विश्व प्रसिध्द चेतगंज की नक्कैट्या ( २३ अक्तूबर २०१३ )

चेतगंज की नक्कटैया - बनारस की सर्वाधिक मशहूर नक्कटैया चेतगंज की मानी जाती है। काशी में चेतगंज की रामलीला कार्तिक में होती है। विजयादशमी के एक सप्ताह बाद कार्तिक कृष्ण चतुर्थी (करवा-चौथ) की रात चेतगंज मुहल्ले में लाखों की भीड़ वाला 'लक्खी मेला' अर्थात चेतगंज की नक्कटैया सम्पन्न होती है। यह लीला केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वप्रसिद्ध मानी जाती है। भारत के कोने-कोने से भक्तगण भगवान के दर्शन के लिए
आते हैं। इस दिन पूरा मेला क्षेत्र बिजली की रंग-बिरंगी झालरों एवं स्थान-स्थान पर बने स्वागत तोरणों से सजा होता है। दुकानें सजी होती हैं। मिट्टी के बर्तनों से लेकर घर-गृहस्थी के समान तक बिकते हैं। घरों की छतों-बाजारों पर महिलाओं एवं बच्चों की भीड़ देखते ही बनती है।

इस लीला का प्रारम्भ लगभग ११५ वर्ष पहले सन १८८७ ई. में राम के अनन्य भक्त बाबा फतेहराम ने किया था। बताते हैं कि बाबा फतेहराम नगर में यायावर वृत्ति से निरंतर भ्रमण किया करते थे। जहाँ कहीं भी लीला होती थी उनका आसन जम जाता था। अन्त में इसी भक्तिभाव से प्रेरित होकर बाबा ने चेतगंज में एक नई शुरुआत "चेतगंज रामलीला समिति" की स्थापना करके की। प्रारंभ में इस लीला की व्यवस्था चन्दे पर आधारित थी किन्तु बाद में बाबा ने एक अनूठी तरकीब निकाली कि मेला क्षेत्र का प्रत्येक दुकानदार प्रतिदिन एक-एक पैसा देगा। इस प्रकार वर्ष भर में लीला की व्यवस्था के लिए काफी धन एकत्रित होने लगा। बाद में बाबा के इस निस्पृह जीवन से अभिभूत होकर नगर के सेठ-साहुकार भी इस लीला में उत्साह के साथ भाग लेने लगे। उनकी तरफ से लाग-विमानों की व्यवस्था होने लगी।

नक्कटैया लीला में, मूलत: तुलसीकृत मानस पर आधारित रामलीला के श्रृंखलाबद्ध प्रदर्शन के क्रम में, लक्ष्मण अमर्यादित सुपर्णखा की नाक काटकर रावण की आसुरी शक्ति को चुनौती देते हैं, जिसके प्रत्युत्तर में राम-लक्ष्मण के विरुद्ध सुपर्णखा एवं उसके भाई खर-दूषण द्वारा आसुरी सैन्य-शक्ति प्रदर्शन और राम से युद्ध की यात्रा का जुलूस ही नक्कटैया मेले का आकर्षण बनता है। यह जुलूस पिशाच मोचन मुहल्ले से आधी रात तो चलकर लीला स्थल चेतगंज तक (लगभग २ कि.मी.) प्राय: ४ बजे तक पहुँचता है।

राम के विरुद्ध सुपर्णखा के सैन्य अभियान को प्रदर्शित करने के लिए लोग, स्वाँग, चमत्कृत और डरावने दृश्यों के माध्यम से समाज और देश की विभिन्न अव्यवस्था जनित कुरीतियों को खुले मंच पर दिखाने की परम्परा रही है। इस बात के उल्लेख भी मिलते हैं कि राष्ट्रीय चेतना जागृत करने वाले और समकालीन समस्याओं से सम्बन्धित दृश्य भी लोग के माध्यम से दिखलाए जाते थे जैसे पुलिस अत्याचार, सत्याग्रह, नमक आन्दोलन, दांडी यात्रा, जलियांवालाबाग हत्याकांड इत्यादि।

