नमः शिवाभ्यां विषमॆक्षणाभ्यां

नमः शिवाभ्यां विषमॆक्षणाभ्यां
बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम्
शॊभावतीशान्तवतीश्वराभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम्

नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्यां
जगत्रयीरक्षणबद्धहृद्भ्याम्
समस्तदॆवासुरपूजिताभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम्

स्तॊत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्यां
भक्त्या पठॆद्द्वादशकं नरॊ य
स सर्वसौभाग्यफलानि
भुङ्क्तॆ शतायुरान्तॆ शिवलॊकमॆति 




Gopal Krishna Shukla
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बनारस शिव से कभी मुक्त नही, जब से आये कैलाश न गये। बनारसी की मस्ती को लिखा नही जा सकता अनुभव होता है। अद्भूद है ये शहर जिन्दगी जीनेका तरीका कुछ ठहरा हुआ है पर सुख ठहराव में है द्रुतविलंबित में नही. मध्यम में है इसको जीनेवाला है यह नगर। नटराज यहां विश्वेश्वर के रुप में विराजते है इसलिये श्मशान पर भी मस्ती का आलम है। जनजन् शंकरवत् है। इस का अनुभव ही आनन्द है ये जान कर जीना बनारस का जीना है जीवन रस को बना के जीना है।
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Converted to blogger by बनारसी राजू ;)
काल हर !! कष्ट हर !! दुख हर !! दरिद्र हर !! हर हर महादेव !! ॐ नमः शिवाय.. वाह बनारस वाह !!