राम नगर का किला.. वाराणसी

अवश्य जाएँ  :

रामनगर किला और संग्रहालय, गंगा नदी के दाएं किनारे पर स्थित है। यह किला, राजा बलवंत सिंह का शाही निवास था जिसे 17 वीं शताब्‍दी में बनवाया गया था।  रामनगर वह स्‍थल है जहां वेदव्‍यास के रचयिता ने तप किया था। वास्‍तव में, उनके तप करने के बाद इस जगह का वास्‍तविक नाम व्‍यास काशी था।
रामनगर प्रमुख रूप से 31 दिनों के लिए जाना जाता है, सितम्‍बर और अक्‍टूबर महीने में इन 31 दिनों में यहां रामलीला का आयोजन किया जाता है।  रामनगर संग्रहालय में खूबसूरती से नक्‍काशी की गई बालकनी, भव्‍य मंडप और खुले आंगन है।
इस संग्रहालय का सबसे अह्म हिस्‍सा विद्या मंदिर है जो शासकों के काल की अदालत का प्रतिनिधित्‍व करता है। इस संग्रहालय में कई प्राचीन वस्‍तुओं का नायाब कलेक्‍शन है जिनमें प्राचीन घडियां, पुराने शस्‍त्रगार, तलवारें, पुरानी बंदूकें, शाही कारें और हाथी दांत के काम के सामान शामिल है। पर्यटक यहां आकर शाही परिवारों के मध्‍ययुगीन वेशभूषा, आभूषण और फर्नीचर देख सकते है।












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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!