90 दिनों में बनी मिशेल ओबामा के लिए बनारसी साड़ी

वाराणसी
अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा की भारत यात्रा के दौरान उन्हें सोने और चांदी के धागों से हाथ से बुनी बनारसी सिल्क साडी तोहफे में दी जाएगी। इसे बुनकरों को तैयार करने में तीन महीने लगे। क्रीम रंग की कढ़ुआ सिल्क की साड़ी को तीन अनुभवी बुनकरों ने सोने और चांदी के धागों का इस्तेमाल करके हाथ से बुना है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी मिशेल ओबामा           

इसका वजन करीब 400 ग्राम है और कीमत करीब डेढ़ लाख रुपए है। स्थानीय कारोबारी अब्दुल मतीन का परिवार तीन पीढ़ियों से हथकरघा का काम करता रहा है। उन्होंने कहा, 'तीन बेहतरीन बुनकरों ने परंपरागत भारतीय साड़ी को तैयार किया। इसे यहां से सोमवार को नई दिल्ली भेजा जाएगा।'

मिशेल अपने पति और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ तीन दिन की यात्रा पर भारत आई हैं। बराक ओबामा सोमवार को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। मतीन ने कहा कि बनारसी साड़ी के प्रति मिशेल के मोह को ध्यान में रखते हुए ओबामा के करीबी भारतीय अमेरिकी फ्रेंक इस्लाम की पत्नी डेबी ड्राइसमैन ने साड़ी बनाने का ऑर्डर दिया था।


आजमगढ़ में जन्मे फ्रेंक को हाल ही में अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर पुरस्कार से नवाजा गया। वह रविवार को नई दिल्ली पहुंचे उच्चस्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा हैं। मतीन ने कहा कि कढ़ुआ सिल्क की साड़ी खास होती है, हाथ से बुनी होती है और इसे तैयार करने में तीन से चार महीने लग जाते हैं।

उन्होंने कहा, 'मिशेल को कढ़ुआ सिल्क की साड़ी भेंट करने का मुख्य मकसद इस तरह के रंगबिरंगे डिजाइन बनाने में हथकरघा कारीगरों के हाथ के जादू को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच पहुंचाना है।' बनारस के सिल्क व्यापारियों की संस्था 'वाराणसी वस्त्र उद्योग संघ' ने भी नई दिल्ली 100 साड़ी भेजी हैं और केंद्रीय कपडा मंत्री संतोष गंगवार से इन्हें मिशेल को भेंट करने का अनुरोध किया है। वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा क्षेत्र है।
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!