वाराणसी। धर्म नगरी काशी में बुधवार को डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद घाट पर मूर्ख दिवस के उपलक्ष्य में महामूर्ख सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें देश के कोने—कोने से आए हास्य व्यंग कवियों ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से देश की वर्तमान स्थिति पर आईना दिखाया।
ये बनारस है
शायद कोई और शहर होता तो इतनी भीड़ तमाम प्रयासों के बाद भी ना जुटती
लेकिन बनारस की बात ही अलग है मौका था राजेन्द्र प्रसाद घाट पर होने वाली सालो पुरानी हास्य कवि सम्मलेन "महामूर्ख सम्मलेन" का......
देर रात तक चलने वाले इस सम्मेलन में काशी के सुप्रसिद्ध हास्य व्यंग कवि सुदामा तिवारी उर्फ सांड बनारसी ने अपनी कविता 'मूर्ख इंजीनियर, डॉक्टर मूर्ख यहां, मूर्ख चोर डाकू और मूर्ख थानेदार है..मूर्ख जनता है और मूर्खों की सरकार है' पेश की। इस कविता को सुन दर्शक हंसने पर मजबूर हो गए।
ये बनारस है
शायद कोई और शहर होता तो इतनी भीड़ तमाम प्रयासों के बाद भी ना जुटती
लेकिन बनारस की बात ही अलग है मौका था राजेन्द्र प्रसाद घाट पर होने वाली सालो पुरानी हास्य कवि सम्मलेन "महामूर्ख सम्मलेन" का......
तो वहीं आजमगढ़ से आये डॉक्टर रामाश्रय मिश्र ने 'नेता वही है जो ताने रहे, सुरा—सुन्दरी भांग झाने रहे, कुर्सी दिखाई पड़े जिस तरफ,बस उसी ओर हरदम फाने रहे' से देश के राजनेताओं की एक तस्वीर खींच दी।
पारंपरिक रूप से चले आ रहे इस महामूर्ख सम्मेलन की सबसे खास बात यह है कि इसमें दूल्हा महिला व दुल्हन पुरुष बनते हैं। इसमें इस वर्ष डॉक्टर अंजना गुप्ता व डॉक्टर मनमोहन श्याम ने दुल्हा व दुल्हन बनकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ायी।
ये बनारस है
शायद कोई और शहर होता तो इतनी भीड़ तमाम प्रयासों के बाद भी ना जुटती
लेकिन बनारस की बात ही अलग है मौका था राजेन्द्र प्रसाद घाट पर होने वाली सालो पुरानी हास्य कवि सम्मलेन "महामूर्ख सम्मलेन" का......
देर रात तक चलने वाले इस सम्मेलन में काशी के सुप्रसिद्ध हास्य व्यंग कवि सुदामा तिवारी उर्फ सांड बनारसी ने अपनी कविता 'मूर्ख इंजीनियर, डॉक्टर मूर्ख यहां, मूर्ख चोर डाकू और मूर्ख थानेदार है..मूर्ख जनता है और मूर्खों की सरकार है' पेश की। इस कविता को सुन दर्शक हंसने पर मजबूर हो गए।
ये बनारस है
शायद कोई और शहर होता तो इतनी भीड़ तमाम प्रयासों के बाद भी ना जुटती
लेकिन बनारस की बात ही अलग है मौका था राजेन्द्र प्रसाद घाट पर होने वाली सालो पुरानी हास्य कवि सम्मलेन "महामूर्ख सम्मलेन" का......
तो वहीं आजमगढ़ से आये डॉक्टर रामाश्रय मिश्र ने 'नेता वही है जो ताने रहे, सुरा—सुन्दरी भांग झाने रहे, कुर्सी दिखाई पड़े जिस तरफ,बस उसी ओर हरदम फाने रहे' से देश के राजनेताओं की एक तस्वीर खींच दी।
पारंपरिक रूप से चले आ रहे इस महामूर्ख सम्मेलन की सबसे खास बात यह है कि इसमें दूल्हा महिला व दुल्हन पुरुष बनते हैं। इसमें इस वर्ष डॉक्टर अंजना गुप्ता व डॉक्टर मनमोहन श्याम ने दुल्हा व दुल्हन बनकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ायी।
0 comments:
आपके स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा देती हैं जिसके लिए हम आप के आभारी है .
Post a Comment