कभी देखी है ऐसी होली, यहां चिता भस्म है रंग और भूत-प्रेत हैं गोप-गोपियां
वाराणसी। मथुरा-वृंदावन की होली के बारे में तो आपने खूब पढ़ा, देखा और सुना होगा जहां गोप-गोपियों से घिरे कान्हा पुष्प और गुलाब की पंखुड़ियों के रंगों में सराबोर हुए जाते हैं लेकिन शिव की नगरी काशी में ऐसी होली मनाई जाती है जिसके बारे में सुनकर आप दंग रह जाएंगे। एक तरफ जलती हुई चिताएं और अपनों के बिछड़ने का गम तो वहीं दूसरी तरफ होली के रंगों में सराबोर शिव के गण, यही है इस अनोखी होली का अनोखापन। यही नहीं इस होली में टेसुओं के रंगों की जगह होती है चिता की भस्म।
'खेले मसाने (शमशान) में होली दिगंबर, खेले मसाने में होली...' के स्वर लहरियों पर पूरी मस्ती के रंगों में सराबोर होकर अबीर, गुलाल व भस्म के साथ शिव भक्तों ने सोमवार को मणिकर्णिका घाट स्थित महाशमशान पर जमकर होली खेली।
मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा काशी विश्वनाथ मां गौरी का गौना कराकर काशी पहुंचते हैं और इसके ठीक दूसरे दिन आज बाबा अपने चहेतों भूत, प्रेत व पिशाचों के साथ समशान में भस्म तथा गुलाल के साथ होली खेलते हैं। यह होली अपने आप में इसलिए खास होती है कि इसमें सभी शिवभक्त चिता की भस्म से होली खेलते हैं।
इस अवसर पर श्मशान नाथेश्वर महादेव मंदिर के संस्थापक गुलशन कपूर कहते हैं कि बाघम्भर शिव को भस्म अति प्रिय है और हमेशा शरीर में भस्म रमाये समाधिस्थ रहने वाले शिव की नगरी काशी में शमशान घाट पर चिता भस्म से होली खेली जाती है।
मान्यता है कि काशी में यह प्रथा सदियों पुरानी है, जिसका निर्वहन काशीवासी आज भी करते चले आ रहे हैं और सम्पूर्ण विश्व में काशी ही एकमात्र स्थान है जहां इस प्रकार भस्म से होली खेली जाती है।
Ishwar C. Upadhyay
बनारस के घाट पर एक बार छन्नूलाल मिश्र की आवाज़ में शमशान में शिव की होली का वर्णन सुना था,
खेलैं मसाने में होरी दिगंबर खेले मसाने में होरी
भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी.
लखि सुंदर फागुनी छटा के, मन से रंग-गुलाल हटा के,
चिता, भस्म भर झोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी.
गोप न गोपी श्याम न राधा, ना कोई रोक ना, कौनाऊ बाधा
उत्सवों का शहर है बनारस,एक ऐसा शहर जहाँ मृत्यु को भी उत्सव की तरह मनाया जाता है| तभी तो वहाँ के लोग मय्यत को ढोल नगाडो के साथ शमशान तक पहुचने के बाद गोलघर के झुल्लन मिठाई वाले कीदुकान से होते हुए घर जाते है| कमाल का है मेरा बनारस जिसे बस मौकामिलना चाहिए त्योहार मानने का फिर होली तो आख़िर होली है|
बनारस की होली मुझे हमेशा से पसंद रही है, यहाँ की होली की सबसे बड़ी खाशियत है की इसे सिर्फ़ हिंदू ही नही मुसलमान भी मानते है, काशी की प्राचीनतम होली बारात जिसे वहाँ के हिंदू मुस्लिम मिलकर निकालते है गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक बेमिशाल कड़ी है
3 comments:
कुछ जगहों पर होली के दिन रंगों के स्थान पर चिता-भस्म की होली खेली जाती है. यह कोई मजाक नहीं बल्कि देश की पौराणिक नगरी काशी का जीता-जागता सत्य है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन की एकादशी के दिन ही बाबा विश्वनाथ देवी पार्वतीजी का गौना कराकर दरबार लौटे थे। इस अवसर की खुशी प्रकट करते हुए काशी की गलियों में बाबा की पालकी निकाली जाती है। चारों ओर रंग ही रंग होता है, लेकिन अगले दिन का नजारा इससे बिलकुल अलग होता है जिसे देख पाना हर किसी के वश की बात नहीं है।
अगले दिन यहां महाश्मशान पर जलती चिताओं के बीच चिता-भस्म की होली खेली जाती है। यह सुनने में काफी अजीब लगता है लेकिन मान्यता है कि बाबा के औघड़ रूप को दर्शाने के लिए ही यहां चिता-भस्म का उपयोग होली के रंगों की तरह किया जाता है। हर तरफ ‘हर हर महादेव’ और डमरुओं की आवाज से यह नजारा काफी अनोखा प्रतीत होता है। हर साल काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर लोगों द्वारा बाबा मशान नाथ को विधिवत भस्म, अबीर, गुलाल और रंग चढ़ाया जाता है। चारों तरफ बज रहे डमरुओं की आवाज के बीच भव्य आरती उतारी जाती है जिसके बाद धीरे-धीरे सभी डमरू बजाते हुए ही शमशान में चिताओं के बीच आ जाते हैं। यहां ‘हर हर महादेव’ कहते हुए लोग एक-दूसरे को चिता-भस्म लगाते हुए विचित्र होली खेलते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार ही काशी में चिता-भस्म की इस होली मे औघड़दानी बनकर बाबा खुद महाश्मशान में होली खेलते हैं और मुक्ति का तारक मंत्र देकर सबको तारते हैं। यह प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इतना ही नहीं, यह भी मान्यता है कि स्वयं बाबा लोगों के बीच होली खेलते हैं। इस दिन बाबा मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार के लिए आयी सभी चिताओं की आत्मा को मुक्ति प्रदान करते हैं। इस दिन मशान नाथ मंदिर में घंटे और डमरुओं के बीच औघड़दानी रूप में विराजे बाबा की आरती उतारी जाती है। मान्यता यह भी है कि इस नगरी में प्राण छोड़ने वाला व्यक्ति शिवत्व को प्राप्त होता है। श्रृष्टि के तीनों गुण सत, रज और तम इसी नगरी में समाहित हैं।
मान्यता यह भी है कि इस नगरी में प्राण छोड़ने वाला व्यक्ति शिवत्व को प्राप्त होता है। श्रृष्टि के तीनों गुण सत, रज और तम इसी नगरी में समाहित हैं।'
Excellent, what a web site it is! This blog provides useful facts to us, keep it up. netflix sign in
When Vancouver and Toronto real estate prices dramatically inflated other parts with the country remained quite affordable. canadian mortgage calculator Enter the price that is best suited for your comfort level for the monthly budget. mortgage payment calculator
आपके स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा देती हैं जिसके लिए हम आप के आभारी है .
Post a Comment