कर देर रात को जब कुछ नहीं मिलता |

अब थोड़ा आगे बढते हैं, अस्सी घाट स्टुडेंट्स का अड्डा हैं
हर शाम यहाँ आपको भीड़ मिलेगी, भौकाल चाट वाले की खूब डिमांड है यहाँ |

चलिए आपको कचौरी गली ले चलते हैं, सुबह आठ से दस बस यही वक्त है इसका, लेट हो गए तो कुछ नहीं मिलेगा | गिनती की तीन दुकाने हैं, पर जो स्वाद आपको यहाँ मिलेगा कही न मिलेगा और इनकी जलेबी का तो क्या कहना |


घड़ी बता रही हैं की दस से उपर हो चला हैं, चलिए केदार घाट चलते हैं |
बस केदार घाट के उपर ही है ये दुकान, श्री राम स्वीट्स
गजब का गजक बनाते हैं, काजू गजक खाने के लिए, कम से कम आपको दो किलोमीटर चलना पडेगा, चाहें घाट के रास्ते या गली के रास्ते, आप ना चल पायेंगे कहिये तो हम ले आए हर दूसरे तीसरे दिन पहुच जाते हैं |
अब कहा चला याए, लस्सी पीजियेगा
कौन सी, हाँ जी कौन सी !
रविदास गेट की पहलवान लस्सी’
या रामनगर की रबड़ी दार लस्सी,
या वो जो विदेशीयों को खूब भाती हैं, Blue लस्सी,
सही सुना आपने ! Blueberry लस्सी, Apple banana chocolate लस्सी, या Pinapple लस्सी,
सही सुना आपने नाम लेते जाई पचासों तरह की लस्सी बनाते हैं ये |
काफी भीड़ होती हैं यहाँ, आपको खड़ा हो के पीना पड़ सकता हैं सड़क पे, हाँ मगर Free WiFi देता हैं ये |

ठंडाई तो हम भूल ही गए, वैसे तो कई दुकाने हैं गदौलिया चौराहे पे,
पर मेरी खास चर्च के पीछे हैं, रंगीन पीजियेगा या सादी
नहीं समझे भोलेनाथ का प्रसाद भांग लेंगे या नहीं,
नहीं, चलिए कोई बात नहीं |

मीठा बहोत हो गया ना,
चलिए चाट हाँ मशहूर बनारसी चाट खिलाए,
काशी चाट भंडार, दीना चाट भण्डार और केशरी चाट भण्डार |
मै दीना चाट भंडार पे खाना पसंद करता हूँ, नारियल बाजार में हैं ये चौक पुलिस स्टेसन के पीछे, क्या खाइएगा फुलकी(पानी पूरी), टमाटर चाट या दही बड़े |

अब चलिए ले चलता हूँ आपको जन्नत में, घबराई नहीं जान नहीं देनी होगी
ठठेरी बजार चलाना होगा बस, मेरे लिए यह जगह जन्नत से कम नहीं, जन्नत इसलिए की यहाँ जो चीज खाइए एक से बढकर एक, अमृत भी कह सकते हैं, ये गली स्वादों से भरी हैं |
सुबह लाया होता तो आपको, The राम भंडार प्रसिद्ध छोटी कचौरी, पूरी कचौरी खिलाया होता मजा आ जाता, इस वक्त आपको समोसा छोला मिल जाएगा |

चिंता ना करे अभी भी कोई कम आनंद नहीं आने वाला, वो दिख रहा हैं आपको जो सफ़ेद मकान से सटा के टेबल पे कुछ बेच रहा हैं, जानते वो मकान किसका हैं ! भारतेंदु हरिश्चन्द्र जी का हिंदी के बहुत बड़े कवि थे, उन्हें आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामह भी कहा जाता हैं |

अब आइए इस दूकान पे, पलंग तोड़ रबडी कभी खाई हैं, Sandwich रबड़ी भी कहते है इसे, ये खाने के बाद कुछ अच्छा नहीं लगेगा, ये आखिर में खाएँगे |
थोड़ा आगे एक खास दुकान हैं, “श्री लक्ष्मी गोरस भंडार” दो तीन चीज़े ही बनाते हैं ये,
और रात नौ बजते बजते सब खतम भी हो जाती हैं |
मालई पूरी खाई है कभी, अरे मलाई पूरी से ही पेट भरेंगे क्या !
इनकी रबड़ी का जवाब नहीं हैं वो कौन खायेगा ?
इस राबड़ी के लिए हम जान दे भी सकते हैं और ले भी सकते हैं |
कलाकंद भी हैं खा लिजिये ये स्वाद कही और ना मिलेगा |

ठंडी में आए होते तो मलइयो भी खिलाते आपको, ठंडी में ही मिलती हैं वो बस |

कहाँ कहाँ चल दिए जनाब ! एक स्वाद तो आप भूल ही गए,
बनारसी स्वाद अधूरा हैं इसके बिना
बनारसी पान कौन खायेगा ?आत्मा तृप्त न हो जाए तो बोलिए, चलिए मुह खोलिए |

चलिए अब चलते हैं, अब अगली बार मिलेंगे, किसी और शहर की गलियां, नुक्कड़ चौराहे छानेंगे |

Post Link : शशिप्रकाश सैनी
 
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सुबहे बनारस _ हमारी काशी

आज का दिनाक :  29 March 2014   दिन :    Saturday ( सुबहे बनारस _ हमारी काशी )  

काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह..
सुप्रभात .. बनारस▬●Good Morning.. Banaras▬● সুপ্রভাত .. কাশী▬●મોર્નિંગ સારા .. બનારસ▬● ಮಾರ್ನಿಂಗ್ ಗುಡ್ .. ಬನಾರಸ್▬●
नमस्ते बनारस.. महादेव .. जय श्री कृष्ण.. राधे राधे.. सत श्री आकाल.. सलाम वाले कुम.. जय भोले ..

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योयो हनी सिंह और इन युवाओं के गानों पर झूमता है देश



हर चेहरे के लिए नई आवाज. हर मूड के लिए अलग आवाज. गायिकी की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं. प्लेबैक सिंगर के लिए जरूरी मानक पूरा करना भी शर्त नहीं. यह बॉलीवुड में संगीत की खुली हवा का दौर है. जिसने सारी पुरानी परिपाटियों को ध्वस्त कर दिया है. अब वे दिन लद गए हैं जब पचास-साठ की उम्र पार कर चुके गायक ताजा और युवा चेहरों को अपनी आवाज देते थे.

1996 में सुनिधि चौहान के आगमन ने बॉलीवुड में एक नए दौर का आगाज किया. बारह साल की लड़की ने वह कर दिखाया जिसके बारे में लंबे अरसे से सोचना भी असंभव था. सुनिधि का आना बॉलीवुड में जहां टैलेंट और फिल्मी बैकग्राउंड से हटकर आने वालों की शुरुआत थी, वहीं उन्होंने ऐसा ट्रेंड शुरू किया जिसकी चर्र्चा आज हर ओर है. वे सिंगिंग रियलिटी शो जीतकर आई थीं. आज अधिकतर सिंगर उसी राह से बॉलीवुड में दस्तक दे रहे हैं.


आज अगर आप में टैलेंट है तो काम आपके पास चलकर आएगा. तभी तो 2013 के टॉप गानों-लुंगी डांस (हनी सिंह), तुम ही हो (अरिजीत सिंह), सनी सनी सनी (नेहा कक्कड़), अंबरसरिया (सोना माहपात्र) और बलम पिचकारी (बेनी दयाल) में ऐसी आवाजें सुनाई दीं, जिन्होंने अपने दम पर यह सफर तय किया है. ये नए-नवेले चेहरे आज कटरीना कैफ से लेकर आलिया भट्ट तक को अपनी आवाज दे रहे हैं. ये वे लोग हैं, जिन्होंने संसाधनों की परवाह नहीं की और सिर्फ अपने जुनून को पूरा करने के लिए कदम बढ़ाए हैं. ये किसी ऊंचे खानदान से नहीं आए हैं.


चाहे वे रैप से भारत की पहचान बन चुके हनी सिंह हों या अपने पिता का सपना पूरा करने वाले नकाश अजीज या फिर एकदम अनकन्वेंशनल आवाज वाले मीका सिंह. गायिकी में हाथ आजमा रहीं नीति मोहन से लेकर नेहा कक्कड़ तक बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं. कोई इंजीनियर है तो कोई बड़ी कंपनी में काम कर रहा था जबकि कोई ऐक्टिंग और डांसिंग में हाथ आजमा रहा था. संगीत की यह नई पौध गायिकी, ऐक्टिंग और परफॉर्मेंस तक में माहिर है.


नए टैलेंट को मौका देने वाले म्यूजिक डायरेक्टर प्रीतम कहते हैं, ‘‘मैं हमेशा नए टैलेंट के साथ काम करने के लिए तैयार रहता हूं. नए गायकों से गायन में ताजगी का एहसास बना रहता है.’’ वे बॉलीवुड में मोहित चौहान, मीका और नीरज श्रीधर जैसे लोगों को मौका दे चुके हैं. अब वह पीढ़ी आ चुकी है जो सुनिधि चौहान, श्रेया घोषाल, सोनू निगम और मोहित चौहान जैसे सिंगर्स की परंपरा को आगे बढ़ा रही है. पैपॉन, भूमि त्रिवेदी, अंतरा मित्रा, अंकित तिवारी, दिव्या कुमार और अमन त्रिखा जैसे कुछ और नाम भी हैं जो बॉलीवुड के उभरते सितारे हैं.


संगीत के मंच पर नए स्टार आ और छा चुके हैं. लेकिन क्या इनके गीत वक्त के थपेड़ों को झेल पाएंगे? क्या इनके गीत टिकाऊ हो पाएंगे? कहीं आने वाले कल में ये आवाजें गुम तो नहीं हो जाएंगी? आने वाले कल की भविष्यवाणी कर पाना मुश्किल है लेकिन आज तो इन सितारों का ही है. 


योयो हनी सिंह, 30 वर्ष
पहला फिल्मी: हिट लुंगी डांस (चेन्नै एक्सप्रेस)
सबसे बड़ा फिल्मी हिट: पार्टी ऑल नाइट (बॉस) 


‘‘इनसान अपने अतीत को न भूले तो ऊंचे मुकाम तक पहुंचता है. योयो की कामयाबी की यही वजह है. वे हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं.’’
जैज़ी बी, पंजाबी सिंगर

शाहरुख खान उनके एटीट्यूड के दीवाने हैं तो अक्षय कुमार को उनके गाने अपनी फिल्म में रखना बेहद पसंद है. वे बॉलीवुड में फिल्म हिट होने की गारंटी बनते जा रहे हैं, जैसा किचेन्नै एक्सप्रेस (लुंगी डांस) और यारियां (एबीसीडी और सनी सनी सनी) से जाहिर हो चुका है. वे ऐसे शख्स हैं जिसने शाहरुख के दिखाए चारों गाने रिजेक्ट कर दिए और अपनी मर्जी का गाना लेकर आए.


