पैट्रिक पंचतत्व में विलीन, अंतिम दर्शन को बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे

  • उनके पार्थिव शरीर का अंतिम क्रियाकर्म दोपहर बाद चर्च कैन्ट के समीप संपंन हो गया 
  • 1970 वाराणसी धर्मप्रांत के विशप रहे, 37 वर्षो बाद 2007 में सेवा निवृत हुए 
  • पूर्वांचल के कई जिला में दर्जनों मिशनरी स्कूलों की स्थापना, मैत्री भवन, नेत्रहीन बच्चों के लिए जीवन ज्योति वि़द्यालय, मूकबधिर बच्चों के लिए नववाणी स्कूल सहित कई अस्पतालों की भी की स्थापना 
वाराणसी कैथलिक धर्म प्रांत के विशप डाॅ पैट्रिक पाॅल डिसूजा का पार्थिव शरीर शनिवार दोपहर बाद पूरी श्रद्धा व अकीदत के साथ परंपरागत तरीके से पंचतत्व में विलीन हो गया। उनके अंतिम दर्शन को भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। वाराणसी समेत, भदोही, मिर्जापुर, बलिया, गाजीपुर, सोनभद्र, चंदौली, जौनपुर सहित कई जिलों के मिशनरी स्कूलों के फादर, टीचर, स्टाफ कर्मचारियों के अलावा रीजनल विशप्स कांफे्रेस के अध्यक्ष सहित देश व विदेश के अनके धर्मगुरु मौजूद रहे। 
उनका गत 16 अक्टूबर को सुबह साढ़े नौ बजे निधन हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को तब तक के लिए छवनी चर्च में ही रखा था। जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा रहा। उनका जन्म 28 अप्रैल 1928 को कर्नाटक के मैंगलोर-बंगलूर गांव में हुआ था। पिता मेरीयन डिसूजा व माता हुलसीन पिन्टों ने परवरिश की। वह वर्ष 1953 में फादर बने। इसके बाद वर्ष 1970 वाराणसी धर्मप्रांत के विशप बने। वे इस पद पर 37 वर्षो तक बने रहे। उनकी उम्र 86 वर्ष थी। वह इन दिनों बीमार चल रहे थे। उनका इलाज मउ के एक अस्पताल में कराया जा रहा था। इस दौरान उन्होंने कई मिशनरी स्कूलों की स्थापना कर राष्टीय स्तर पर पहचान बनाई। सर्वधर्म समभाव को समर्पित वाराणसी के भेलूपुर स्थित मैत्री भवन, काशी नगरी में अंतरधर्म परिसंवाद के लिए समर्पित होकर शांति व सद्भाव को जन-जन तक पहुंचाया। नेत्रहीन बच्चों के लिए सारनाथ में जीवन ज्योति वि़द्यालय, मूकबधिर बच्चों के लिए हरउवा स्थित कोईराजपुर में नववाणी स्कूल, मउ के ताजोपुर गांव अमरवाणी शिक्षण संस्थान, फातिमा अस्पताल, सिकरौल स्थित आशा निकेतन की स्थापना, की। भदोही, जौनपुर, चंदौली, वाराणसी, मउ, गाजीपुर सहित कई जिलों में मिशनरी स्कूलों की स्थापना के साथ भदोही में करुणालय, लोहता में सेंट मेरी अस्पताल की स्थापना की, जहां भारी संख्या में दीन-हीन लाभान्वित हो रहे है। शिवपुर स्थित नवसाधना पाॅस्टोरल सेंटर, नवसाधना पीजी कालेज, नवसंचार केन्द्र की स्थापना की। उन्होंने नवसाधना कला केन्द्र नृत्य डिग्री कालेज-शिवपुर की स्थापना की। इसके जरिए भरतनाट्यम व दक्षिण भारतीय नृत्य की शिक्षा की देकर बालिका शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। वाराणसी धर्म प्रांत से पूर्व बिशप श्रधेय डाॅ पैट्रिक पाॅल डिसूजा 30 अप्रैल 2007 को सेवानिवृत हुए थे। उन्होंने राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर चर्च के

पुरोहितों के लिए कई विषयों व मौकों पर सेमिनार का आयोजन भी कराया। उन्होंने वाराणसी धर्मप्रांत में निःस्वार्थ सेवाभक्ति और विकास के लिए क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और दुसरों को भी प्रेरित किया। इस मौके पर सेंट जाॅस स्कूल मढौली फादर थाॅमस, सेंट मेरी स्कूल भदोही फादर  अजय पाॅल, जौनपुर-शाहगंज के फादर रोड्रिग्स, गाजीपुर के हर्टमैन इंटर कालेज के फादर पी विक्टर सहित सभी स्कूलों के फादर, सिस्टर, टीचर व अन्य स्टाफ कर्मचारियों व समस्त सामाजिक व राजनीतिक हलकोें के लोग मौजूद रहे। सभी कार्यक्रम कैंट चर्च विशप हाउस के वाराणसी धर्म प्रांत के प्रशासक फादर यूजीन जोसेफ की अगुवाई में संपंन हुआ। 

Rajneesh K Jha

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

0 comments:

Post a Comment

बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
Copyright © 2014 बनारसी मस्ती के बनारस वाले Designed by बनारसी मस्ती के बनारस वाले
Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!