होली पर मौज-मस्ती तब और भी परवान चढ़ती है जब भांग ..


 आयुर्वेद में हैं कई घरेलू उपाय

होली पर मौज-मस्ती तब और भी परवान चढ़ती है जब भांग की खुमारी आपके सिर चढ़कर बोलती है।
पकवानों, गुझिया, ठंडई जैसे पकवानों के साथ भांग का मजा कुछ और ही होता है पर अगर भांग का नशा ज्यादा हो जाए तो स्थिति अस्पताल में भर्ती होने जैसी भी हो सकती है।
होली पर भांग की खुमारी अधिक हो जाए तो उसे पहचानने और नशा कम करने के लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञ ने कुछ खास उपाय बताए हैं।

इन लक्षणों को न करें दरकिनार

- आमतौर पर भांग खाने के बाद शरीर पर नर्वस सिस्टम का कंट्रोल नहीं रहता है इसलिए लोग अपनी किसी भी गति‌विधि को नियंत्रित नहीं कर पाते। ऐसे में बहुत अधिक हंसना, रोना, सोना जैसे सामान्य लक्षण हो सकते हैं।
- अधिक भांग लेने से हो सकता है व्यक्ति कुछ समय के लिए कुछ भी पहचानने या याद रखने की स्थिति में न रहे।
- अगर भांग के नशे के बाद व्यक्ति आंखें बंद करने के बजाय आंखें खोलकर सो रहा है तो इसे गंभीरता से लें और उसे तुरंत अस्पताल ले जाएं वरना स्थिति कोमा तक की हो सकती है।

ये घरेलू उपाय अपनाएं


- भांग का नशा उतारने के लिए सबसे आसान और कारगर उपाय है कि 500 मिलीलीटर तक की मात्रा में घी का सेवन करें।
- सफेद मक्खन से भी तुरंत आराम मिलता है।
- दही या दही से बनी चीजें जरूर खाएं।
- भांग के नशे के बाद को भी मीठी चीज या हेवी डाइट न लें।

ये आयुर्वेदिक दवाएं हैं कारगर

डॉक्टर से सलाह के बाद आप इन आयुर्वेदिक दवाओं को ले सकते हैं- पंचद्रव्यघृत, पंचत्रिकघृत, ब्राह्मी सिपर और अश्वगंधारिष्ट।
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!