!! शिवनामावल्यष्टकम् !!

!! शिवनामावल्यष्टकम् !!
हे चन्द्रचूड मदनान्तक शूलपाणे
स्थाणो गिरिश गिरिजेश महेश शम्भो ।
भूतेश भीतभयसूदन मामनाथं
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ।। 1 ।।
हे पार्वतीहृदयवल्लभ चन्द्रमौले
भूताधिप प्रमथनाथ गिरीशजाप ।
हे वामदेव भव रुद्र पिनाकपाणे
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ।। 2 ।।
हे नीलकण्ठ वृषभध्वज पञ्चवक्त्र
लोकेश शेषवलयं प्रमथेश शर्व ।
हे धूर्जटे पशुपते गिरिजापते मां
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ।। 3 ।।
हे विश्वनाथ शिव शंकर देवदेव
गंगाधर प्रमथनायक नन्दिकेश ।
बाणेश्वरान्धकरिपो हर लोकनाथ
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ।। 4 ।।
वाराणसीपुरपते मणिकर्णिकेश
वीरेश दक्षमखकाल विभो गणेश ।
सर्वज्ञ सर्वहृदयैकनिवास नाथ
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ।। 5 ।।
श्रीमन् महेश्वर कृपामय हे दयालो
हे व्योमकेश शितिकण्ठ गणाधिनाथ ।
भस्मांगरागनृकपालकलापमाल
संसारदुःखगहनाज्जदीश रक्ष ।। 6 ।।
कैलासशैलविनिवास वृषाकपे हे
मृत्युञ्जय त्रिनयन त्रिजगन्निवास ।
नारायणप्रिय मदापह शक्तिनाथ
संसारदुःखगहनाज्जदीश रक्ष ।। 7 ।।
विश्वेश विश्वभवनाशक विश्वरुप
विश्वात्मक त्रिभुवनैकगुणाभिवेश ।
हे विश्वबन्धु करुणामय दीनबन्धो
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ।।
गौरीविलासभवनाय महेश्वराय
पञ्चाननाय शरणागतरक्षकाय ।
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ।। 9 ।।

।। इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं शिवनामावल्यष्टकं सम्पूर्णम् ।।





Gopal Krishna Shukla
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!