सुनिए ..Abhinav Arun जी के पुत्र नीलाभ उत्कर्ष द्वारा रचित , आनंद मिलिंद के संगीत निर्देशन
में जावेद अली का गाया ‘’मेरा शहर मेरा गीत’’ .... जियो बनारस !!
‘’रईसों मलंगों की बस्ती बनारस कई घाट गंगा गुज़रती बनारस , नहीं आपाधापी नहीं भागादौड़ी यहाँ अल सुबह रोज़ छनती कचौड़ी अजब सी है मस्ती यहाँ की ठहर में ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में - नीलाभ उत्कर्ष....
|
|
बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
|
|
|
0 comments:
आपके स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा देती हैं जिसके लिए हम आप के आभारी है .
Post a Comment