.काहें कि नरेन्द्र मोदी के सम्हने उऽऽ(केजरीवाल) न टिक पईंहऽऽ.....


दशाश्वमेध घाट के मान मंदिर के पान ठेला पर संवाद चल रहा था (वाराणसी)

.....काहें कि नरेन्द्र मोदी के सम्हने उऽऽ(केजरीवाल) न टिक पईंहऽऽ.....

गुंजन महाराज जीतू सरदार से कहलन - का गुरु आजकल नरेन्दर मोदी क जब से नाम बनारस से चुनाव लड़ले क आयेल ह तबसे सब्बो टीबी वाला इहां आवत हउवँ..

जीतू सरदार- हाँ, गुरु नरेन्दर मोदी कै हम देखली अईसन भाषन देहेलस की हम्मे लगल की जरुर महादेव एकरे कपारे पर सवार हो गयेल हउवँ...नरेन्दर मोदी बदे ही इहाँ सब टीबी वाला लाईव देखावत हउवँ।
गुंजन महाराज - का जीतू , ईइइ...केजरीवाल कवन हऽऽव गुरु , इहैँ तऽऽ लंगोट क पक्का पहलवानन् क जरुरत हऽऽव, सुनत हईंऽऽ वोहू इहाँ से चुनाव लड़े बदे आवत हौंऽऽव..।


जीतू सरदार - हाँ, गुरु, घाट पर सुबैहैये आखाड़ा में दण्ड पेलत रहलीं तऽऽ लईकन मन कहत हौंव, ईऽऽ केजरीवाल कहीं नौकरी करत रहल, अब राजनीति में आऽऽ के फँस गयेल हऽऽव।
अऽऽऊर बनारस में ठण्डई पीये बदे आऽऽवत हऽऽव एक ठे मुंह में गौदवलिया वाले गामा पान वाले क एक ठे बीड़ा खाके मन-मन्साईन करे के बाद रफू चक्कर हो जाही..

गुंजन महाराज- जीतू, तोहें एक काम करेके पड़ी ..एक दिन केजरीवाल के अखाड़ा पर ले जाके उन्हें धोबिया पाठ सिखावे के पड़ी, काहें कि नरेन्द्र मोदी के सम्हने उऽऽ न टिक पईंहऽऽ।
 
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!