घड़े में बनाया फ्रिज और कूलर

वाराणसी. रुस्तमपुर गांव के किसान के बेटे ने सोलर ऊर्जा से चलने वाला एक अद्भुत फ्रिज और कूलर बनाया है। देसी जुगाड़ से बना फ्रि‍ज और कूलर मिट्टी के घड़े में बना है। कमलेश मौर्या ने सोलर के जरिए चलने वाली इस तकनीक को गरीबों के लिए बनाया है। इतना ही नहीं वह इस यंत्र को एक्सपर्टों के जरिए बाजार में लाने की तैयारी में लगा है। 
 
मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे कमलेश का सपना है कि गरीबों तक सोलर से चलने वाला फ्रि‍ज और कूलर पहुंचे। इससे देश में बिजली की भी बचत होगी। 
 
जानिए क्या है देसी जुगाड़ फ्रि‍ज और कूलर की खासियत
 
कमलेश के मुताबिक, बड़े मिट्टी के घड़े में फ्रीज और कूलर को एक साथ बनाया गया है। इसमें पांच वॉट की सोलर प्लेट लगी है। इससे फ्रि‍ज और कूलर को चलने में ऊर्जा प्राप्त होती है। मिट्टी के घड़े के अंदर छोटे-छोटे छेद युक्त गिलास मिट्टी के बनाए गए हैं। घड़े के अंदर डीसी पंप लगा है, जो पानी सर्कुलेट करता है। छह वॉट की मोटर से कूलर का फैन चलता है, जिसकी ऊर्जा सोलर से मिलती है। इसके चलने पर पंप द्वारा दीवारों में तरावट होगी, जो खस की तरह काम करेगा। पानी भी फ्रिज की तरह ठंडा करता है। हवा भी कूलर की तरह ही मिलती है। घड़े के अंदर फिल्टर लगा है, जो पानी को प्यूरीफाइड करता है। 
 
800 रुपए में तैयार हुआ देसी फ्रि‍ज और कूलर
 
कमलेश ने बताया कि केवल 800 रुपए में यह यंत्र तैयार हो गया। वह एक किसान का बेटा है, इसलिए गरीबों की स्थिति को ध्‍यान में रखकर इसे बनाया है। 
 
ये है कुछ खास बातें
 
1- छह वोल्ट का पंप  

2-
सोलर प्लेट पांच वॉट, ऊर्जा बिजली की जगह।

3-
डीसी पंप लगा है, जो पानी सर्कुलेट करता है। 

4-
दस लीटर पानी घड़े में आ जाता है। 

5-
पंद्रह से ऊपर मिट्टी के ग्लास लगे हैं। 

6-
पानी को सफाई के लिए फिल्टर प्लेट भी लगा है। 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

अशोक इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर अमित ने बताया कि गरीबों के लिए काफी उपयोगी है। इसमें बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल सोलर प्लेट के जरिए किया गया है। एक्सपर्टों की टीम ने पूरे प्रोजेक्ट की जांच की है। सब कुछ ठीक रहा, तो बाजार में यह प्रोडक्ट लाया जाएगा। इससे बिजली की काफी बचत होगी।
 
 

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

0 comments:

Post a Comment

बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
Copyright © 2014 बनारसी मस्ती के बनारस वाले Designed by बनारसी मस्ती के बनारस वाले
Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!