बनारस
के अलावा अन्य जगह पाना खाया जाता है, लेकिन बनारसी पान खाते नहीं, घुलाते
हैं। पान घुलाना साधारण क्रिया नहीं हैं। पान का घुलाना एक प्रकार से
यौगिक क्रिया है। यह क्रिया केवल असली बनारसियों द्वारा ही सम्पन्न होती
है। पान मुँह में रखकर लार को इकट्ठा किया जाता है और यही लार जब तक मुँह
में भरी रहती है, पान घुलता है। कुछ लोग उसे नाश्ते की तरह चबा जाते हैं,
जो पान घुलाने की श्रेणी में नहीं आता।
पान की पहली पीक फेंक दी जाती है ताकि सुर्ती की निकोटिन निकल जाए। इसके
बाद घुलाने की क्रिया शुरू होती है। अगर आप किसी बनारसी का मुँह फूला हुआ
देख लें तो समझ जाइए कि वह इस समय पान घुला रहा है। पान घुलाते समय वह बात
करना पसन्द नहीं करता। अगर बात करना जरूरी हो जाए तो आसमान की ओर मुँह करके
आपसे बात करेगा ताकि पान का, जो चौचक जम गया होता है, मज़ा किरकिरा न हो
जाए।
1 comments:
shi baat khi appny.....
आपके स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा देती हैं जिसके लिए हम आप के आभारी है .
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