बिरला हास्टल

मैं  उन खास लोगों  में से एक हूँ  जिन्हें BHU के बिरला हास्टल में रहने का मौका मिलता है.. और हर बिरला वासी इस बात को जनता है की उनमे जितनी क्षमता है उतनी BHU के किसी दुसरे हॉस्टल के होस्टेलर्स में नहीं है.. पर दुःख होता है सोच कर की इतने   potential के बाद भी बिरला सबसे पीछे रह जाता है... मै सिर्फ एक साल वहां  रहा हूँ और मैंने पाया की टीम वर्क की कमी सबसे बड़ा कारण रहा हमारे पीछे रह जाने का  .. और आज भी बिरला का यही हाल है.. ख़ास  तौर से वहां पर जो U.P.- Bihar की  राजनीति है वो सबसे ज्यादा नुकसान करती है वहां के  होस्टेलर्स का.... कहते है एक मछली पुरे तलब को गन्दा कर देती है ऐसा ही कुछ हमेशा   वहां होता रहता है.. दूसरा कारण वह के होस्टेलर्स के पीछे होने का यह है की आर्ट्स faculty की U.G. classes में केवल  लडकें  पढ़ते  है.... और हम  सभी  जानते  है की हमें  जिस  चीज़  से दूर  किया  जाता है हमारा  मन  उधर  ही भागता  है.... ऐसा ही कुछ होता है वहां भी... लडकें  ज्यादा तर  time लडकियों  के पीछे भागते   रह जाते  है वो अपने   खुद  के development पर ध्यान  नहीं दे  पातें  है... मुझे   लगता   है अगर  U.G. classes को  भी  P.G.  classes की तरह  co-ed कर दिया  जाये  तो  वहां इसका  सीधा positive असर  देखा  जा  सकता  है


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1 comments:

Amit Sing said...

वाह रजा बनारस. मजा आ गयल

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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!