बनारस और उसके स्वाद


स्वाद की बात हो और बनारस का जिक्र ना आए ! ये हो सकता हैं भला, चलिए बनारस और उसके स्वादों से आपकी मुलाकात करा देते हैं |

यहाँ स्वाद हैं, रास्तो का, गलियों का, गंगा का
घाट का भी और चाट का भी,

कुल मिला के बनारस स्वादों से भरपूर हैं |

शुरू कहा से करे,
बनारस हिंदू युनिवर्सिटी के मेन गेट से करते हैं, आखिर यहाँ दो चीजे आपको 24 घंटे मिलेगी
चाय और बन मलाई, सुनने में कुछ खास नहीं लगती,
पर युनिवर्सिटी के स्टुडेंट्स के लिए अमृत से कम नहीं हैं, खास कर देर रात को जब कुछ नहीं मिलता |

अब थोड़ा आगे बढते हैं, अस्सी घाट स्टुडेंट्स का अड्डा हैं
हर शाम यहाँ आपको भीड़ मिलेगी, भौकाल चाट वाले की खूब डिमांड है यहाँ |

चलिए आपको कचौरी गली ले चलते हैं, सुबह आठ से दस बस यही वक्त है इसका, लेट हो गए तो कुछ नहीं मिलेगा | गिनती की तीन दुकाने हैं, पर जो स्वाद आपको यहाँ मिलेगा कही न मिलेगा और इनकी जलेबी का तो क्या कहना |


घड़ी बता रही हैं की दस से उपर हो चला हैं, चलिए केदार घाट चलते हैं |
बस केदार घाट के उपर ही है ये दुकान, श्री राम स्वीट्स
गजब का गजक बनाते हैं, काजू गजक खाने के लिए, कम से कम आपको दो किलोमीटर चलना पडेगा, चाहें घाट के रास्ते या गली के रास्ते, आप ना चल पायेंगे कहिये तो हम ले आए हर दूसरे तीसरे दिन पहुच जाते हैं |
अब कहा चला याए, लस्सी पीजियेगा
कौन सी, हाँ जी कौन सी !
रविदास गेट की पहलवान लस्सी’
या रामनगर की रबड़ी दार लस्सी,
या वो जो विदेशीयों को खूब भाती हैं, Blue लस्सी,
सही सुना आपने ! Blueberry लस्सी, Apple banana chocolate लस्सी, या Pinapple लस्सी,
सही सुना आपने नाम लेते जाई पचासों तरह की लस्सी बनाते हैं ये |
काफी भीड़ होती हैं यहाँ, आपको खड़ा हो के पीना पड़ सकता हैं सड़क पे, हाँ मगर Free WiFi देता हैं ये |

ठंडाई तो हम भूल ही गए, वैसे तो कई दुकाने हैं गदौलिया चौराहे पे,
पर मेरी खास चर्च के पीछे हैं, रंगीन पीजियेगा या सादी
नहीं समझे भोलेनाथ का प्रसाद भांग लेंगे या नहीं,
नहीं, चलिए कोई बात नहीं |

मीठा बहोत हो गया ना,
चलिए चाट हाँ मशहूर बनारसी चाट खिलाए,
काशी चाट भंडार, दीना चाट भण्डार और केशरी चाट भण्डार |
मै दीना चाट भंडार पे खाना पसंद करता हूँ, नारियल बाजार में हैं ये चौक पुलिस स्टेसन के पीछे, क्या खाइएगा फुलकी(पानी पूरी), टमाटर चाट या दही बड़े |

अब चलिए ले चलता हूँ आपको जन्नत में, घबराई नहीं जान नहीं देनी होगी
ठठेरी बजार चलाना होगा बस, मेरे लिए यह जगह जन्नत से कम नहीं, जन्नत इसलिए की यहाँ जो चीज खाइए एक से बढकर एक, अमृत भी कह सकते हैं, ये गली स्वादों से भरी हैं |
सुबह लाया होता तो आपको, The राम भंडार प्रसिद्ध छोटी कचौरी, पूरी कचौरी खिलाया होता मजा आ जाता, इस वक्त आपको समोसा छोला मिल जाएगा |

चिंता ना करे अभी भी कोई कम आनंद नहीं आने वाला, वो दिख रहा हैं आपको जो सफ़ेद मकान से सटा के टेबल पे कुछ बेच रहा हैं, जानते वो मकान किसका हैं ! भारतेंदु हरिश्चन्द्र जी का हिंदी के बहुत बड़े कवि थे, उन्हें आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामह भी कहा जाता हैं |

अब आइए इस दूकान पे, पलंग तोड़ रबडी कभी खाई हैं, Sandwich रबड़ी भी कहते है इसे, ये खाने के बाद कुछ अच्छा नहीं लगेगा, ये आखिर में खाएँगे |
थोड़ा आगे एक खास दुकान हैं, “श्री लक्ष्मी गोरस भंडार” दो तीन चीज़े ही बनाते हैं ये,
और रात नौ बजते बजते सब खतम भी हो जाती हैं |
मालई पूरी खाई है कभी, अरे मलाई पूरी से ही पेट भरेंगे क्या !
इनकी रबड़ी का जवाब नहीं हैं वो कौन खायेगा ?
इस राबड़ी के लिए हम जान दे भी सकते हैं और ले भी सकते हैं |
कलाकंद भी हैं खा लिजिये ये स्वाद कही और ना मिलेगा |

ठंडी में आए होते तो मलइयो भी खिलाते आपको, ठंडी में ही मिलती हैं वो बस |

कहाँ कहाँ चल दिए जनाब ! एक स्वाद तो आप भूल ही गए,
बनारसी स्वाद अधूरा हैं इसके बिना
बनारसी पान कौन खायेगा ?आत्मा तृप्त न हो जाए तो बोलिए, चलिए मुह खोलिए |

चलिए अब चलते हैं, अब अगली बार मिलेंगे, किसी और शहर की गलियां, नुक्कड़ चौराहे छानेंगे |

Post Link : शशिप्रकाश सैनी
 
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!