म्यूजिक डायरेक्टर विशाल-शेखर को ऑब्जेक्शन हुआ लेकिन शाहरुख ने गाने को फिल्म के आखिरी में रखा. लुंगी डांस 2013 का सबसे बड़ा हिट रहा. दिल्ली के अर्जुन नगर में पैदा हुए, कर्मपुरा की गलियों में जवां होने और लंदन में म्यूजिक का ककहरा सीखने वाले हिरदेश सिंह उर्फ योयो हनी सिंह ने पिछले तीन साल में इंडियन म्यूजिक के आयाम को बदलकर रख दिया है. वे अच्छे सिंगर तैयार करने के इरादे से लंदन से चंडीगढ़ आए थे.


लेकिन जिसे भी सिंगर बनाते, सितारे चमकने के बाद, नीचे देखना ही भूल जाता. हनी ने इसी को देखते हुए खुद आगे आने का फैसला किया. सबसे पहला काम उन्होंने अपने 93 किलो के बदन को तराशने का किया. विवाद और लोकप्रियता उनके लिए हमेशा साथ चलने वाली दो चीजें हैं, फिर भी बिंदास एटीट्यूड और स्पोर्ट्स कारों के शौकीन हनी जिंदगी छककर जीने में यकीन करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘मैं अपनी किस्मत खुद बनाने में यकीन करता हूं.


जब तक आप मेहनत नहीं करेंगे, आपका भला कोई नहीं कर सकता.’’ यह उनकी गायिकी ही है, जिसकी वजह से वे एक गाने के 70 लाख रु. तक ले लेते हैं और प्रोड्यूसर उन्हें पैसे देने में झिझकते भी नहीं. यूट्यूब पर उनके सांग्स को करोड़ों हिट मिलते हैं. दुबई में उन्होंने आशियाना और स्टुडियो बनाया है और रजनीकांत फेवरिट स्टार हैं.


ग्रैमी अवार्ड जीतने की हसरत रखने वाले हनी कहते हैं, ‘‘इंग्लिश के रैप सांग्स भारत में काफी पॉपुलर हैं. मैंने इसे पंजाबी और हिंदी में ही रखने का फैसला किया क्योंकि मैं देसी अंदाज में ही उन्हें एंटरटेन करना चाहता था.’’ बॉस के पार्टी ऑल नाइट और बॉस उनके हिट रहे हैं तो ब्लू आइज और ब्राउन रंग भी टॉप पर रहे हैं. 

 ममता शर्मा, 33 वर्ष
पहला हिट: मुन्नी बदनाम हुई (दबंग)
सबसे बड़ा: हिट फेविकोल से (दबंग-2) 


‘‘उनकी आवाज में एक तरह की मस्ती है. मैंने उन्हें स्टेज पर सुना और उसके बाद ही मन बना लिया कि वे मेरे लिए गाएंगी.’’
ललित पंडित,
म्यूजिक डायरेक्टर

ममता मध्य प्रदेश के ग्वालियर की रहने वाली हैं. बॉलीवुड में गाने से पहले वे भोजपुरी एल्बम के साथ ही खूब स्टेज शो भी करती थीं. ममता ने 10-11 साल की उम्र से ही जगराते और स्टेज पर गाना शुरू कर दिया था. पढऩे का कुछ खास शौक नहीं था. स्कूल न जाना पड़े, इसलिए वह गाने में रमना चाहती थीं. स्टेज और तालियों की लत लग गई. वे तो दसवीं के बाद ही मुंबई जाकर करियर शुरू करना चाहती थीं, लेकिन उन्हें 12वीं के बाद वहां जाने का मौका मिला.


मुंबई में बीएफए की पढ़ाई करने लगीं, लेकिन उसमें भी मन नहीं लगा. बस पढ़ाई छोड़ी और स्टेज पर गाने लगीं. एक दिन एक स्टेज शो के दौरान ललित पंडित की उन पर नजर गई. उनकी आवाज अरबाज खान ने दबंग के लिए सुनी और कहा, ‘‘मुन्नी बदनाम सिर्फ ममता ही गाएंगी.’’ और मुन्नी बदनाम हुई गाने ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचा दिया. दबंग-2 में वे नजर भी आई थीं.


उन्होंने अनारकली डिस्को चली (हाउसफुल-2), आ रे प्रीतम प्यारे (राउडी राठौर) और फेविकोल से (दबंग-2) जैसे हिट गाने दिए हैं. उनकी बुलंद आवाज आइटम सांग्स पर काफी फबती भी है. 2013 में टूह (गोरी तेरे प्यार में) और डोंट टच माइ बॉडी (बुलेट राजा) भी खूब पसंद किए गए हैं. उन्होंने गायिकी की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है और आने वाले दिनों में उनकी आवाज शातिर, दावत-ए-इश्क, वेलकम बैक और हेट स्टोरी-2 के गानों में भी सुनाई देगी.


‘‘बेनी बेहतरीन, एक्सप्रेसिव और माइक पर किसी ऐक्टर की तरह हैं. डांस सांग्स के लिए वे नए दौर की आवाज हैं.’’

सचिन-जिगर, म्यूजिक डायरेक्टर 



 बेनी दयाल, 29 वर्ष
पहला हिट: पप्पू कांट डांस साला (जाने तू...या जाने न)
सबसे बड़ा हिट: बदतमीज दिल (ये जवानी है दीवानी)

उन्हें डांस का शौक था और इसके लिए वे अकसर गाने सुना करते थे और इसी तरह उन्हें गायिकी का शौक पैदा हो गया. बेनी अबू धाबी में ही पले-बढ़े हैं और मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज से बी.कॉम हैं. उन्होंने बीपीओ की नौकरी छोड़कर गायिकी में जाने का फैसला किया. वे स्टेज पर गाने लगे और फिर एक दिन ए.आर. रहमान की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने बेनी को मौका दिया. शुरुआत तमिल, तेलुगु और मलयालम से की और रहमान के लिए कई गाने गाए.


उन्हें पहचान मिली रहमान के पप्पू कांट डांस साला (जाने तू...या जाने न) से. वे एस5 बैंड के साथ भी परफॉर्म करते हैं. उनके हिट गानों में शामिल हैः शुद्ध देसी रोमांस (शुद्ध देसी रोमांस), कैसे मुझे तुम मिल गई (गजनी), आदत से मजबूर (लेडीज वर्सेज रिकी बहल), दारू देसी (कॉकटेल), लत लग गई (रेस-2) और बदतमीज दिल (ये जवानी है दीवानी). हंसी तो फंसी का शेक इट लाइक शमी भी काफी पसंद किया गया है. 

अरिजीत सिंह, 26 वर्ष
पहला हिट: फिर मुहब्बत करने चला (मर्डर-2)
सबसे बड़ा हिट: तुम ही हो (आशिकी-2)

अरिजीत 2005 में टीवी शो फेम गुरुकुल में नजर आए थे. उसके बाद वे मुंबई आ गए और यहां पहले शंकर महादेवन के साथ काम किया और फिर प्रीतम के साथ बतौर असिस्टेंट म्यूजिक कंपोजर जुड़ गए. पहला मौका शंकर-एहसान-लॉय ने अपनी फिल्म हाइ स्कूल म्युजिकल-1,2 में दिया. टर्निंग पॉइंट रहा मर्डर-2 (2011) का गाना फिर मुहब्बत करने चला. आशिकी-2 (2013) के तुम ही हो ने पूरी कहानी ही बदलकर रख दी.


एजेंट विनोद का राब्ता, कॉकटेल का यारियां और बर्फी का फिर ले आया दिल भी उनके हिट रहे. 2013 ने उनकी तकदीर ही बदल दी और वे देश की सबसे पसंदीदा आवाज बन गए. दिल्ली वाली गर्लफ्रेंड (यह जवानी है दीवानी), बादल जो बरसे (जैकपॉट) और हर किसी को नहीं मिलता (बॉस) उनके हिट हैं. वे मौजूदा दौर को बेहतरीन मानते हुए कहते हैं, ‘‘टैलेंट कहीं से भी आ सकता है, उसकी कोई सीमा नहीं होती.’’


‘‘वे बहुत ही टैलेंटेड हैं और उन्हें अलग-अलग स्टाइल की गायिकी में महारत हासिल है.’’

मिठुन, म्यूजिक डायरेक्टर 


 मोनाली ठाकुर, 28 वर्ष
पहला हिट: जरा जरा टच मी (रेस)
सबसे बड़ा हिट: सवार लूं (लुटेरा)

उन्हें गायिकी का माहौल शुरू से मिला. उनके पिता मशहूर बंगाली गायक हैं तो बहन भी प्लेबैक सिंगर हैं. मोनाली ने छह साल की उम्र में पहली बार गाना गाया था. इंडियन आइडल-2 में नौवें स्थान पर रहने के बाद वे सुर्खियों में आईं. उन्होंने 2008 में रेस-2 के दो गानों ख्वाब देखे और जरा जरा टच मी के साथ बॉलीवुड में करियर शुरू किया. 2013 में उन्हें लुटेरा के सवार लूं के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला.


वे नेशनल अवार्ड विनर बंगाली डायरेक्टर राजा सेन की फिल्म में भी काम कर चुकी हैं और जल्द ही नागेश कुकनूर की लक्ष्मी और अब्बास टायरवाला की मैंगो में लीड रोल में दिखेंगी. ऐसा नहीं है कि वे ऐक्टिंग के लिए सिंगिंग को पीछे छोड़ रही हैं. 2013 में कृष-3 का उनका रघुपति राघव राजा राम भी काफी पसंद किया गया. यह पूछने पर कि अब क्या गायिकी को छोड़ देंगी तो वे हंसते हुए कहती हैं, ‘‘इसका जवाब मुझे इस साल मिला फिल्म फेयर अवार्ड है.’’


‘‘उनकी मखमली और खिलखिलाती आवाज है. सुर-ताल की जबरदस्त समझ है. एकदम दोष रहित.’’

पीयूष मिश्र, राइटर और म्यूजिक कंपोजर 


नकाश अजीज, 28 वर्ष
पहला हिट: सेकंड हैंड जवानी (कॉकटेल)
सबसे बड़ा हिट: साड़ी के फॉल सा (आर...राजकुमार)

कर्नाटक के मंगलूर में जन्मे नकाश के पिता को गाने का शौक था. वे मुंबई आए लेकिन सफल नहीं हो सके. नकाश ने उनके सपने को सच कर दिखाया. पिछले साल के कुछ नटखट गाने उन्हीं के नाम दर्ज हैं. वे इंडियन आइडल-2 के टॉप 28 में चुने गए थे लेकिन म्यूजिक डायरेक्टर अनु मलिक से उनकी तू-तू मैं-मैं हो गई. पहला मौका उनके साउंड इंजीनियर दोस्त की वजह से मिला. उसने अमित त्रिवेदी को गाने के लिए उनका नाम सजेस्ट किया था. वे नींद से उठे थे और ऐसे ही गाने पहुंच गए.


टेंशन में थे लेकिन अमित को उनकी आवाज जम गई. उन्हें सुनो आयशा (आयशा) गाने को मिला. फिर फटाफटी (बर्फी) और सेकंड हैंड जवानी (कॉकटेल) जैसे गाने भी गाए. उन्होंने हिंदी फिल्म नो एंट्री के मराठी रीमेक में म्यूजिक भी दिया है. नकाश ए.आर. रहमान और प्रीत के साथ बतौर असिस्टेंट रह चुके हैं. रहमान को दिल्ली-6, रॉकस्टार, जब तक है जान और रांझणा में असिस्ट किया है. उन्होंने 2013 में शाहिद कपूर के लिए जितने भी गाने गाए सभी हिट रहे. जैसे, धतिंग नाच (फटा पोस्टर, निकला हीरो) और साड़ी के फॉल सा (आर...राजकुमार). 


