पढ़िए रांझणा फिल्म का अंतिम डायलाग और समझिए सीने की आग का नया अर्थ :

''मेरे सीने की आग या तो मुझे जिंदा कर सकती थी या मुझे मार सकती थी. पर साला अब उठे कौन, कौन फिर से मेहनत करे दिल तुड़वाने को, अबे कोई तो आवाज देके रोक लो


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फिल्म रांझना के टॉप डायलॉग:

1. हमें अपने गाल पर थप्पड़ से ज्यादा उसके गाल पर पप्पी का शौक था...

2. ए रिक्शा वाले! पैसा मत ले मैडम से। भाभी है तुम्हारी...

3. गली के लौंडों का प्यार अक्सर डॉक्टर और इंजिनियर ले जाते हैं...

4. हम खून बहाएं, तुम आंसू बहाओ। साला आशिकी न हो गई, लाठीचार्ज हो गया।

5. लंका दहन होना बाकी था, क्योंकि हमारा जवान होना अभी बाकी था।

6. एक बात मैं समझ गया हूं। लड़की और रॉकेट आपको कहीं भी ले जा सकते हैं।

7. तुम्हारा प्यार न हो गया, यूपीएससी का एग्ज़ाम हो गया। 10 साल से क्लियर ही नहीं हो रहा।

8. नमाज में वो थी, पर ऐसा लगा कि दुआ हमारी कबूल हो गई।
9.कुन्दन के पाजामे का नाड़ा इतना कमजोर नही बिंदिया, जो तेरे ब्लाउज के दो बटन पर खुल जाये.
१०. मेरे पीछे स्कूटर में बैठना पड़ेगा . मैं ब्रेक मारूंगा तुम्हे मुझपे गिरना पड़ेगा .
मेरे साथ नाचना - गाना पड़ेगा गर्लफ्रेंड न सही .फील ही देदे "

11. 180 रुपये किलो है सेब , विटामिन हमसे खाओ,आशिकी इनसे लड़ाओ |

और सबसे जबरदस्त
12. साढ़े सात साल में तो शनीचर भी छोड़ देता है, पता नहीं ये कब छोड़ेगी।
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!