पितृ कुण्ड

<<--मुख्य पेज "वाराणसी एक परिचय " 

महाभारत में जलदान की महिमा का वर्णन किया गया है। संसार में जल से अधिक किसी भी दान को बड़ा नहीं बताया गया है। भलाई चाहने वाला मनुष्य प्रतिदिन जल का दान करे। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जल सर्वदेव मय है। अधिक क्या कहें यह मेरा स्वरूप है। पवित्रता के लिए भूमि की शुद्धि जल से करें।
अपव्यय न करें (महाभारत आश्वमेधिक पर्व) न केवल शरीर, इन्द्रियों और चित्त की शुद्धि भी जल के आचमन से होती है अपितु भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मशुद्धि के लिये भी जल के आचमन की संस्तुति की है। जल के कारण ही तीर्थों की विशिष्टता है। पितरों के तर्पण में जल की प्रधानता हैं। प्राचीन काल में बाण को शक्तिशाली बनाने के लिये योद्धा बाण संचालन के पूर्व जल का विनियोग करते और मन्त्र पढ़ते थे। तब कहीं सामान्य बाण नारायणशस्त्र, पाशुपतास्त्र आदि के रूप में परिवर्तित हो जाते थे।
काशी गया के नाम से विख्यात तीर्थ पितृ कुण्ड मातृ कुण्ड और पिशाचमोचन त्रिपुरान्तकेश्वर क्षेत्र में अवस्थित है। इसी क्षेत्र में सूर्य कुण्ड, मिसिर पोखरा और लक्ष्मी कुण्ड भी है। इस क्षेत्र में देवायतनों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुंड व तालाब (हिंदी) काशी कथा।


 

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

0 comments:

Post a Comment

बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
Copyright © 2014 बनारसी मस्ती के बनारस वाले Designed by बनारसी मस्ती के बनारस वाले
Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!