नीति मोहन, 27 वर्ष
पहला हिट: इश्क वाला लव (स्टुडेंट ऑफ द ईयर)
सबसे बड़ा हिट: तूने मारी एंट्रियां (गुंडे)

दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज से फिलॉसफी में ग्रेजुएट और डांस इंस्ट्रक्टर रह चुकीं नीति अपने पेरेंट्स के संग अकसर वृंदावन जाती थीं. वहां सुने भजनों से उन्हें गायिकी की प्रेरणा मिली. चार बहनों में सबसे बड़ी नीति चैनल वी के शो पॉपस्टार्स की विजेता रहीं और आसमां बैंड की सदस्य बनीं. फिर उन्हें विशाल-शेखर के विशाल डडलानी का फोन आया और उन्होंने नीति की आवाज स्टुडेंट ऑफ द ईयर के लिए ट्राइ करने के लिए बुलाया.


उनका गीत इश्क वाला लव जबरदस्त हिट हो गया. फिर जब तक है जान में उनका जिया रे गाना भी हिट हुआ. वे ऐक्टिंग में भी हाथ आजमा चुकी हैं, और अभय देओल की सोचा न था में काम कर चुकी हैं. 2013 में वे  साडी गली आजा (नौटंकी साला) हर किसी को नहीं (बॉस) और कश्मीर मैं कन्याकुमारी (चेन्नै एक्सप्रेस) जैसे हिट दे चुकी हैं.


इस साल वे हाइवे, गुलाब गैंग, डर ऐट मॉल, शादी के साइड इफेक्ट्स और बेवकूफियां में भी गा रही हैं. उन्हें लांग ड्राइव का शौक है और अनुशासन को ही वे अपने इस मुकाम तक पहुंचने की वजह मानती हैं. अपने रियाज को तवज्जो देने वाली नीति का गुंडे फिल्म का तूने मारी एंट्रियां फिलहाल खूब सुना जा रहा है.


‘‘नीति की वॉयस बहुत ही इंटरेस्टिंग और फ्रेश है. तूने मारी एंट्रियां में वे बॉयज की एनर्जी को मैच करती हैं.’’

अर्जुन कपूर, ऐक्टर 


नेहा कक्कड़
, 25 वर्ष
पहला हिट: सेकंड हैंड जवानी (कॉकटेल)
सबसे बड़ा हिट: सनी सनी (यारियां)

हनी सिंह की वे गायिकी के लिए पहली पसंद हैं और जल्द ही उनके साथ नेहा के दो गाने आने वाले हैं. दिल्ली में जागरण और माता की चौकी से करियर शुरू करने वाली नेहा ने चार साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था. 16 साल की उम्र में वे इंडियन आइडल-2 में आईं और फाइनल तक गईं. इस शो के बाद उन्हें साल भर तक प्लेबैक का कोई मौका नहीं मिला और वे स्टेज शो करती रहीं. उन्हें संदेश शांडिल्य ने मीराबाई नॉट आउट में गाना गाने का मौका दिया.


लेकिन उन्होंने अपने दोस्त म्यूजिक कंपोजर सचिन के लिए न आना इस देश लाडो धारावाहिक का टाइटल गीत गाया तो उसे घर-घर में काफी पसंद किया गया. उन्होंने ब्लू के थीम सांग में भी अपनी आवाज दी और कपिल शर्मा के साथ कॉमेडी सर्कस के तानसेन नाम से शो में आ चुकी हैं. प्लेबैक में क्लिक किया कॉकटेल का सेकंड हैंड जवानी. वे हनी सिंह के साथ सैटन में भी गा चुकी हैं. इन दिनों क्वीन का लंदन ठुमकदा खूब सुना जा रहा है.


‘‘नेहा भारत की बेहतरीन और क्युटेस्ट आर्टिस्ट हैं.’’

हनी सिंह, सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर 


मीका सिंह, 36 वर्ष
पहला हिट: दिल में बजी गिटार (अपना सपना मनी मनी)
सबसे बड़े हिट: पंजाबियां दी बैटरी (मेरे डैड की मारुति), टूह (गोरी तेरे प्यार में) और गंदी बात (आर...राजकुमार)

उनका गोल्डन पीरियड चल रहा है. वे जो भी गाना गाते हैं, हिट हो जाता है. चाहे वह गंदी बात (आर...राजकुमार) हो या लैला तेरी ले लेगी (शूटआउट ऐट वडाला). उन्होंने नए साल पर प्रोग्राम के लिए कथित तौर पर 1.25 करोड़ रु. चार्ज किया और उनका अधिकतर समय कई देशों में स्टेज शो करते हुए निकलता है. उनके अधिकतर हिट गाने सुपरस्टार्स पर नहीं फिल्माए गए हैं, इसके बावजूद वे हिट हैं. पिछले तीन साल में वे दो दर्जन से ज्यादा हिट दे चुके हैं.


और इसकी वजह उनकी अनकन्वेंशनल आवाज मानी जाती है. ऐसी आवाज जिसे कुछ समय पहले तक प्लेबैक सिंगिंग के लिए सही नहीं माना जाता था. मीका ने सावन में लग गई आग एल्बम से 1998 में करियर शुरू किया और 2006 में बॉलीवुड में आए थे. छह भाइयों में सबसे छोटे मीका दलेर मेहंदी के भाई हैं, और काफी कम उम्र से ही गायिकी में हाथ आजमाने लगे थे.


‘‘मीका की वॉयस बहुत हटकर है, और यही बात उन्हें डिमांडिंग सिंगर    बनाती है.’’

कैलाश खेर, सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर 


सोना महापात्र
, 35 वर्ष
पहला हिट: बेदर्दी राजा (डेल्ही बेली)
सबसे बड़ा हिट: अंबरसरिया (फुकरे)

उन्होंने इंजीनियरिंग और एमबीए की डिग्री ले रखी है और उनके परिवार में क्लासिकल म्यूजिक की शिक्षा लेना जरूरी था. वे कहती हैं, ‘‘मैं मिडल क्लास फैमिली से हूं. हम तीन बहनें हैं. पेरेंट्स का फंडा रहा कि खाने को न मिले लेकिन म्युजिक की ट्रेनिंग रुकनी नहीं चाहिए.’’ सोना ने एक बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़कर सिंगिंग को करियर के तौर पर चुनने का फैसला किया था. उनका यकीन सेलेक्टिव काम करने में है और वे लाइव परफॉर्मेंसेज पर ज्यादा जोर देती हैं.


टीवी सीरियल सत्यमेव जयते का मुझे क्या बेचेगा रुपैया काफी पसंद किया गया. आइ हेट लव स्टोरीज का बहारा गाना भी यूथ में काफी पॉपुलर हुआ. कोक स्टुडियो का पिया से नैना भी बेहद चर्चित है. वे बुल्लेशाह की हीर गाना बहुत पसंद करती हैं. ट्रैवलिंग और पढऩा उनके फेवरिट टाइम पास हैं. जल्द शुरू हो रहे सत्यमेव जयते-2 में वे अपने सुरों का जादू बिखरेंगी. म्यूजिक डायरेक्टर राम संपत उनके पति हैं.


‘‘वे किस्सागो की तरह हैं. वे लिरिक्स में गहराई लाती हैं और मेलॉडी को बेहतरीन बना देती हैं.’’

राम संपत, म्युजिक डायरेक्टर 

शाल्मली खोलगड़े, 26 वर्ष
पहला हिट: परेशां(इशकजादे)
सबसे बड़ा हिट: बलम पिचकारी (ये जवानी है दीवानी)

शाल्मली ने क्लासिकल संगीत की ट्रेनिंग ले रखी है लेकिन उसे वेस्टर्न टच देकर गायिकी में चार चांद लगाने का काम किया है. वे क्लासिकल डांसर और थिएटर से जुड़ीं उमा खोलगड़े की बेटी हैं. शाल्मली ने 2012 में इशकजादे के परेशां से बॉलीवुड में करियर शुरू किया और फिल्म फेयर समेत कई अवार्ड जीते. उनके लोकप्रिय गानों में दारू देसी (कॉकटेल) और आगा बाई (अय्या) भी शामिल हैं.


वे हिंदी के साथ ही तमिल, तेलुगु, बंगाली और मराठी में भी गा रही हैं. वे मराठी फिल्म तू माजा जीव (2009) में बतौर ऐक्ट्रेस भी नजर आ चुकी हैं. 2013 में उन्होंने बलम पिचकारी (ये जवानी है दीवानी), लत लग गई (रेस-2), शुद्ध देसी रोमांस (शुद्ध देसी रोमांस), चिंगम चबाके (गोरी तेरे प्यार में) जैसे हिट गाने दिए. उनकी खासियत है कि वे अंग्रेजी में भी बखूबी गाने गा लेती हैं.


‘‘शाल्मली बहुत ही फील के साथ गाना गाती हैं. दारू देसी में उन्होंने मस्ती और इमोशन का मजेदार छौंक लगाया.’’

इरशाद कामिल, गीतकार
 

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काशी में तूफान, मोदी के खिलाफ अब मैदान में डॉन !

- आप और कांग्रेस के मुस्लिम समीकरणों पर लगेगी सेंध
- काशी में मोदी के खिलाफ मजबूत दावेदार खड़ा करेगी कांग्रेस ~ सोनिया

कौमी एकता दल के विधायक मुख्तार अंसारी ने घोसी के साथ वाराणसी लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ने का एलान किया है।
उन्होंने कहा कि दोनों सीटों से भाजपा की जमानत जब्त हो जाएगी। मुख्तार अंसारी बुधवार को जिला न्यायालय में अपने विरुद्ध चल रहे मुकदमों की पेशी पर आए थे।
वह इस समय आगरा जेल में बंद हैं। उन्होंने कहा कि मैं विकास तथा सद्भाव के मुद्दे पर एकता मंच के बैनर तले चुनाव लड़ूंगा।


मोदी की हवा सिर्फ मीडिया में : मुख्तार अंसारी बुधवार को कचहरी परिसर में पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की वैसी हवा नहीं है जैसी मीडिया दिखाई दे रही है।
उन्होंने दावा किया कि दोनों सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की जमानत जब्त करवा देंगे। मुख्तार अंसारी ने कहा कि चुनाव चाहे विधानसभा का हो या लोकसभा का, मेरा मुद्दा विकास और भाईचारा ही होता है।
यही वजह है मऊ की जनता मुझे चार बार से चुनती आ रही है। मुख्तार अंसारी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से भाजपा उम्मीदवार मुरली मनोहर जोशी को कड़ी टक्कर दी थी।

सोनिया ने मोदी पर तोड़ी चुप्पी : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी मोदी और काशी पर चुप्पी तोड़ दी है। सोनिया ने कहा है कि कांग्रेस वाराणसी काशी में मोदी के खिलाफ निश्चित तौर पर मजबूत दावेदार खड़ा करेगी।
सोनिया ने लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करते हुए कहा कि कांग्रेस मोदी को जरूर कड़ी चुनौती देगी।
पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कहा कि मोदी एक खास किस्म की विचारधारा के हैं, जो एक-दूसरे को लड़ाने की है।
राहुल ने कहा कि यह विचारधारा देश को नुकसान पहुंचाने वाली है। उन्होंने कहा कि इससे हर कांग्रेसी लड़ेगा और उसे हराएगा भी।