सामाजिक कुरीतियों में शराबी, राक्षस, गौनहारिन, बहुस्री प्रथा आदि के दृश्य भी लोगों और स्वाँगों के माध्यम से प्रदर्शित होते हैं। दर्शकों के मनोरंजन हेतु राक्षसों की चमत्कृत करने वाली युक्तियों को भी दर्शाया जाता था, जैसे मोमबत्ती की रोशनी में पंख फड़फड़ाते कबूतर के ऊपर एक आदमी, जिसके हाथ में तार के सहारे लटकते बच्चे, जीभ के आर-पार सलाख और टपकती खून की बूँदें, पेट के आप-पार तलवार आदि। इन सब दृश्यों के आगे चलती नाककटी सुपर्णखा और उसके पीछे राक्षसी सेना के डरावने दृश्य होते हैं।

इसके अतिरिक्त विभिन्न देवी-देवताओं की झाँकी, हरिशचन्द्र प्रसंग तथा पौराणिक प्रसंगों आदि की झाँकियाँ भी निकाली जाती है। मेले में दुर्गा व काली के मुखौटे, मुकुट व वस्र धारण किए हुए सैकड़ों की संख्या में पात्र जुलूस के साथ चलते हैं। इनके अनोखे करतब जैसे तलवार की धार पर माँ काली द्वारा नृत्य
थाली को कोर पर नृत्य का प्रदर्शन आदि बीच-बीच में किया जाता है जो आश्चर्यजनक व मनोरंजक होते हैं। विशेष आकर्षक बात यह है कि इस मेले के लिए विशेष रुप से तैयार किए गए मँहगे से मँहगे भाग व विमान बाहर से, आस-पास के जिलों से ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों से भी प्रदर्शन के लिए आते हैं। इस मेले की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इसे "सामप्रदायिक एकता का प्रतीक" माना जाता है। उत्कृष्ट भाग को रामलीला समिति द्वारा पुरस्कृत किया जाता है।

दो-तीन दशक पूर्व नक्कटैया मेले का उद्देश्य व्यंगयातमक अभिव्यक्तियों का खुले मंच पर प्रदर्शन या धार्मिक वातावरण के निर्माण तक सीमित न रहकर जन जागरण एवं राष्ट्रीय भावनाओं का निर्माण तथा विकास भी रहा है। बदलते परिवेश में नक्कटैया का मेला फैन्सी शो बन गया है। बिजली-बत्ती की सजावट, कथानक के प्रसंग से अलग-थलग दृश्यों का समावेश तथा विकृत स्वांग आज की नक्कटैया का स्वरुप है इसमें धर्म की जगह धीरे-धीरे व्यावसायिकता का समावेश होता जा रहा है।

इस साल विश्व पटल पर स्थापित चेतगंज के नक्कटैया जुलूस में इस बार जेल में बंद लालू यादव को चारा खाते दिखने वाला लॉग आकर्षण का केन्द्र है..
देशभर में घटित चर्चित घटनाओं एवं भ्रष्टाचार पर आधारित लॉग,स्वांग व विमान ही इस नक्कटैया की प्रसिद्धि का मूल कारण है।
नक्कटैया में इलाहाबाद, फूलपुर, जौनपुर, मुंगराबादशाहपुर, भदोही आदि क्षेत्रों से आए आकर्षक लॉग विमान शामिल है । लगभग पांच किमी. की परिधि में आने वाले मेला क्षेत्र में विद्युत उपकरणों से आकर्षक सजावट है।मेला क्षेत्र में 11 स्वागत द्वार बनाये गये हैं। नक्कटैया जुलूस पिशाचमोचन क्षेत्र से उठकर चेतगंज थाने के सामने आयेगा, जहां डीएम प्रांजल यादव उद्घाटन करेंगे तथा विशिष्ट अतिथि के रुप में एसएसपी अजय मिश्र मौजूद रहेंगे। इसके पश्चात जुलूस लहुराबीर, सेनपुरा, चाउरछंटवा, मंशाराम फाटक, हबीबपुरा होकर चेतगंज चौराहे के समीप रामलीला मंच के पास पहुंचकर समाप्त होगा। उन्होंने बताया कि आयोजन का यह 126वां वर्ष है।






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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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