बृद्धकाल कूप, वाराणसी


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बृद्धकाल कूप उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी नगर में स्थित है। मैदागिन चौमुहानी के पास दारानगर मुहल्ले में है, कलश कूप कश्मीरीमल की हवेली, चन्द्र कूप सिद्धेश्वरी मुहल्ले में, धर्म कूप मीरघाट मुहल्ले में, शुक्र कूप कालिका गली में तथा शुभोदक कूप छित्तनपुरा के ओंकालेश्वर मुहल्ले में[1] पौराणिक मान्यता रही है कि काशी के कुण्ड व कूप प्राचीन काल में गंगा के समानान्तर मिलते रहे हैं। धीरे-धीरे गंगा की बड़ी धारा के समक्ष कुण्डों की छोटी व संक्षिप्त धारा विलुप्त होती गई और इस तरह कई सामानान्तर धाराओं का लोप हो गया। कुछ बचे-खुचे कुण्ड ही रह गये हैं, जो अपना अस्तित्व किसी पर्व आदि के कारण बनाये रखने में सफल रहे हैं।

 वर्तमान में
सरकारी उपेक्षा और कुण्ड की स्वच्छता के प्रति लोगों की उदासीनता के कारण यह जल कुण्ड भी धीरे-धीरे अपने अस्तित्व को खोता जा रहा है। इसके चारों तरफ भवनों के कारण इस पर अतिक्रमण का खतरा बना हुआ है। यदि शीघ्र कोई ठोस कारगर प्रयास नहीं किया गया तो इसके विलुप्त होने का खतरा बना हुआ है। 

टीका टिप्पणी और संदर्भ
1.        अराजी संख्या 2074 पर स्थित है, जिसे अवांछनीय तत्वों ने कूप को हाल ही में पाटकर कब्जा कर लिया है।




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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!