केजरीवाल से भी घिरे हैं मोदी :
अर‌विंद केजरीवाल ने अपनी रैली में नरेंद्र मोदी, भाजपा और कांग्रेस को कोसने के बाद आखिरकार बनारस से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी की लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है। कांग्रेस और या भाजपा, नरेंद्र मोदी हों या राहुल गांधी ये सब मुकेश अंबानी के हाथों में खेलने वाले लोग हैं।
उन्होंने कहा, 'मैं भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को चुनौती देता हूं कि वे बनारस आकर देश के सामने खड़े तमाम मुद्दों पर बहस करें। और अगर वे बहस करने के लिए नहीं आए तो देश समझ जाएगा कि दाल में कुछ काला है।
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सन्नी लियोन

सन्नी लियोन (जन्म केरेनजीत कौर वोहरा​​, मई 13, 1981) एक भारतीय-कैनेडियन अश्लील फिल्म अभिनेत्री, बिज़नेसवुमन और मॉडल हैं जिनके पास कनाडा व अमरीका की दोहरी राष्ट्रीयता है। यह 2003 में पेंटहाउस पैट ऑफ द इयर के लिए नामित हुई और विविड एंटरटेनमेंट के लिए अनुबंध स्टार थीं। इन्हें मैक्सिम द्वारा 2010 में 12 शीर्ष व्यस्क अभिनेताओं में नामांकित किया गया था। यह स्वतंत्र मुख्यधारा की फिल्मों और टीवी शो में भी भूमिका निभा चुकी हैं। 2011-12 में भारत आने के बाद रियलिटी शो बिग बॉस और महेश भट्ट की आगामी फिल्‍म जिस्म २ में काम करने के कारण चर्चा में रही हैं।
सन्नी लियोन २०१२ में
जन्म     :केरेनजीत कौर वोहरा
               13 मई 1981 (आयु 32)
               सार्निया, ओंटारियो, कनाडा
लंबाई                   5 फीट 4 इंच (1.63 मी.)
वज़न                   110 पौंड (50 कि॰ग्रा॰)
जूते का साइज़       6.5[1]
आँखों का रंग         भूरी
बालों का रंग          काले
त्वचा का रंग         ओलिव
नस्ल                    भारतीय
वयस्क फिल्मों की संख्या     ३५ बतौर अभिनेत्री[2]
२५ बतौर निर्देशक
(आईएएफडी के अनुसार)[3]
 



शुरूआती जीवन
लियोन का जन्म केरेन मल्होत्रा नाम से सार्निया, ओंटारियो में एक सिक्‍ख पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पिता तिब्बत में जन्मे व दिल्ली पले बढ़े थे और उनकी माँ (जिनकी २००८ में मृत्यु हो गई[4]) नहान नाम के सिरमौर, हिमाचल प्रदेश के एक छोटे गांव से थी।[5] बचपन से ही वे काफ़ी चुस्त थी और लड़कों के साथ हॉकी खेलती थीं[6] व आइस स्केटिंग करना पसंद करती थी।[7]

हालांकि वह सिक्‍ख थी, उनके माता-पिता ने उन्हें एक ख्रिस्ती विद्यालय में दाखिल करवा दिया क्योंकि उनके लिए आम स्कूल में जाना खतरे से भरा समझा गया।[8] वहां उन्होंने ११ की उम्र में पहली बार चुम्बन लिया व अपनी कौमार्य १६ की आयु में एक बास्केटबॉल खिलाडी से तुडवाई और १८ की उम्र में उन्हें ज्ञान हुआ की वह समलैंगिक है।[9] जब वह १२ वर्ष की थी तब उनका परिवार फोर्ट ग्रेटियट, मिशिगन चला गया व उसके एक साल बाद लेक फ़ॉरेस्ट, कैलिफोर्निया गया।[10][11] उन्होंने १९९९ में हाई स्कुल से डिग्री प्राप्त की और कॉलेज में दाखिला लिया।
 



करियर
अश्लील फ़िल्मों की दुनिया में आने से पहले वह जर्मन बेकरी, जिफ्फी लुब में कार्य करती थी और बाद में एक टैक्स और निवृत्ति कंपनी में भी कार्य किया। ऑरेंज काउंटी में नर्स की पढ़ाई करते वक्त उनकी एक सहेली, जों कामुक नर्तकी थी, ने लियोन को जॉन स्टीवंस से मिलवाया, जों एक एजंट थे और उन्होंने उन्हें जे एलेन से मुलाकात करवाई जों पेंटहाउस मैगज़ीन के चित्रकार थे। जब अपने अश्लील करियर के लिए उन्हें नाम चुनना था तब उन्होंने अपना असली नाम सन्नी बताया। लियोन नाम बाद में बोब ग्सियोनी ने उन्हें दिया जों पेंटहाउस के पूर्व मालिक थे। लियोन ने पेंटहाउस के लिए चित्र निकलवाए और उन्हें पेंटहाउस की मार्च २००१ की पेट ऑफ द मंथ रखा गया और २००१ के हस्लर मैगज़ीन के संस्करण में हस्लर हनी का सम्मान दिया गया।

मुख्यधारा प्रदर्शन
लियोन का पहला प्रदर्शन२००५ में था, जब वे लाल कालीन रिपोर्टर बनी थीं एम टीवी अवार्ड और एम टीवी इंडिया के लिए। लियोन को फिल्मों में अभिनय करने का भी अनुभव है, थी गर्ल नेक्स्ट दूर नामक फिल्म में अभिनय करने के बाद हिंदी फिल्मों में अभिनय करने का शौक रखतीं हैं। बिग बॉस के घर में रहने के दौरान, सनी ने एक प्रसिद्ध बॉलीवुड निर्देशक महेश भट्ट द्वारा संपर्क किया, महेश भट्ट ने जिस्म में 2 प्रमुख भूमिका की पेशकश की । लियोन ने इसे स्वीकार कर लिया है, जो पूजा भट्ट प्रोडक्शन हाउस और लियोन एजेंट के फिल्म आगे चर्चा में परिणाम देगा. [12]

 
सन्दर्भ
  "Model: Sunny Leone"
    . OneModelPlace.Com. अगस्त 19, 2008. अभिगमन तिथि: सितम्बर 10, 2011.
    सन्नी लियोन
    वयस्क फिल्म डेटाबेस
    "Personal Biography - Sunny Leone"
    . IAFD.com. अभिगमन तिथि: सितम्बर 10, 2011.
    Joanne Cachapero (2008-07-30). "SunnyLeone.com Relaunches With Party This Weekend"
    . AVN. अभिगमन तिथि: 2008-07-02.
    Luke Ford. "Interview"
    . lukeisback.com. अभिगमन तिथि: 2007-05-13.
    "Sunny Leone Becomes Vivid Girl"
    . AVN. 2007-06-20. अभिगमन तिथि: 2007-08-26.
    Rabbits Review (2005-12-15). "Rabbits Porn Blog: Sunny Leone Interview"
    . Rabbits Review. अभिगमन तिथि: 2005-12-15.
    Shawn Alff (2010-08-23). "Pornstar Sunny Leone on thriving in the wild, wild west of the adult industry"
    . blogs.creativeloafing.com. अभिगमन तिथि: 2010-09-11.
    Men's Fitness (2007-02-01). "Meet The Girl: Sunny Leone"
    . Men's Fitness. अभिगमन तिथि: 2007-02-01.
    "Ambush Interview #97"
    . Ambush Interview. 2006-10-08. अभिगमन तिथि: 2006-10-08.
    Weisblott, Marc (2008-07-04). "Sunny Leone's America"
    . Eye Weekly. Archived from the original
    on 2008-11-19. अभिगमन तिथि: 2008-07-04.
    "Sunny Leone says yes to Mahesh Bhatt — Hindustan Times"
    . hindustantimes.com. 2011 [last update]. अभिगमन तिथि: 2011-12-02.



Comedy Nights with Kapil - Sunny Leone & Ekta Kapoor - Ragini MMS 2


 
आधिकारिक वेबसाइट
 
Adult Film Database

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मोदी से भिड़ने के मंसूबों के साथ वाराणसी पहुंचे केजरीवाल

बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोकने के मंसूबों के साथ अरविंद केजरीवाल वाराणसी पहुंच चुके हैं। यह तय माना जा रहा है कि दोपहर तीन बजे बेनियाबाग की जनसभा में केजरीवाल, मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में ताल ठोकने का औपचारिक ऐलान कर देंगे। हालांकि, केजरीवाल ने दोहराया है कि वाराणसी की जनता से राय लेने के बाद ही वह चुनाव लड़ने का फैसला करेंगे।

दिल्ली से शिवगंगा एक्सप्रेस से वाराणसी पहुंचने के बाद उन्होंने गंगा में स्नान किया। इसके बाद केजरीवाल कालभैरव मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। उनका कार्यक्रम संकटमोचन मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन के लिए जाने का भी है। मंदिरों में दर्शन के बाद चौक से बेनियाबाग तक रोड शो करेंगे और उसके बाद बेनियाबाग में केजरीवाल की जनसभा होगी।


जानकारी के मुताबिक, जनसभा में केजरीवाल अपनी उम्मीदवारी का अनुमोदन तो कराएंगे ही, नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमले भी बोलेंगे और उनके विकास के दावों को झूठा साबित करने की कोशिश करेंगे। इसके लिए चार पेज की चिट्ठी भी बांटी जाएगी। इस चिट्ठी में कहा जाएगा कि बनारस में कई साल से सांसद, विधायक, नगर निगम के ज्यादातर पार्षद और मेयर बीजेपी के ही हैं। इसके बावजूद सारा शहर बदहाल है।

यहां पार्टी गंगा की सफाई और बुनकरों की समस्याओं को चुनावी मुद्दा बनाएगी। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों की तर्ज पर उनकी पार्टी हर लोकसभा क्षेत्र के लिए अलग घोषणापत्र तैयार करेगी। बनारस के घोषणा पत्र में गंगा, बिजली, पानी, सड़क, सफाई के अलावा बुनकरों की बदहाली दूर करने पर जोर होगा। इसके लिए पूरी कार्ययोजना समय आने पर प्रस्तुत की जाएगी।

कार्यक्रम के मुताबिक अरविंद केजरीवाल दो दिन बनारस में रहेंगे। बेनियाबाग की रैली से पहले कालभैरव और काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन के जरिए केजरीवाल का हिन्दूवादी चेहरा लोग देखेंगे तो रैली के बाद शाम को मुस्लिम टोपी पहने वह तंजीमों के सरदार और बुनकरों से नाता जोड़ेंगे। मुस्लिम इलाकों में जाने से पहले वह मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन के घर जाकर गुफ्तगू करेंगे।

अरविन्द के कार्यक्रम का जो खाका तैयार किया है, उसमें वह पिछड़े और कुर्मी वोटों को साधने की योजना है। 26 मार्च को भारत माता मंदिर से 30 किलोमीटर लम्बे रोड-शो के मार्ग रथयात्रा, महमूरंगज, मुढ़ैला से मोहनसराय होते हुए मिर्जामुराद और इलाहाबाद हाईवे पर स्थित अखरी तक का क्षेत्र पिछड़े- कुर्मी वोटों के गढ़ के रुप में जाना जाता है। हालांकि इस रोड शो के लिए प्रशासन ने अभी तक अनुमति नहीं दी है।
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अरे! वो कैमरा एंगल बदल कर कम भीड़ दिखाने वाली फोटो आ गई हैं क्या कहीं?

