बनारसी मित्रों के नाम

... हमारे तमाम बनारसी मित्रों के नाम अजग-गजब हैं जैसे - रहीस 

सिंह, मैनेजर पाण्‍डेय, टाइगर सिंह, लोमष तिवारी, तहसीलदार 

पाण्‍डेय, गवर्नर सिंह, कोतवाल चौहान, मूछ बिहारी तिवारी लेकिन अब 

यह सब अपने जैसा दबंग नामकरण नाती-पोतों का नहीं 

करना चाहते। वह नहीं चाहते हैं कि उनके कुनबे के किसी सदस्‍य को 

लोकपाल का नाम दिया जाए। उनको लगता है कि भांग छाने के 

समय बुलाया तो लोग क्‍या समझेंगे... हा हा हा... कुछ - कुछ 

कलंकपाल टाइप लगेगा उच्‍चारण।... जय हो.. मगरुवा भांग वाले..
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!