बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय



बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
काशी या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसे संक्षेप में बी.एच.यू. (BHU) भी कहा जाता है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक्टएक्ट क्रमांक 16, सन् 1915) के अंतर्गत हुई थी। पं. मदनमोहन मालवीय ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रारम्भ 1904 ई. में कियाजब काशी नरेश 'महाराज प्रभुनारायण सिंहकी अध्यक्षता में संस्थापकों की प्रथम बैठक हुई। 1905 ई. में विश्वविद्यालय का प्रथम पाठ्यक्रम प्रकाशित हुआ।

इतिहास
जनवरी, 1906 ई. में कुंभ मेले में मालवीय जी ने त्रिवेणी संगम पर भारत भर से आई जनता के बीच अपने संकल्प को दोहराया। कहा जाता हैवहीं एक वृद्धा ने मालवीय जी को इस कार्य के लिए सर्वप्रथम एक पैसा चंदे के रूप में दिया। डा. ऐनी बेसेंट काशी में विश्वविद्यालय की स्थापना में आगे बढ़ रही थीं। इन्हीं दिनों दरभंगा के राजा महाराज 'रामेश्वर सिंहभी काशी में 'शारदा विद्यापीठकी स्थापना करना चाहते थे। इन तीन विश्वविद्यालयों की योजना परस्पर विरोधी थीअत: मालवीय जी ने डा. बेसेंट और महाराज रामेश्वर सिंह से परामर्श कर अपनी योजना में सहयोग देने के लिए उन दोनों को राजी कर लिया। फलस्वरूप 'बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी सोसाइटीकी 15 दिसंबर, 1911 को स्थापना हुईजिसके महाराज दरभंगा अध्यक्षइलाहाबाद उच्च न्यायालय के प्रमुख बैरिस्टर 'सुंदरलालसचिवमहाराज 'प्रभुनारायण सिंह', 'पं. मदनमोहन मालवीयएवं 'डा. ऐनी बेसेंटसम्मानित सदस्य थीं।[1]

स्थापना
तत्कालीन शिक्षामंत्री 'सर हारकोर्ट बटलरके प्रयास से 1915 ई. में केंद्रीय विधानसभा से 'हिन्दू यूनिवर्सिटी ऐक्टपारित हुआजिसे तत्कालीन गवर्नर जनरल 'लॉर्ड हार्डिंजने तुरंत स्वीकृति प्रदान कर दी। 4 जनवरी, 1916 ई. वसंत पंचमी के दिन समारोह वाराणसी में गंगा तट के पश्चिमरामनगर के समानांतर महाराज 'प्रभुनारायण सिंहद्वारा प्रदत्त भूमि में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का शिलान्यास हुआ। उक्त समारोह में देश के अनेक गवर्नरोंराजे-रजवाड़ों तथा सामंतों ने गवर्नर जनरल एवं वाइसराय का स्वागत और मालवीय जी से सहयोग करने के लिए हिस्सा लिया। अनेक शिक्षाविदवैज्ञानिक एवं समाजसेवी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। गांधी जी भी विशेष निमंत्रण पर पधारे थे। अपने वाराणसी आगमन पर गांधी जी ने डा. बेसेंट की अध्यक्षता में आयोजित सभा में राजा-रजवाड़ोंसामंतों तथा देश के अनेक गण्यमान्य लोगों के बीचअपना वह ऐतिहासिक भाषण दियाजिसमें एक ओर ब्रिटिश सरकार की और दूसरी ओर हीरे-जवाहरात तथा सरकारी उपाधियों से लदेदेशी रियासतों के शासकों की घोर भर्त्सना की गई थी।