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल मंगलवार सुबह वाराणसी पहुँचे. केजरीवाल ने कहा है कि वो बनारस की जनता से पूछ कर नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ लोकसभा चुनाव लडेंगे
 
Friends, I am leaving for Varanasi for our rally tomorrow. I need your support and wishes.
Post Link :

Reached Varanasi this morning for the Rally which is at Beniyabag Maidan at 3 PM. So glad to receive such enthusiastic response from the people of Banaras.

You can watch the live telecast of the Rally at https://www.youtube.com/user/LIVEAAP
 




Post Link 
Watch the live telecast of Varanasi Rally in Beniyabag Maidan, right now a



 Post Link 

Narendra Modi says that he is not corrupt as he does not have a family. Does this mean that wives and children force people to turn corrupt?

I would like to differ from him. My wife is my biggest pillar of support. - Arvind Kejriwal!

Watch the live telecast of Varanasi Rally in Beniyabag Maidan, right now at: http://aamaadmiparty.org/arvind-in-varanasi
 




Post Link


चंदा देने के लिए "आप पार्टी " को क्लिक करे  


अब बीजेपी डाइरेक्ट .. चंदा दे कोई भासन नहीं 


भारत में बहुत बेरोजगारी है भाई.. चूतिये हो तुम सब भारतीय  खर्च बहुत है भाई.. हमारे बहुत दलाल है.. फेसबुक के बहाने उनका पेट पाल रहे है
चंदा दे

बनारस आज  

बनारस आज ( कही विरोध तो कही सहयोग के साथ अरविंद केजरीवाल काशी मे....)











बनारस आज ( गंगा स्नान , दर्शन फिर बेनिया बाग सभा ....)





आप फैसला आप के हाथ

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टेलीमार्केटिंग से बचने के तरीके...

आजकल टेलीमार्केटिंग कम्पनियों का जमाना है, रोज-ब-रोज कोई ना कोई बैंक, इंश्योरेंस, फ़ाईनेंस एजेन्सी आदि-आदि फ़ोन कर-कर के आपकी नींद खराब करते रहते हैं, ब्लडप्रेशर बढाते रहते हैं, और आप हैं कि मन-ही-मन कुढते रहते हैं, कभी-कभी फ़ोन करने वाले को गालियाँ भी निकालते हैं, लेकिन अब पेश है कुछ नये आईडिया इन टेलीमार्केटिंग कम्पनियों से प्रभावी बचाव का - इनको आजमा कर देखिये कम से कम चार तो आपको पसन्द आयेंगे ही -

(1) जैसे ही टेलीमार्केटर बोलना बन्द करे,
उसे तत्काल शादी का प्रस्ताव दे दीजिये, यदि वह लड़की है तो दोबारा फ़ोन नहीं आयेगा, और यदि वह लड़का है तो शर्तिया नहीं आयेगा...

(2) टेलीमार्केटर से कहें कि आप फ़िलहाल व्यस्त हैं, तुम्हारा फ़ोन नम्बर, पता, घर-ऑफ़िस का नम्बर दो, मैं अभी वापस कॉल करता हूँ..

(3) उसे, उसी की कही तमाम बातों को दोहराने को कहें, कम से कम चार बार..

(4) उसे कहें कि आप लंच कर रहे हैं, कृपया होल्ड करें, फ़िर फ़ोन को प्लेट के पास रखकर ही चपर-चपर खाते जायें, जब तक कि उधर से फ़ोन ना कट जाये..

(5) उससे कहिये कि मेरी सारे हिसाब-किताब मेरा अकाऊंटेंट देखता है, लीजिये उससे बात कीजिये और अपने सबसे छोटे बच्चे को फ़ोन पकडा़ दीजिये...

(6) उससे कहिये आप ऊँचा सुनते हैं, जरा जोर से बोलिये (ऐसा कम से कम चार बार करें)..

(7) उसका पहला वाक्य सुनते ही जोर से चिल्लाईये - "अरे पोपटलाल, तुम... ! माय गॉड, कितन दिनों बाद फ़ोन किया,,,, और,,,,, और,,,,,, बहुत कुछ लगातार बोलिये... फ़िर वह कहेगा कि मैं पोपटलाल नहीं हूँ, फ़िर भी मत मानिये, कहिये "अरे मजाक छोड़ यार "....अगली बार फ़ोन आ जाये तो गारंटी...

(8) उससे कहिये कि एकदम धीरे-धीरे बोले, क्योंकि आप सब कुछ हू-ब-हू लिखना चाहते हैं, फ़िर भी यदि वह पीछा ना छोडे, तो एक बार और उसी गति से रिपीट करने को कहें....

(9) यदि ICICI से फ़ोन है तो उसे कहिये कि मेरे ऑफ़िस के नम्बर पर बात करें और उसे HSBC का नम्बर दे दें.

आजमा कर देखिये और हमें रिपोर्ट करें..

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बनरसिया कुल बरउरायल हउवन

“बनरसिया कुल बरउरायल हउवन। बउरहट एही से समझा कि ”हर हर महादेव अब हर हर मोदी हो गयल।”….. ” नहीं भइया अइसा नहीं है, बनारसी चढ़ा के उतारता है। नहीं उतारता तो बस महादेव को। हवा में मत रहिए जमीन सूंघीए और राजनीति पकड़िेए जब तक आप पकड़बा बनारसी निकल जाई अब हिलावत रहा घंटा…। इ हौ रजा बनारस। बाबा की परसादी घोंट कर विपत पाणे ने ज्ञान फेंका।
टीवी पर बहस चल रही है। हरियर कुर्ता में तोता मतिन बीजेपी नेता अशोक सिंह ने पादा- “अरे हवा बहत हौ मोदी…मोदी के सामने के कूदी…?” तभी समाजवादी मनोज यादव भोकरते हुए भइयालाल की दुकान में दाखिल हुए- “न दायम न बायम देखो, चरित्तर एक मुलायम देखो।”
बनारस अइसहीं चलता है। चलता रहा है और रहेगा। बड़े बड़े बोकरादी देने वाले दिल्ली लखनऊ न जाने कहां-कहां चले गए। पर बनारस छूटता है कभी? न छूटेगा। हमें लंठ कहिए, बकलोल कहिए, उजड्ड कहिए, आपकी मर्जी, हम तो ऐसे ही हैं। ऐसे ही रहेंगे। राजा बस एक है राजा बनारस। देव बस एक है महादेव। धर्म ? होंगे कई। दंगों में होते भी हैं कई। पर हमारा धर्म बनारस है। मेरी चाय खतम हो गई थी। अशोक पाणे बीजेपी की हरियरी समझा रहे थे। अब तक चुप बैठे कांता प्रसाद जो पेशे से अध्यापक हैं। जो अभी थोड़ी देर पहले बाबा की परसादी घोंट कर आए हैं, गूढ़ ज्ञान देते हैं।

“दम नहीं है न मोदी में, वापस जइहैं गोदी में”
मनोज ने लपका- “का बात कहला चच्चा। अरे का असोक चच्चा अब बोला काहें बुता (बुझ जाना) गइला।”
“अबे ए मनोज तुम हों लौंडे। मुलायम के सहारे दिल्ली की बैतरणी पार करोगे? अरे ऐतनै दम रहल त काहें नाहीं कूद गईनअ अहिर राम काशी के अखाड़े में? किनारे-किनारे काहें माटी पोतत हउवन।” -अशोक पाणे चिहुंक के बिदके थे कल लवंडा लपट रहा था।
बाभन एही तो किए जिंदगी भर जरे, जराए, आग लगाए। खिखयाते हुए मनोज ने अशोक पाणे को पिनकाया।
“अबे मनोज बच्चा, हम ओ जमाना भी देखे हैं जब नारा लगा था ठकुरे क बुद्धि अहिरे के बल, झंडू हो गयल जनता दल। तुम्हारी पैदाइस भी नहीं रही…अ रही भी होगी तो कहीं हग के पानी के छू रहे होगे।”
“अरे ए भइयालाल भइया। पाणे चा के चाय पियावा एकदम कड़क। सरापे (श्राप देने )की तैयारी किए हैं। बाभन सराप देई त कहां जाई ई अहिर?”- मनोज ने चुटकी ली।
“अबे मूढ़ बुद्धि, बच्चे को बाप सरापता कहीं। अरे कहीं गलत रास्ते जा रहा हो तो हुरपेट के घर ले आता है। वही कर रहे हैं हम।” – अशोक पाण ने उवाचा और उवाचते गए-
“और वइसे भी इस बार बालक, सपा सफा है, क्यों कांता?”
“कहो असोक कब राजनीति कर रहे हो तुम?”
“यही करीब 30 साल से।”
“तुम गोदौलिया चौराहे पर बिइठे उ सांड़ हो, जिसे लगता है कि उ बइठा है, तो सब बइठे हैं। गोदौलिया से लगायत सिगरा अउर लहुराबीर जाम पड़ा है…पर सांड़ ससुर के…से।” – भंग की तरंग में उतरती आंखों के साथ कांता प्रसाद बोले
“मतलब ?”
“अरे एनके मतलब समझावा च्चा।” मनोज ने कांता को खोदा
“मतलब ये कि तुम हाफ पैंटिए हवा बांधने में माहिर होते हो। कंग्रेसिया सब गिरहकटी में। रही बात मोलायम की। इ त ससुर इस बार कउड़ी के दू हो रहे हैं लिख लो। सैफई में रंगीनी ने इनको मुजफ्फरनगर में नंगा कर दिया। जाएं जरा देवबंद वोट मांगने, छील दी जाएगी।”
“वही तो हम कह रहे हैं।” – अशोक पाणे ने टोका
“देखो पाणे टोकों नहीं।”- कांता प्रसाद बिदकते हुए सुरूर में उतरते बोले।
“अरविंद केजरीवाल को हल्के में मत लो। मौके मिलेगा रेल देगा। अ मौका मिल रहा है अगर कांग्रेस, अगर सपा, अगर बसपा ने अरबिंदवा को सपोर्ट दे दिया तो तुम्हारे मोदी जी दक्खिन लगे जाएंगे। ”
“अ चच्चा अंसरियो तो है”- मनोज ने हाथ बेंच पर टिकाते कहा
“न न…मोख्तार न जीत पइहन। करेंगे क्या ये कौम के लिए। अ कर क्या सकते हैं। वसूली? जब भदोही का कालीन उद्योग बंद हो रहा था तब कहां थे मोख्तार? मउ में बनारसी साड़ी, बनारस के जोलाहा भूखे मरने की नौबत तक पहुंच गए। अब मजहबी अफीम नहीं चलेगा गुरू। रोटी दो, सुरक्षा दो, विकास दो अउर वोट लो यही नारा है बस।”
“तो ? मोदी भी तो यही कह रहे हैं।” – अशोक पाणे फिर कूदे
“ए पंडित देखा अइसन हौ कि तू आज घोंटला कि नाहीं?” – कांता प्रसाद ने पूछा
“नाहीं गुरू आज परसादी छूट गयल घरे जाब तो घोटब”- अशोक पाणे दांत निपोरते बोले
“त घोंटा। फिर देखा। देखल चहबा त देखाई। कि दरअसल राहुल गंधिया, मुलायम सिंह हौ…मुलायम, मुख्तार हौ…अ मोदी मुलायम…। इ राजनीति हौ गुरू। जे आडवाणी के नाहीं सटे देहलस, जौने राहुल के चुनाव में हरिजन याद आयल खाना खाए बदे। जौन मुलायम सैफई में नंगई में डूबल रहलन…उ हम लोगों के लिए कुछ करेंगे? एह राजनीति में कुछ बचल हौ का। बूटी साधा मस्त रहा।”
“भइया लाल ने इशारा किया दुकान बढ़ावे के हव अब। अशोक पाणे ने कांता के कंधे पर हाथ रखा बोले चलो कांता। सपा नेता मनोज यादव अब तक बेंच पर बैठा था दोनों गालों पर हाथ रखे। अचानक उठा दौड़ते हुए अशोक और कांता प्रसाद के पास पहुंचा। अरे चच्चा…चला घरे छोड़े देईं।”
“अरे तू कहां जइबे हमहन चल जाइब”
“अरे गाड़ी हौ चार चक्का चला न”
“ए चच्चा आशीर्बाद बड़ी चीज है…बाकि त सब बिलाने के लिए है”
“वाह!”
यही है बनारस। यहां राजनीति और रिश्ते का घालमेल नहीं है। कहा न आपसे बनारसी चढ़ा के उतार देता है। इसलिए राजनीतिक ठगों सावधान। और रही बात दिल्ली में बैठे विद्वानों की तो काशी में संभलकर। यहां ज्ञानी हाथ में बारह हाथ का सोटा लिए चलते हैं। खाने को तैयार हों तो उलझे। यहां का नाऊ वाशिंगट डीसी का इतिहास समझा सकता है। पंडा बराक ओबामा के खानदान के पिंडदान का पूरा लेखा जोखा बता सकता है।
बनारस में न जाने कितने विनोद दुआ, पुण्य प्रसून, रवीश कुमार, प्रभु चावला और अंग्रेजी के अर्णब गोस्वामी, प्रणब रॉय आकर बिला गए। यहां ज्ञानी छाती पर चढ़कर अपना ज्ञान साट देते हैं। ये है बनारस। हल्के में मत लीजिएगा।
- भाई Raakesh Pathak

