बनारसी छोरों पर फिदा जापानी बालाएं

Vikas Bagi , वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब जापान गए होंगे तो उन्हें भी इसका इल्म नहीं रहा होगा कि जिस काशी का वह प्रतिनिधित्व करते हैं, वहां के छोरों पर जापानी बालाएं फिदा हैं। जापानी बालाएं आती हैं तो बनारस घूमने, लेकिन गंगा लहरों के बीच दिल हार जाती हैं। गंगा किनारे वाले अल्हड़ छोरों में अपना "प्यार" नजर आता है और उनके साथ जीने-मरने को अपना देश छोड़कर बनारस आ जाती हैं।

एडीएम सिटी का दफ्तर जहां विदेशी नागरिकों से संबंधित शादियां होती हैं, वहां का रिकॉर्ड बताता है 
कि जापान की युवतियां बनारस के लड़कों के साथ शादी करने के मामले में सबसे आगे हैं। हर साल कम से कम तीन से चार जापानी युवतियां बनारसी छोरों के साथ ब्याह रचाती हैं। बीते सात की ही बात करें तो अगस्त में शिवपुरवा के चंदन वर्मा और जापान के ओयामा शहर की जुनको ने एडीएम सिटी दफ्तर में कोर्ट मैरिज की है। पढ़ाई के दौरान दोनों के दिल मिले और फिर साथ जीने-मरने की कसमें खाते हुए चंदन और जुनको ने शादी कर ली।
इसी तरह एक कंपनी में सेल्स मैनेजर भूतेश्वर गली निवासी विक्की पॉल की आंखें कंपनी में ही काम करने वाली जापान के काना ससाकी से चार हो गईं। आज दोनों अपनी जिंदगी से बहुत खुश हैं। तीन साल पहले शास्त्रीय संगीत सीखने की चाह में जापान के नागानू सिटी से आईं 27 वर्षीय काउरू सितार सीखने के दौरान बढ़ई का काम करने वाले खालिसपुर निवासी इरशाद से मुलाकात हुई। उसकी साफगोई और प्यार भरी बातों ने काउरू का दिल जीत लिया। दोनों ने बीते वर्ष दिसंबर में एडीएम सिटी के कोर्ट में मैरिज कर ली। काउरू, रिनाको, कारो, इरिको, जुनको, कागोशिमा की नहीं, दर्जनों ऐसी जापानी बालाएं जो बनारस आकर रिश्तों में बंध गईं।
एडीएम सिटी के यहां मौजूद रिकॉर्ड बताते हैं कि वर्ष 2008 से 2014 के बीच सबसे अधिक जापानी युवतियां पांच वर्ष पूर्व 2009 में फिदा हुईं। पांच युवतियों ने यहां शादी की थी। 2010 में चार, 2011 में तीन, 2012 में दो, 2013 में दो और 2014 में अब तक तीन जापानी युवतियां बनारस को अपना ससुराल बना चुकी हैं।
दौलत नहीं, प्यार को तरजीह
जापान में बीते वर्ष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन एंड सोशल सिक्योरिटी रिसर्च ने कुंवारी युवतियों से शादी के बाबत राय ली थी तब अधिकांश ने धन-दौलत के बजाय प्यार करने वाले जीवनसाथी को तरजीह दी थी। शायद यही वजह है बनारस के अल्हड़ छोरे जापानियों का दिल जीतने में आगे रहते हैं।


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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!