डॉ. राधाकृष्णनएनी बेसेंट और मालवीय जी का योगदान
डा. बेसेंट द्वारा समर्पित 'सेंट्रल हिन्दू कॉलेजमें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का विधिवत शिक्षणकार्य, 1 अक्टूबर, 1917 से आरंभ हुआ। 1916 ई. में आई बाढ़ के कारण स्थापना स्थल से हटकर कुछ पश्चिम में 1,300 एकड़ भूमि में निर्मित वर्तमान विश्वविद्यालय में सबसे पहले इंजीनियरिंग कॉलेज का निर्माण हुआ और फिर आर्ट्स कॉलेजसाइंस कॉलेज आदि का निर्माण हुआ। 1921 ई से विश्वविद्यालय की पूरी पढ़ाई 'कमच्छा कॉलेजसे स्थानांतरित होकर नए भवनों में होने लगी। इसका उद्घाटन 13 दिसंबर, 1921 को 'प्रिंस ऑफ वेल्सने किया था।[1] पंडित मदनमोहन मालवीय ने 98 साल पहले 1916 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। तब इसका कुल मिलाकर एक ही कॉलेज था- सेंट्रल हिन्दू कॉलेज और आज यह विश्वविद्यालय 15 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जिसमें 100 से भी अधिक विभाग हैं। इसे एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय होने का गौरव हासिल है। महामना पंडित मालवीय के साथ ही सर्वपल्ली राधाकृष्णन और एनी बेसेंट ने भी विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और लंबे समय तक विश्वविद्यालय से जुड़े रहे।

विश्वविद्यालय परिसर
वाराणसी प्राचीन नगरी है और इसे देखकर सहज ही लगता है कि हम किसी पुरानी रियासत में हैं। परिसर के भीतर विशालकाय भवन हैंजिनमें कक्षाएँ चलती हैं। विज्ञानकलासामाजिक विज्ञानइंजीनियरिंगमेडिकलफाइन आर्ट्ससंगीतसंस्कृत शोध विभाग आदि के लिए अलग- अलग इमारतें हैं। इसका परिसर खूब हरा-भरा है और लगता ही नहीं कि आप भीड़-भाड़ वाली वाराणसी नगरी में हैं। विश्वविद्यालय के पास निजी संचार प्रणालीप्रेसकंप्यूटर नेटवर्कडेयरीकृषि फार्मकला व संस्कृति संग्रहालय और विशालकाय सेंट्रल लाइब्रेरी हैं। लाइब्रेरी में  10 लाख से भी अधिक पुस्तकेंपत्रिकाएँशोध रिपोर्ट और ग्रंथ आदि हैं। विश्वविद्यालय का अपना हेलीपैड भी और अपनी अलग सुरक्षा व्यवस्था भी है। विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री भी हासिल की जा सकती है।

इसके प्रांगण में विश्वनाथ का एक विशाल मंदिर भी है। विशाल सर सुंदरलाल चिकित्सालयगोशालाप्रेसबुकडिपो एवं प्रकाशनटाउन कमेटी (स्वास्थ्य)पी.डब्ल्यू.डी.स्टेट बैंक की शाखापर्वतारोहण केंद्रएन.सी.सी. प्रशिक्षण केंद्र, "हिन्दू यूनिवर्सिटी" नामक डाकखाना एवं सेवायोजन कार्यालय भी विश्वविद्यालय तथा जनसामान्य की सुविधा के लिए इसमें संचालित हैं।[1] इस विश्वविद्यालय के दो परिसर है। मुख्य परिसर (1300 एकड़) वाराणसी में स्थित है। मुख्य परिसर में 3 संस्थान, 14 संकाय और 124 विभाग है। विश्वविद्यालय का दूसरा परिसर मिर्जापुर जनपद में बरकछा नामक जगह (2700 एकड़) पर स्थित है।[1]

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
विश्वविद्यालय का इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशनएशियन रिसर्च एंड डवलपमेंट बैंकडिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशनटाटा आयरन एंड स्टील कंपनीहिंदुस्तान एल्युमीनियम कंपनीस्टील आथॉरिटी ऑफ़ इंडिया और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के सहयोग व समर्थन से चलाया जा रहा है।