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खुशवंत का दुखः औरत को बस कामुक नजर से देखा

मशहूर लेखक और स्तंभकार खुशवंत सिंह को इस बात का दुख रहा कि उन्होंने महिलाओं को हमेशा कामुक नजर से देखा। 99 वर्ष की उम्र में खुशवंत सिंह का गुरुवार को निधन हो गया।

पिछले साल प्रकाशित खुशवंतनामा: द लेसंस ऑफ माई लाइफ में उन्होंने दुख जताया कि उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में कई बुरे काम किए जैसे गोरैया, बत्तख और पहाड़ी कबूतरों को मारना। उन्होंने लिखा है, 'मुझे इस बात का भी दुख है कि मैं हमेशा अय्याश व्यक्ति रहा। चार साल की उम्र से अब तक मैंने 97 वर्ष पूरे कर लिए हैं, अय्याशी हमेशा मेरे दिमाग में रही।'



 उन्होंने लिखा, 'मैंने कभी भी इन भारतीय सिद्धांतों में विश्वास नहीं किया कि मैं महिलाओं को अपनी मां, बहन या बेटी के रूप में सम्मान दूं। उनकी जो भी उम्र हो, मेरे लिए वे वासना की वस्तु थीं और हैं।' 

खुशवंत सिंह को लगता था कि उन्होंने बेकार के रिवाजों और सामाजिक बनने में अपना बहुमूल्य समय बर्बाद किया और वकील एवं फिर राजनयिक के रूप में काम करने के बाद लेखन को अपनाया। उन्होंने लिखा है, 'मैंने कई वर्ष अध्ययन और वकालत करने में बिता दिए जिसे मैं नापसंद करता था। मुझे विदेशों और देश में सरकार की सेवा करने और पैरिस स्थित यूनेस्को में काम करने का भी दुख है।'

उन्होंने लिखा है कि वह काफी पहले लेखन कार्य शुरू कर सकते थे।  


"बहुत ही विवादास्पद चरित्र वेल खुसवन्त सिंह जी आज हमारे बीच नही रहें . उनका निजी जीवन हमेशा विवादो मे ही रहा पर एक लेखक के रूप मे उन्हे नकारा नही जा सकता. भगवान उनकी आत्मा को शान्ती दें यही हमारी प्रार्थना है."

 
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जन्मदिन / मरहूम उस्ताद बिस्मिल्लाह खां (21 मार्च )

उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ (अंग्रेज़ी: Bismillah Khan, जन्म- 21 मार्च, 1916, बिहार; मृत्यु- 21 अगस्त, 2006) 

'भारत रत्न' से सम्मानित प्रख्यात शहनाई वादक थे। सन 1969 में 'एशियाई संगीत सम्मेलन' के 'रोस्टम पुरस्कार' तथा अनेक अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बिस्मिल्लाह खाँ ने शहनाई को भारत के बाहर एक विशिष्ट पहचान दिलवाने में मुख्य योगदान दिया। वर्ष 1947 में देश की आज़ादी की पूर्व संध्या पर जब लालकिले पर भारत का तिरंगा फहरा रहा था, तब बिस्मिल्लाह ख़ान की शहनाई भी वहाँ आज़ादी का संदेश बाँट रही थी। तब से लगभग हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के भाषण के बाद बिस्मिल्लाह ख़ान का शहनाई वादन एक प्रथा बन गयी।
 


जीवन परिचय

बिस्मिल्लाह ख़ाँ का जन्म 21 मार्च, 1916 को बिहार के डुमरांव नामक स्थान पर हुआ था। उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ विश्व के सर्वश्रेष्ठ शहनाई वादक माने जाते थे। उनके परदादा शहनाई नवाज़ उस्ताद सालार हुसैन ख़ाँ से शुरू यह परिवार पिछली पाँच पीढ़ियों से शहनाई वादन का प्रतिपादक रहा है। बिस्मिल्लाह ख़ाँ को उनके चाचा अली बक्श 'विलायतु' ने संगीत की शिक्षा दी, जो बनारस के पवित्र विश्वनाथ मन्दिर में अधिकृत शहनाई वादक थे।
 

नामकरण तथा शिक्षा

उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ के नाम के साथ एक दिलचस्प वाकया भी जुड़ा हुआ है। उनका जन्म होने पर उनके दादा रसूल बख्श ख़ाँ ने उनकी तरफ़ देखते हुए 'बिस्मिल्ला' कहा। इसके बाद उनका नाम 'बिस्मिल्ला' ही रख दिया गया। उनका एक और नाम 'कमरूद्दीन' था। उनके पूर्वज बिहार के भोजपुर रजवाड़े में दरबारी संगीतकार थे। उनके पिता पैंगबर ख़ाँ इसी प्रथा से जुड़ते हुए डुमराव रियासत के महाराजा केशव प्रसाद सिंह के दरबार में शहनाई वादन का काम करने लगे। छह साल की उम्र में बिस्मिल्ला को बनारस ले जाया गया। यहाँ उनका संगीत प्रशिक्षण भी शुरू हुआ और गंगा के साथ उनका जुड़ाव भी। ख़ाँ साहब 'काशी विश्वनाथ मंदिर' से जुड़े अपने चाचा अली बख्श ‘विलायतु’ से शहनाई वादन सीखने लगे।
 

जटिल संगीत रचना

बिस्मिल्लाह ख़ाँ ने जटिल संगीत की रचना, जिसे तब तक शहनाई के विस्तार से बाहर माना जाता था, में परिवर्द्धन करके अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और शीघ्र ही उन्हें इस वाद्य से ऐसे जोड़ा जाने लगा, जैसा किसी अन्य वादक के साथ नहीं हुआ। उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ ने भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर नई दिल्ली में लाल क़िले से अत्यधिक मर्मस्पर्शी शहनाई वादक प्रस्तुत किया।
 

उल्लेखनीय तथ्य

बिस्मिल्ला ख़ाँ ने 'बजरी', 'चैती' और 'झूला' जैसी लोकधुनों में बाजे को अपनी तपस्या और रियाज़ से ख़ूब सँवारा और क्लासिकल मौसिक़ी में शहनाई को सम्मानजनक स्थान दिलाया। इस बात का भी उल्लेख करना आवश्यक है कि जिस ज़माने में बालक बिस्मिल्लाह ने शहनाई की तालीम लेना शुरू की थी, तब गाने बजाने के काम को इ़ज़्जत की नज़रों से नहीं देखा जाता था। ख़ाँ साहब की माता जी शहनाई वादक के रूप में अपने बच्चे को कदापि नहीं देखना चाहती थीं। वे अपने पति से कहती थीं कि- "क्यों आप इस बच्चे को इस हल्के काम में झोक रहे हैं"। उल्लेखनीय है कि शहनाई वादकों को तब विवाह आदि में बुलवाया जाता था और बुलाने वाले घर के आँगन या ओटले के आगे इन कलाकारों को आने नहीं देते थे। लेकिन बिस्मिल्लाह ख़ाँ साहब के पिता और मामू अडिग थे कि इस बच्चे को तो शहनाई वादक बनाना ही है। उसके बाद की बातें अब इतिहास हैं।[1]
 

विदेशों में वादन

अफ़ग़ानिस्तान, यूरोप, ईरान, इराक, कनाडा, पश्चिम अफ़्रीका, अमेरिका, भूतपूर्व सोवियत संघ, जापान, हांगकांग और विश्व भर की लगभग सभी राजधानियों में बिस्मिल्लाह ख़ाँ ने शहनाई का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। मज़हबी शिया होने के बावज़ूद ख़ाँ साहब विद्या की हिन्दू देवी सरस्वती के परम उपासक थे। 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय' और 'शांतिनिकेतन' ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करके सम्मानित किया था। उनकी शहनाई की गूँज आज भी लोगों के कानों में गूँजती है।
शहनाई ही बेगम और मौसिकी

'भारतीय शास्त्रीय संगीत' और संस्कृति की फिजा में शहनाई के मधुर स्वर घोलने वाले प्रसिद्ध शहनाई वादक बिस्मिल्ला ख़ाँ शहनाई को अपनी बेगम कहते थे और संगीत उनके लिए उनका पूरा जीवन था। पत्नी के इंतकाल के बाद शहनाई ही उनकी बेगम और संगी-साथी दोनों थी, वहीं संगीत हमेशा ही उनका पूरा जीवन रहा। उनके ऊपर लिखी एक किताब ‘सुर की बारादरी’ में लेखक यतीन्द्र मिश्र ने लिखा है- "ख़ाँ साहब कहते थे कि संगीत वह चीज है, जिसमें जात-पात कुछ नहीं है। संगीत किसी मजहब का बुरा नहीं चाहता।" किताब में मिश्र ने बनारस से बिस्मिल्लाह ख़ाँ के जुड़ाव के बारे में भी लिखा है। उन्होंने लिखा है कि- "ख़ाँ साहब कहते थे कि उनकी शहनाई बनारस का हिस्सा है। वह ज़िंदगी भर मंगलागौरी और पक्का महल में रियाज करते हुए जवान हुए हैं तो कहीं ना कहीं बनारस का रस उनकी शहनाई में टपकेगा ही।"[2]
 

