नीचीबाग
से बुलानाला जाने वाले मार्ग में यह सरोवर स्थित है। इस समय यह विलुप्त होने की कगार पर है। इस सरोवर
पर गुरू पूर्णिमा पर यहां स्थित शिवलिंग और महर्षि
वेदव्यास की मूर्ति की पूजा की जाती है। पूरे वर्ष ये मूर्तियां कुण्ड के जल में डूबी रहती
हैं। गुरू पूर्णिमा के दिन नगर निगम
पंप
से सरोवर का पानी खाली कर देता है। इस कुण्ड पर ही तुलसीदास जी ने प्रथम हनुमान मंदिर बनाया। जिसे
कोढ़ियाबीर हनुमान के नाम से जाना जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कुंड व तालाब (हिंदी) काशी कथा।
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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