पढ़िए रांझणा फिल्म का अंतिम डायलाग और समझिए सीने की आग का नया अर्थ :

''मेरे सीने की आग या तो मुझे जिंदा कर सकती थी या मुझे मार सकती थी. पर साला अब उठे कौन, कौन फिर से मेहनत करे दिल तुड़वाने को, अबे कोई तो आवाज देके रोक लो


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फिल्म रांझना के टॉप डायलॉग:
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Comedy Nights with Kapil


Comedy Nights with Kapil : Sunil Shetty & Johnny Lever - 30th June 2013 - Full Episode (HD)
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सुबहे बनारस _ हमारी काशी

काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह..

सुप्रभात .. बनारस▬●Good Morning.. Banaras▬● সুপ্রভাত .. কাশী▬●મોર્નિંગ સારા .. બનારસ▬● ಮಾರ್ನಿಂಗ್ ಗುಡ್ .. ಬನಾರಸ್▬●

नमस्ते बनारस.. महादेव .. जय श्री कृष्ण.. राधे राधे.. सत श्री आकाल.. सलाम वाले कुम.. जय भोले ...


 


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Comedy Nights with Kapil

Comedy Nights with Kapil - Sonakshi Sinha & Ranvir Singh - 29th June 2013...

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सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय


 

<<--मुख्य पेज "वाराणसी एक परिचय " 

 

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर में स्थित एक संस्कृत विश्वविद्यालय है।

यह पूर्वात्य शिक्षा एवं संस्कृत से सम्बन्धित विषयों पर उच्च शिक्षा का केन्द्र है।

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना 1791 ई. में भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कॉर्नवालिस ने की थी।

वाराणसी का यह प्रथम महाविद्यालय था। जे म्योरआई.सी.एस इस महाविद्यालय के प्रथम प्रधानाचार्यसंस्कृत प्राध्यापक थे।

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के वाराणसी नगर में स्थित एक संस्कृत विश्वविद्यालय है। यह पूर्वात्य शिक्षा एवं संस्कृत से सम्बन्धित विषयों पर उच्च शिक्षा का केन्द्र है।

यह विश्वविद्यालय मूलतः 'शासकीय संस्कृत महाविद्यालय' था जिसकी स्थापना सन् १७९१ में की गई थी। वर्ष 1894 में सरस्वती भवन ग्रंथालय नामक प्रसिद्ध भवन का निर्माण हुआ जिसमें हजारों पाण्डुलिपियाँ संगृहीत हैं। 22 मार्च, 1958 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ सम्पूर्णानन्द के विशेष प्रयत्न से इसे विश्वविद्यालय का स्तर प्रदान किया गया। उस समय इसका नाम 'वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालयथा। सन् १९७४ में इसका नाम बदलकर 'सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालयरख दिया गया।

भारत और नेपाल के महाविद्यालय इसके विश्वविद्यालय बनने के पहले से ही इससे सम्बद्ध थे। केवल उत्तर प्रदेश के सम्बद्ध महाविद्यालयों की संख्या 1441 थी। इस प्रकार यह संस्थान न केवल भारत के लिए बल्कि दूसरे देशों के महाविद्यालयों के लिए भी विश्वविद्यालय के समान ही था।

विभाग

वेद-वेदांग विभाग
        वेद विभाग
        व्याकरण विभाग
        ज्योतिष विभाग
        धर्मशास्त्र विभाग

साहित्य संस्कृति विभाग
        साहित्य विभाग
        पुराणेतिहास विभाग
        प्राचीन राजशास्त्रर्थशास्त्र विभाग

दर्शन विभाग
        वेदान्त विभाग
        सांख्ययोगतंत्रम् विभाग
        तुलनात्मक धर्म एवं दर्शन विभाग
        न्याय विभाग
        मीमांसा विभाग

श्रमण विद्या विभाग
        पालि एवं थेवद विभाग

आधुनिक ज्ञान-विज्ञान विभाग
        आधुनिक भाषा एवं भाषाविज्ञान विभाग

आयुर्वेद विभाग
        कायचिकित्सा तंत्र
        शाल्य तंत्र (सर्जरी)
        शालक्य तंत्र
        कौमारभृत्य तंत्र
        अगद तंत्र (टॉक्सिकोलोजी)
        बाजीकरण तंत्र (Purification of the Genetic organs)
        रसायन तंत्र
        भूत विद्या विभाग (Spiritual Healing) की स्थापना प्रस्तावित है।

आधिकारिक वेबसाइट

Sampurnanand Sanskrit Vishwavidyalaya
Varanasi (U.P.) – 221002
Phone  – 0542- 2204089
Fax – 0542- 2206617
E-mail – info@ssvv.ac.in



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Comedy Nights with Kapil

Comedy Nights with Kapil - Vidya Balan & Emraan Hashmi - 23rd June 2013 ...

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Comedy Nights with Kapil


Comedy Nights with Kapil -  Dharmendra - 22nd June 2013 - Full Episode (HD)
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यात्रा काशी दर्शन (शिव की नगरी बनारस)".