जुगलबंदी

बिस्मिल्ला ख़ाँ ने मंदिरों, राजे-जरवाड़ों के मुख्य द्वारों और शादी-ब्याह के अवसर पर बजने वाले लोकवाद्य शहनाई को अपने मामू उस्ताद मरहूम अलीबख़्श के निर्देश पर 'शास्त्रीय संगीत' का वाद्य बनाने में जो अथक परिश्रम किया, उसकी दूसरी मिसाल नहीं मिलती। उस्ताद विलायत ख़ाँ के सितार और पण्डित वी. जी. जोग के वायलिन के साथ ख़ाँ साहब की शहनाई जुगलबंदी के एल. पी. रिकॉडर्स ने बिक्री के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। इन्हीं एलबम्स के बाद जुगलबंदियों का दौर चला। संगीत-सुर और नमाज़ इन तीन बातों के अलावा बिस्मिल्लाह ख़ाँ के लिए सारे इनाम-इक़राम, सम्मान बेमानी थे। उन्होंने एकाधिक बार कहा कि- "सिर्फ़ संगीत ही है, जो इस देश की विरासत और तहज़ीब को एकाकार करने की ताक़त रखता है"। बरसों पहले कुछ कट्टरपंथियों ने बिस्मिल्ला ख़ाँ के शहनाई वादन पर आपत्ति की। उन्होंने आँखें बद कीं और उस पर "अल्लाह हू" बजाते रहे। थोड़ी देर बाद उन्होंने मौलवियों से पूछा- "मैं अल्लाह को पुकार रहा हूँ, मैं उसकी खोज कर रहा हूँ। क्या मेरी ये जिज्ञासा हराम है"। निश्चित ही सब बेज़ुबान हो गए। सादे पहनावे में रहने वाले बिस्मिल्ला ख़ाँ के बाजे में पहले वह आकर्षण और वजन नहीं आता था। उन्हें अपने उस्ताद से हिदायत मिली कि व्यायाम किए बिना साँस के इस बाजे से प्रभाव नहीं पैदा किया जा सकेगा। इस पर बिस्मिल्ला ख़ाँ उस्ताद की बात मानकर सुबह-सुबह गंगा के घाट पहुँच जाते और व्यायाम से अपने शरीर को गठीला बनाते। यही वजह है कि वे बरसों पूरे भारत में घूमते रहे और शहनाई का तिलिस्म फैलाते रहे।[1]
 

स्वतंत्रता दिवस पर शहनाई

भारत की आजादी और ख़ाँ की शहनाई का भी ख़ास रिश्ता रहा है। 1947 में आजादी की पूर्व संध्या पर जब लालकिले पर देश का झंडा फहरा रहा था तब उनकी शहनाई भी वहां आजादी का संदेश बांट रही थी। तब से लगभग हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के भाषण के बाद बिस्मिल्लाह का शहनाई वादन एक प्रथा बन गयी। ख़ाँ ने देश और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में अपनी शहनाई की गूंज से लोगों को मोहित किया। अपने जीवन काल में उन्होंने ईरान, इराक, अफ़ग़ानिस्तान, जापान, अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे अलग-अलग मुल्कों में अपनी शहनाई की जादुई धुनें बिखेरीं।[2]
 

फ़िल्मी सफ़र

बिस्मिल्ला ख़ाँ ने कई फ़िल्मों में भी संगीत दिया। उन्होंने कन्नड़ फ़िल्म ‘सन्नादी अपन्ना’, हिंदी फ़िल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ और सत्यजीत रे की फ़िल्म ‘जलसाघर’ के लिए शहनाई की धुनें छेड़ी। आखिरी बार उन्होंने आशुतोष गोवारिकर की हिन्दी फ़िल्म ‘स्वदेश’ के गीत ‘ये जो देश है तेरा’ में शहनाई की मधुर तान बिखेरी थी।[2]
 

संत संगीतकार

संगीतकारों का मानना है कि उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान साहब की बदौलत ही शहनाई को पहचान मिली है और आज उसके विदेशों तक में दीवाने हैं। वो ऐसे इंसान और संगीतकार थे कि उनकी प्रशंसा में संगीतकारों के पास भी शब्दों की कमी नज़र आई। पंडित जसराज हों या हरिप्रसाद चौरसिया सभी का मानना है कि वो एक संत संगीतकार थे।[3]

"वो एक ऐसे फरिश्ते थे जो धरती पर बार-बार जन्म नहीं लेते हैं और जब जन्म लेते हैं तो अपनी अमिट छाप छोड़ जाते है।"- पंडित जसराज

पंडित जसराज के श्रीमुख से

पंडित जसराज का मानना है- उनके जैसा महान संगीतकार न पैदा हुआ है और न कभी होगा। मैं सन् 1946 से उनसे मिलता रहा हूं। पहली बार उनका संगीत सुनकर मैं पागल सा हो गया था। मुझे पता नहीं था कि संगीत इतना अच्छा भी हो सकता है। उनके संगीत में मदमस्त करने की कला थी, वह मिठास थी जो बहुत ही कम लोगों के संगीत में सुनने को मिलती है। मैं उनके बारे में जितना भी कहूँगा बहुत कम होगा क्योंकि वो एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने कभी दिखावे में यकीन नहीं किया। वो हमेशा सबको अच्छी राह दिखाते थे और बताते थे। वो ऑल इंडिया रेडियो को बहुत मानते थे और हमेशा कहा करते कि मुझे ऑल इंडिया रेडियो ने ही बनाया है। वो एक ऐसे फरिश्ते थे जो धरती पर बार-बार जन्म नहीं लेते हैं और जब जन्म लेते हैं तो अपनी अमिट छाप छोड़ जाते है।[3]

"मेरा मानना है कि उनका निधन नहीं हो सकता क्योंकि वो हमारी आत्मा में इस कदर रचे बसे हुए हैं कि उनको अलग करना नामुमकिन है।"
- हरिप्रसाद चौरसिया


हरिप्रसाद चौरसिया के श्रीमुख से

बाँसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया का कहना है- बिस्मिल्ला ख़ाँ साहब भारत की एक महान विभूति थे, अगर हम किसी संत संगीतकार को जानते है तो वो हैं बिस्मिल्ला खा़न साहब। बचपन से ही उनको सुनता और देखता आ रहा हूं और उनका आशीर्वाद सदा हमारे साथ रहा। वो हमें दिशा दिखाकर चले गए, लेकिन वो कभी हमसे अलग नहीं हो सकते हैं। उनका संगीत हमेशा हमारे साथ रहेगा। उनके मार्गदर्शन पर अनेक कलाकार चल रहे हैं। शहनाई को उन्होंने एक नई पहचान दी। शास्त्रीय संगीत में उन्होंने शहनाई को जगह दिलाई इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। यह उनकी मेहनत और शहनाई के प्रति समर्पण ही था कि आज शहनाई को भारत ही नहीं बल्कि पूरे संसार में सुना और सराहा जा रहा है। उनकी कमी तो हमेशा ही रहेगी। मेरा मानना है कि उनका निधन नहीं हो सकता क्योंकि वो हमारी आत्मा में इस कदर रचे बसे हुए हैं कि उनको अलग करना नामुमकिन है।[3]
 

सम्मान एवं पुरस्कार

    सन 1956 में बिस्मिल्लाह ख़ाँ को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
    सन 1961 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
    सन 1968 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
    सन 1980 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
    2001 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
    मध्य प्रदेश में उन्हें सरकार द्वारा तानसेन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

निधन

बिस्मिल्ला ख़ान ने एक संगीतज्ञ के रूप में जो कुछ कमाया था वो या तो लोगों की मदद में ख़र्च हो गया या अपने बड़े परिवार के भरण-पोषण में। एक समय ऐसा आया जब वो आर्थिक रूप से मुश्किल में आ गए थे, तब सरकार को उनकी मदद के लिए आगे आना पड़ा था। उन्होंने अपने अंतिम दिनों में दिल्ली के इंडिया गेट पर शहनाई बजाने की इच्छा व्यक्त की थी लेकिन उस्ताद की यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई और 21 अगस्त, 2006 को 90 वर्ष की आयु में इनका देहावसान हो गया।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

    ↑ 1.0 1.1 आज बरसी –शहनाई ख़ाँ साहब की (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 20 मार्च, 2013.
    ↑ 2.0 2.1 2.2 शहनाई ही बेगम और मौसिकी थी उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ की (हिंदी) आजतक। अभिगमन तिथि: 11 मार्च, 2013.
    ↑ 3.0 3.1 3.2 त्रिपाठी, वेदिका। 'संत संगीतकार थे बिस्मिल्ला ख़ान' (हिंदी) बीबीसी हिंदी। अभिगमन तिथि: 11 मार्च, 2013.


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Hindi Poem on Banaras (खिड़की में गंगा, गंगा में नाव)

खिड़की में गंगा, गंगा में नाव

कुछ समझे है मंजिल, कुछ समझे पड़ाव
खिड़की में गंगा, गंगा में नाव

किसीको धर्म खीच लाया, किसीको भंगेड़ी लगाव
खिड़की में गंगा, गंगा में नाव

कोई झुक के आया, कोई दीखता है ताव
खिड़की में गंगा, गंगा में नाव

रबड़ी दीवाना, मलईयो पे झुकाव
खिड़की में गंगा, गंगा में नाव

कोई जवानी में आया, कोई बुढ़ापे की छाव
खिड़की में गंगा, गंगा में नाव

कम करो चिंता, थोड़ा मुस्काओ
खिड़की में गंगा, गंगा में नाव

तट पे मरमम्त, मरमम्त पे नाव
मरमम्त हुई नाव, तभी तो तैराओ
खिड़की में गंगा, गंगा में नाव

ब्लू हुई लस्सी, बिल हुआ अस्सी
बिल की न चिंता, हमको जी पिलाओ
खिड़की में गंगा, गंगा में नाव

मंसूर भाई आना, कबूतर मिला दाना
पास न जाओ, कबूतर न उड़ाओ
खिड़की में गंगा, गंगा में नाव

कचौड़ी गली और जलेबी भी ली
ठठेरी बजार में रबड़ी मिली
काजू गजक ने मिटाई कसक
जिसकी तमन्ना गजक
केदार घाट की सीडी लपक
चाट चटोरे
शहर के बटोरे
नारियल बाजार में सब मिलो रे
स्वाद मैंने चखे
थोड़ा तुम भी चखो रे
नाव गई गंगा में खाने हिलोरे
गर कही न मिलू
घाट है चेत सिंह
मुझे वही मिलो रे

घाटो पे सुबह सुहानी
गलियों की शाम दीवानी
तो क्यों पालू चिंता क्यों पालू तनाव
खिड़की में गंगा, गंगा में नाव 



शशि की कविताये

BY : शशिप्रकाश सैनी
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कजरी भैया घर वापस आ जाओ...

पहाड़ दूर से ही सुन्दर दिखते है नजदीक जाओ तो सिर्फ पत्थर नजर आते है केजरीवाल के वादे लुभावने थे| भ्रस्टाचार को भारत से कोई नेता नही मीटा सकता| अगर जनता भ्रस्टाचार को मिटाने चाहेगी तो एक दिन मे मिटा सकती है| केजरीवाल को सिर्फ बोलना आता है| करना नही| इसको धरना देना भी आता है 
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होली बनारस की

बनारस कि होली  ख़तम हो गयी .. Vineet Sharma's Click  जी के वाल पर  देखा होली बनारस की याद आ गया वो  मेरा बनारस ..