विभिन्न कोर्सेस और सुविधाएँ
परिसर के भीतर 14 अलग-अलग संकाय हैं। इनमें एक महिला कॉलेजइंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजीइंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेसकृषि संकाय भी शामिल हैं। विश्वविद्यालय में छह विषयों के एडवांस्ड स्टडी सेंटर भी हैं। ये विषय हैं बॉटरीजुलोजीमेटलर्जीइलेक्ट्रॉनिक्सभौतिकी और माइनिंग। विश्वविद्यालय में 49 छात्रावास हैंजिनमें से 35 लड़कों के लिए और  14 लड़कियों के लिए हैं। कई नए छात्रावास भी निर्माणाधीन अवस्था में हैं। यहाँ के इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी की तुलना आईआईटी से की जाती है। प्रवेश भी आईआईटी की परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर होता है। यह संस्थान 16 कोर्स उपलब्ध कराता है। इनमें कंप्यूटर इलेक्ट्रिकलइलेक्ट्रोनिक्स एप्लाएड फिजिक्सएप्लाएड मैथेमेटिक्स और एप्लाएड केमिस्ट्री भी शामिल हैं। इंजीनियरिंग कोर्स काफ़ी लोकप्रिय हैं और यहाँ के मेटलर्जी व माइनिंग कोर्स तो देश में सबसे अच्छे माने जाते हैं। मेडिकल संस्थान में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। इसके अतिरिक्त तीन साल के कला व समाज विज्ञान बीए व बीएसएसी डिग्री कोर्स की पढ़ाई होती है। बीलिव एंड इनफॉर्मेशन साइंसपत्रकारिताएलएलबीएमबीए के साथ ही कई और पेशेवर कोर्स भी कराए जाते हैं। स्नातकोत्तर स्तर पर भी कई कोर्स हैं। यह देश के उन गिने-चुने विश्वविद्यालयों में से है जहाँ आयुर्वेद के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा पद्धति की भी पढ़ाई होती है। इनके अतिरिक्त वेदव्याकरण और सांख्य योग से संबंधित कोर्स भी कराए जाते हैं। विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार पर स्थित लंका का छोटा सा बाज़ार छात्र-छात्राओं की ज़रूरतें पूरी करता है। कुछ ही दूर गंगा तट पर अस्सी घाट स्थित हैजहाँ  फाइन आर्ट्स के छात्र स्केच बनाते अकसर दिखते हैं। दिन भर परिसर के भीतर सेंट्रल लाइब्रेरी के पास विश्वनाथ मन्दिर छात्रों के जमावड़े का केंद्र रहता है।

प्रवेश परीक्षा
बीएबीएससीबीकॉमएलएलबी प्रवेश परीक्षाओं के लिए बारहवीं में 45 फीसदी औसत अंक के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए स्नातक स्तर पर  48 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी की ज़रूरत है।

पूर्व कुलपति
श्री सुंदरलालपं. मदनमोहन मालवीयडा. एस. राधाकृष्णन (भूतपूर्व राष्ट्रपति)अमरनाथ झाआचार्य नरेंद्रदेवडा. रामस्वामी अय्यरडा. त्रिगुण सेन (भूतपूर्व केंद्रीय शिक्षामंत्री) जैसे मूर्धन्य व्यक्ति यहाँ के कुलपति रह चुके हैं।[1]

प्रतिभाशाली छात्र
वैज्ञानिक जयंत नार्लिकरभारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहाकार पी. रामा रावऑयल एंड. नेचुरल गैस कमीशन के चेयरमैन बी.सी. बोराएशिया ब्राउन बावेरी के सीएमडी के. एन. शिनॉयपंजाब नेशनल बैंक के सीएमडी एस. एस. कोहली सरीखे लोग विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं। इनके अतिरिक्त भी विश्वविद्यालय के छात्र बतौर वैज्ञानिकसाहित्यकारएमबीएइंजीनियर और चिकित्सक देश-विदेश में काफ़ी सुनाम अर्जित कर चुके हैं और कई ज़िम्मेदार पदों पर कार्यरत हैं।

पत्र व्यवहार
किसी भी तरह की जानकारी के लिए संबद्ध विभागाध्यक्ष के नाम काशी हिन्दू विश्वविद्यालयवाराणसी- 221005 के पते पर पत्र व्यवहार किया जा सकता है। 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

    
↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना (हिन्दी) (पी.एच.पी) historybhu.blogspot.com। अभिगमन तिथि: फ़रवरी, 2011

साभार: भारत डिस्कवरी   

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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!