यह लेख काशी  के बारे में है। 


काशी के कई अर्थ हो सकते हैं:

  • काशी: पौराणिक हिन्दू नगरी।

  • वाराणसी: वर्तमान हिन्दू धार्मिक नगरी

काशी नगरी वर्तमान वाराणसी शहर में स्थित पौराणिक नगरी है। इसे संसार की सबसे पुरानी नगरी माना जाता है।


विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है - 'काशिरित्ते.. आप वकाशिनासंगृभीता:'। पुराणों के अनुसार यह आद्य वैष्णव स्थान है। पहले यह भगवान विष्णु (माधव) की पुरी थी। जहां श्रीहरिके आनंदाश्रु गिरे थे, वहां बिंदुसरोवरबन गया और प्रभु यहां बिंधुमाधव के नाम से प्रतिष्ठित हुए। ऐसी एक कथा है कि जब भगवान शंकर ने क्रुद्ध होकर ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया, तो वह उनके करतल से चिपक गया। बारह वर्षो तक अनेक तीर्थो में भ्रमण करने पर भी वह सिर उनसे अलग नहीं हुआ। किंतु जैसे ही उन्होंने काशी की सीमा में प्रवेश किया, ब्रह्महत्या ने उनका पीछा छोड़ दिया और वह कपाल भी अलग हो गया। जहां यह घटना घटी, वह स्थान कपालमोचन-तीर्थ कहलाया। महादेव को काशी इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इस पावन पुरी को विष्णुजी से अपने नित्य आवास के लिए मांग लिया। तब से काशी उनका निवास-स्थान बन गई।


मान्यता

एक अन्य कथा के अनुसार महाराज सुदेव के पुत्र राजा दिवोदासने गंगातटपर वाराणसी नगर बसाया था। एक बार भगवान शंकर ने देखा कि पार्वती जी को अपने मायके (हिमालय-क्षेत्र) में रहने में संकोच होता है, तो उन्होंने किसी दूसरे सिद्धक्षेत्रमें रहने का विचार बनाया। उन्हें काशी अतिप्रियलगी। वे यहां आ गए। भगवान शिव के सान्निध्य में रहने की इच्छा से देवता भी काशी में आकर रहने लगे। राजा दिवोदासअपनी राजधानी काशी का आधिपत्य खो जाने से बडे दु:खी हुए। उन्होंने कठोर तपस्या करके ब्रह्माजीसे वरदान मांगा- देवता
देवलोक में रहें, भूलोक (पृथ्वी) मनुष्यों के लिए रहे। सृष्टिकर्ता ने एवमस्तु कह दिया। इसके फलस्वरूप भगवान शंकर और देवगणोंको काशी छोडने के लिए विवश होना पडा। शिवजी मन्दराचलपर्वत पर चले तो गए परंतु काशी से उनका मोह भंग नहीं हुआ। महादेव को उनकी प्रिय काशी में पुन:बसाने के उद्देश्य से चौसठ योगनियों,सूर्यदेव, ब्रह्माजीऔर नारायण ने बडा प्रयास किया। गणेशजीके सहयोग से अन्ततोगत्वा यह अभियान सफल हुआ। ज्ञानोपदेश पाकर राजा दिवोदासविरक्त हो गए। उन्होंने स्वयं एक शिवलिङ्गकी स्थापना करके उसकी अर्चना की और बाद में वे दिव्य विमान पर बैठकर शिवलोक चले गए। महादेव काशी
वापस आ गए।

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पितृ कुण्ड

<<--मुख्य पेज "वाराणसी एक परिचय " 

महाभारत में जलदान की महिमा का वर्णन किया गया है। संसार में जल से अधिक किसी भी दान को बड़ा नहीं बताया गया है। भलाई चाहने वाला मनुष्य प्रतिदिन जल का दान करे। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जल सर्वदेव मय है। अधिक क्या कहें यह मेरा स्वरूप है। पवित्रता के लिए भूमि की शुद्धि जल से करें।
अपव्यय न करें (महाभारत आश्वमेधिक पर्व) न केवल शरीर, इन्द्रियों और चित्त की शुद्धि भी जल के आचमन से होती है अपितु भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मशुद्धि के लिये भी जल के आचमन की संस्तुति की है। जल के कारण ही तीर्थों की विशिष्टता है। पितरों के तर्पण में जल की प्रधानता हैं। प्राचीन काल में बाण को शक्तिशाली बनाने के लिये योद्धा बाण संचालन के पूर्व जल का विनियोग करते और मन्त्र पढ़ते थे। तब कहीं सामान्य बाण नारायणशस्त्र, पाशुपतास्त्र आदि के रूप में परिवर्तित हो जाते थे।
काशी गया के नाम से विख्यात तीर्थ पितृ कुण्ड मातृ कुण्ड और पिशाचमोचन त्रिपुरान्तकेश्वर क्षेत्र में अवस्थित है। इसी क्षेत्र में सूर्य कुण्ड, मिसिर पोखरा और लक्ष्मी कुण्ड भी है। इस क्षेत्र में देवायतनों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुंड व तालाब (हिंदी) काशी कथा।


 

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केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय

 
 <<--मुख्य पेज "वाराणसी एक परिचय " 

 केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय

केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय ( तिब्बती: ཝ་ཎ་མཐོ་སློབ, Wylie: वा ना म्थो स्लोब / Central University for Tibetan Studies (CUTS)) भारत का स्ववित्तपोषित विश्वविद्यालय है। यह उत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट सारनाथ में स्थित है। यह पूरे भारत में अपने ढंग का एकमेव विश्वविद्यालय है । इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1967 में हुई थी। उस समय इसका नाम 'केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान' (Central Institute of Higher Tibetan Studies) था। बिखरे हुए तथा भारत के हिमालयीय सीमा प्रदेशों मे रहनेवाले तथा धर्म, संस्कृति, भाषा आदि के संबंध में तिब्बत से जुड़े युवाओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से ऐसे विश्वविद्यालय की परिकल्पना सर्वप्रथम जवाहरलाल नेहरू और तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के बीच हुए एक संवाद से साकार हुई ।

केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थाननाम से संबोधित यह संस्थान शुरू में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की शाखा के रूप में कार्य करता था और बाद में 1977 में वह भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन एक स्वशासित संगठन के रूप में उभरा ।


आधिकारिक वेबसाइट

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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!