मुझे अक्सर याद आती है वो बचपन की बनारसी होली.. जिसकी आने का एहसास एक हफ्ते पहले ही हो जाया करता था..हर तरफ एक अलग सा खुमार…बसंत का सन्देश वाहक ये पर्व राग और रंग में झूम उठता था… बनारस  की हर छोटी छोटी सकरी गलियों का माहौल बदल जाता था और फिर होलिका दहन की  तय्यारी… लकडियां, घास-फूस, गोबर के बुरकलों का बडा सा ढेर लगाकर पूजा पाठके बाद सम्मत (होलिका) जलाया जाता था…ना किसी मज़हब की पाबन्दी ना ना कोई दिल में द्वेष…बस एक ही वेष…रंग गुलाल. बस ये अब यादे ही है
बनारस एक अनोखा शहर है, इसके घाटों पर दुनिया भर के लोग मिल जाते हैं जो निर्वाण की तलाश में कई बार गाँजे की चिलम को अपना हमराही बना लेते हैं। इन्ही घाटों को को देख कर रामकृष्ण परमहंस ने कहा था कि इस शहर के लोगों का हाज़मा बहुत अच्छा है, घाट पर ही निवृत्त होकर भगत लोग गंगा नहाने चले जाते है । 

सुबहे बनारस की बात करें तो हर शहर की तरह बनारस में भी सुबह सूरज ही निकलता है । तो फिर अलग क्या है ? अलग ये है की हर शहर गंगा  किनारे नहीं बसा होता, हर शहर में सूरज की गोल थाली गंगा के झिलमिलाते  पानी के पीछे  के सुर्ख आसमान में उस नाज़ से नहीं चढ़ती जैसे की बनारस में चढ़ती है ….हौले हौले, धीरे से . मजा लेना है तो तो भोर फूटने के पहले चले जाइये अस्सी घाट, एक नाव किराये पर लीजिये  और नाव वाले से कहिये की गंगा के बीचोबीच ले जा कर नाव पानी की धार पर छोड़ दे. कसम बता रहा हूँ , संसार का सारा  ब्रम्हज्ञान गंगा के पानी की उस उस धार पर बहती  नाव में बैठ कर उगते हुए सूरज को देख कर ही मिल जाएगा . और  जो रह गया हो…तो उसके लिए घाट पर उतर कर एक कप चाय पी  लीजिये, उस से मिल जाएगा .
हमारे और आपके लिए ये सब ब्रम्हज्ञान की बातें हो सकती हैं , मगर पक्के  महाल पर  रहने वाले लोगों के लिए असली ब्रह्मज्ञान होता है ‘ओह पार’.. . मने की नदी  के उस पार . असली बनारसी लोग तडके ही उठ कर ‘ओह पार’ निकल जाते हैं. असल में ‘ ओह पार’ है खुला मैदान जहाँ रात भर पेट- शरीफ  की की  हुई मेहनत  को सुपुर्देखाक कर देने की प्रक्रिया बड़ी शिद्दत से पूरी की जाती है. अब समझे असली ब्रह्मज्ञान का मतलब ? उसके बात वही किसी पेड़ से एक दतुअन तोडा जाता है और चबाते हुए लौट पड़ते हैं  . जिस दिन पूरा ब्रह्मज्ञान अच्छे से नहीं मिल पाया तो समझिये की दिन खराब।
अच्छा , बात  बनारस की हो रही हो और गलियों में ना भटक जाए  तो फिर बात क्या हुई . कहते हैं,


गलियाँ हों तो शहरे बनारस कि… और आवारा हो तो बनारस की गलियों का . 

गलियों  के नाम भी उन्ही चीज़ों पर जो वहाँ  मिलती हैं, या किसी जमाने में मिला करती थीं …कचौड़ी गली, खोवा  गली , ठठेरी गली इत्यादि.  और हर गली के हर कोने में कुछ न कुछ अफ़साने बिखरे ही हुए हैं . किसी गली में आपको मरहूम बिस्मिल्लाह खान साहब के किस्से मिलेंगे … किसी गली में गौहर जान की अदाओं के सदके देते लोग मिल जाएँगे … तमाम ठुमरियाँ , कजलियाँ, दादरे इन गलियों की बूढी हवा में तैरते मिलेंगे .  वो कहानी है की बिस्मिल्लाह खान बचपान में किसी बाई जी के कोठे पर चुप चुप के उनकी कजली सुनने जाया करते थे …घर पे पता चला तो पुष्ट कुटाई हुई . और एक किस्सा  वो भी है की जब इंग्लैंड की महारानी बनारस आयीं थी तो तो बनारस के सबसे मशहूर कारीगरों ने मिल कर चालीस चीज़ें दाल कर एक मिठाई तियार की और उसमे सबसे मजे की चीज थी जाड़े में पड़ने वाली ओस  . जब मिठाई रानी के सामने पेश की गयी तो उस भारीपन देखते हुए हुए रानी ने खाने से मना कर दिया . तमाम मान मनुहार के बाद रानी ने चम्मच की छोर पर एक दाने के बराबर  टुकड़ा ले कर  मुह को लगाया . उसके बाद तो बात की बात में कटोरी ख़तम हो गयी किसी को हवा न लगी . यहाँ तो खाया ही, बांध कर घर भी ले गयीं . बंगाल स्वीट हाउस जा कर पता करें, आज भी वो मिठाई मिल ही जाएगी , हाँ जरा महंगी जरूर पड़ेगी . वैसे चौक पर मलईओ भी मिलता है, और वो भी जाड़े की ओस में ही बनाया जाता है. वो सस्ता मिलेगा .


हाँ तो बात गलियों की हो रही थी . बात का क्या है…. एक तरफ निकल गयी तो उधर ही चल देती है. खैर हम जिस दिन पहली बार बनारस घूमने निकले उसी दिन वो कर गुजरे जो हर घुमक्कड़ का सपना होता है. गलियों में खो गये. निकले थे बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर के और सोचा था की घाट पर जाएँगे , मगर एक बार जो खोए तो फिर कोई छोर  ही नहीं मिला . कुछ देर चलने के बाद एक नया तजुर्बा हुअ…हर तरफ से, हर गली से, हर दो या तीन मिनट पर कोई लाश अर्थी पर जा रही थी और उसके पीछे लोगों का हुजूम राम नाम सत्य है का ग़मज़दा कोरस बोलते . पहले तो डर लगा …मगर उनके पीछे चलते हुए हम जो चले तो निकले सीधा मणिकर्णिका घाट  पे. इसे महाश्मशान  भी कहा जाता है. जिंदगी कैसे ख़ाक में मिलती है  ये समझना हो तो यहाँ चले आएं . कहते हैं यहाँ की चिताओं में जो आग जलती है वो आठ सौ सालों से लगातार जलते आ रही  है .
मणिकर्णिका के आगे ही एक मंदिर है जो की एक ओर  झुका हुआ है और साल के तीन चौथाई वक्त पानी के अन्दर ही डूबा रहता है . एक बार फुर्सत में ही जब हम नाव पर चल रहे थे तो नाव वाले ने उस मंदिर का किस्सा सुनाया था . वो किस्सा कुछ  यूं  है की कलकत्ते के एक सेठ ने मंदिर बनवाया और अपनी माँ का नाम उस मंदिर की दीवार पर दर्ज करवाया . उससके बाद जनाब माँ के पास पहुंचे और फरमाते हैं की माँ , देख मैंने तेरा सारा  क़र्ज़ उतार  दिया . माँ बेचारी के आंसू  निकल पड़े …वो बोली कुछ नहीं . अगले दिन सेठ जी पहुचते हैं और देखते हैं की मंदिर में से मूर्ति गायब है, मंदिर आधा पानी में धंस गया है और एक तरफ झुक गय है . मनहूसियत की मिसाल वो मंदिर आज भी खामोश खड़ा इस बात की गवाही देता है की माँ का प्यार दौलत से नहीं तौला  जा सकता .


 मणिकर्णिका से दायें  है दशाश्वमेध . मालिश का शौक हो तो यहाँ की मालिश वालो को खिदमत का मौका दें . शरीर का एक एक जोड़ ऐसा बजायेंगे की एक हफ्ते तो लगेगे की शरीर  में किसी ने स्प्रिंग लगा दी हो . एक और मस्त चीज़ है घाट  पर होने वाला क्रिकेट . शॉट मरते समय इस बात का तो ख्याल ही नहीं रहता की बाल मान मंदिर महल की छत  पे जाएगी या गंगा मैया की गोद में . एक दो ‘मिला’ (बन्दे ) तो तैयारे खड़े रहते हैं कूदी मारने को  . वहाँ से बाहर निकलें तो सीधा गोदौलिया चौक  जाएँ और वहाँ  भोले बाबा का प्रसाद, यानी ठंढाई  जरूर पियें . गोला एक्कै ठे डलवाईयेगा नहीं तो पहुचना होगा लहुराबीर तो पहुच जाएँगे कलकत्ता ......
घाट तो सैकड़ो हैं …  मगर हमारा मनपसंद घाट  था अस्सी घाट . एक  चीज़ होती है बनारस की हवा , जिसे लग गई …समझिये उसे लग गयी . वो हवा आपको अस्सी घाट  पे मिलेगी . और एक चीज मशहूर है बनारस की … फुर्सत . ये भी आपको अस्सी घाट  पर ही मिलेगी 

पता चला की दो लोग बैठ के शतरंज की बाजी लगाए हुए हैं, और उनको घेर कर बीस लोग खड़े हैं और अपने दिमाग की भी पुरजोर वर्जिश कर रहे हैं . आप  बैठे रहो, और बगल वाला बैठ के आप ही की स्केच बना रहा  है. कुछ देर बाद आपका ध्यान जाता है की तस्वीर में दिखने वाला  आदमी तो अपनी ही तरह दिख रहा है और आप खुद बखुद ही मुस्कुरा पड़ते हो . कही कोई बैठ के बांसुरी बजा रहा है और अस्सी की अड़ी  की हाफ कट चाय पे ही कोई अंकल पूरी कायनात के जम्हूरी मसले हल करने पर तुले हुए हैं . बैठिये, मजा लीजिये …मगर ये हवा लगने मत दीजियेगा अपने आप को . इस फुर्सत की आदत बड़ी खतरनाक है . हमारी तरफ कहते हैं , पढ़ल लिखल सब गईले , पोथी मोरा छुटले बनारस . बनारस आ के पता चला की इस बात का मतलब क्या है, क्यों लोगों की पोथियाँ बनारस में ही  छूट जाती हैं .

मगर सबसे पते की बात बताता हूँ  आखिर में . अगर कभी थक जाओ , लगे की अकेले हो … दिल भारी हो रहा हो … तो अस्सी के आगे है तुलसी घाट . वहां जाएं, बड़ी चौड़ी सीढियां हैं. सबसे आखिर की सीढ़ी पे बैठ कर पाँव घुटने तक गंगा के  पानी में डाल दें .

अब नहीं.. ये सब सोच के रोना आ जाता है.. सिर्फ कह ही सकता हु.. बना रहे मेरा बनारस..

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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!